भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने टेस्ट क्रिकेट में चोटिल खिलाड़ियों के बदले सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों को एकादश में शामिल करने की मांग का समर्थन करते हुए कहा है कि टेस्ट इंजरी रिप्लेसमेंट का नियम होना चाहिए। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने इस विचार को हास्यास्पद बताया है।
गंभीर ने कहा, “बिलकुल, मैं इसके पूरी तरह पक्ष में हूं। अगर अंपायर और मैच रेफरी को लगे कि यह गंभीर चोट है, तो मुझे लगता है कि यह बेहद आवश्यक है। ऐसे नियम होने चाहिए कि आप किसी और को विकल्प के तौर पर एकादश में ला सकें, बशर्ते यह स्पष्ट रूप से दिख रहा हो। इसमें कुछ भी गलत नहीं है, विशेषकर ऐसी सीरीज में जो पहले तीन टेस्ट में बेहद करीबी रही है। सोचिए अगर हमें 10 खिलाड़ियों के साथ 11 के खिलाफ खेलना पड़ता, तो यह हमारे लिए कितना दुर्भाग्यपूर्ण होता।”
स्टोक्स ने कहा, “मुझे लगता है कि यह बिल्कुल हास्यास्पद है कि चोट के विकल्प को लेकर कोई बातचीत चल रही है। इसमें बहुत सी कमियां होंगी, जिनसे टीमें इसका फायदा उठा सकती हैं। आप जो एकादश चुनते हैं, वही खेलनी चाहिए। चोट खेल का हिस्सा है।”
उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह से कनकशन विकल्प को समझता हूं क्योंकि यह खिलाड़ी की सुरक्षा से जुड़ा है। लेकिन मुझे लगता है कि चोट के विकल्प पर बातचीत को यहीं रोक देना चाहिए। अगर आप मुझे एमआरआई में भेज दें, तो मैं किसी और को तुरंत एमआरआई मशीन में भेज सकता हूं। जिसमें दिख जाएगा कि घुटने में हल्की सूजन है और फिर टीम कहेगी हमें नया गेंदबाज मिल सकता है। इसलिए यह बातचीत अब बंद होनी चाहिए।”
भारतीय कोच ने कहा, “ऐसा बहुत कम लोगों ने किया है और मैं घंटों बैठकर इस बारे में बात कर सकता हूं। मुझे लगता है कि आने वाली पीढ़ियां इस पर चर्चा करेंगी कि एक खिलाड़ी ने टूटे पैर के साथ बल्लेबाजी की।”
मेडिकल सब्स्टिट्यूट के मामले में क्रिकेट अंधकार युग में : वॉनइंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन का मानना है कि भारतीय बल्लेबाज ऋषभ पंत की इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में टूटे पैर के बावजूद खेली गई अर्धशतकीय पारी उनके जज्बे का शानदार नमूना थी लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि मेडिकल सब्स्टिट्यूट की अनुमति देने के मामले में क्रिकेट अंधकार युग में है।
पंत ने ओल्ड ट्रैफर्ड में गुरुवार को दाहिने पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर होने के बावजूद 37 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई और अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने इस दौरान 28 गेंद का सामना किया और 17 रन बनाए।
वॉन ने 'द टेलीग्राफ' में अपने कॉलम में लिखा, मैं कई वर्षों से महसूस करता रहा हूं कि टेस्ट क्रिकेट में स्पष्ट चोटों के मामले में स्थानापन्न खिलाड़ी मुहैया कराए जाने चाहिए, जैसा कि हमने ओल्ड ट्रैफर्ड में चौथे टेस्ट में ऋषभ पंत के मामले में देखा।
उन्होंने कहा, दूसरे दिन सुबह पंत को टूटे पैर के साथ बल्लेबाज़ी करते देखना वाकई शानदार अनुभव था। यह अविश्वसनीय साहस था और 28 गेंदों में 17 रन बनाना अद्भुत कौशल था। लेकिन वह बल्लेबाज़ी के लिए फिट नहीं थे, दौड़ नहीं सकते थे और इससे उनकी चोट और भी गंभीर हो सकती थी।
वॉन ने कहा, सोचने वाली बात यह है कि उन्हें (पंत को) विकेटकीपर के रूप में सब्स्टिट्यूट की अनुमति दी गई, लेकिन बल्लेबाजी या गेंदबाजी की अनुमति नहीं दी गई। यह सब थोड़ा अजीब और असंगत है। हमारा खेल एकमात्र ऐसा टीम खेल है जिसमें ऐसा होता है और मुझे लगता है कि इससे यह पता चलता है कि क्रिकेट अब भी अंधकार युग में जी रहा है।
उनका मानना है कि पुराने नियमों पर अड़े रहने से जानबूझकर खेल का प्रभाव कम किया जा रहा है क्योंकि एक टीम को इसके कारण मैच के चार दिनों तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ रहा है।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने कहा, यदि किसी खिलाड़ी को नई चोट लगती है, जैसे हड्डी टूटना या मांसपेशियों में इतना अधिक खिंचाव कि वह खेल में आगे भाग नहीं ले सकता। ऐसी चोट जो स्कैन और चिकित्सक द्वारा आसानी से प्रमाणित हो सकती है तो उसके स्थान पर समान योग्यता रखने वाले खिलाड़ी को सब्स्टिट्यूट के रूप में उतारा जा सकता है जैसा कि कनकशन (सर में चोट लगने पर बेहोशी की स्थिति) के मामले में होता है।