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Last Modified: सोमवार, 30 जनवरी 2023 (14:23 IST)

4 साल में उठ गया था सिर से पिता का साया, कुलदीप के कोच से अर्चना देवी ने सीखा क्रिकेट का ककहरा

4 साल में उठ गया था सिर से पिता का साया, कुलदीप के कोच से अर्चना देवी ने सीखा क्रिकेट का ककहरा - Archana Devi who took a splendid catch lost his father when she was four
लखनऊ: चार बरस की उम्र में अपने पिता को खो चुकी अर्चना देवी ने विषम परिस्थितियों में भी अपनी मां की मेहनत और गुरू की लगन के दम पर अपने क्रिकेट के शौक को जिंदा रखा और उसे परवान चढाया भारतीय क्रिकेटर कुलदीप यादव के सहयोग ने।
 
अर्चना देवी निषाद पहला अंडर 19 महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय टीम की सदस्य हैं। दक्षिण अफ्रीका में इंग्लैंड के खिलाफ अंडर 19 महिला क्रिकेट विश्व कप फाइनल में अर्चना देवी ने तीन ओवर में 17 रन देकर दो विकेट हासिल किए।इसके अलावा उन्होंने हैरतअंगेज कैच लिया जिसका वीडियो ट्विटर पर खासा वायरल हुआ।
मां ने पाल पोस कर किया बड़ा
 
उनकी इस कामयाबी के पीछे बलिदानों का लंबा सिलसिला है जिसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव में पुआल से बने घर से हुई।मां सावित्री देवी ने कैंसर के कारण अपने पति को खो दिया था जब अर्चना मात्र चार साल की थी। ऐसे में अपनी बेटी के सपनों को जिंदा रखना उनके लिये कतई आसान नहीं था। उन्हें क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता लेकिन अपनी बेटी की उपलब्धि पर गर्व है।
 
सावित्री ने कहा,' क्रिकेट के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हूं लेकिन अपनी बिटिया को मैदान पर खेलते देख बहुत खुश हूं। कल रात उसने फोन पर बात करते हुए कहा था कि अम्मा हम जीत गयें । तब से मन बहुत खुश हैं, काश उसके बापू भी इस खुशी में शामिल होते।'उन्होंने कहा ,'कल रात से गांव में लडडू बांट रहे हैं और जब बिटिया लौटेंगी तो और लडडू बांटेंगे।'
अर्चना के भाई ने बताया कि उन्हें डर था कि बार बार बिजली जाने के कारण वे शायद फाइनल मैच नहीं देख पायेंगे लेकिन जब स्थानीस पुलिस के एक अधिकारी को इस बात का पता चला तो उन्होंने उनके घर पर इन्वर्टर और बैटरी भेजी और पूरे गांव ने साथ में टीवी पर मैच देखा।
 
कुलदीप और अर्चना के कोच कपिल पाडेंय ने कहा ,‘‘ मैच जीतने के बाद रविवार रात अर्चना से बात हुई थी जो अपनी जीत से बहुत खुश थी और अब उसका सपना टीम इंडिया के लिए खेलना है।'
 
राजधानी लखनऊ से करीब सौ किलोमीटर दूर उन्नाव के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के गंगा कटरी के गांव रतई पुरवा में भारत की जीत के बाद से खुशी का माहौल हैं। मैच समाप्त होने के बाद गांव में लोगों ने नाच गाकर जश्न भी मनाया।
 
रोहित ने बताया कि छठी कक्षा में अर्चना का दाखिला गंजमुरादाबाद स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराया गया जहां शिक्षिका पूनम गुप्ता ने उनकी खेल प्रतिभा को पहचाना। आठवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूनम उसे लेकर कानपुर में पांडेय के पास ले गयी।
पांडेय ने बताया ,'2017 में जब अर्चना मेरे पास आयी तो मैने उससे गेंदबाजी करायी तो मुझे उसके अंदर छिपी प्रतिभा का पता चल गया। लेकिन उसके पास संसाधन नही थे और कानपुर में ठिकाना नहीं था। उसका गांव कानपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर था और वह रोज आ जा नहीं सकती थी।' पांडे ने पूनम और कुछ अन्य लोगो के सहयोग से उसे कानपुर की जेके कालोनी में किराये पर एक कमरा दिलवा कर उसके रहने और खाने का इंतजाम करवाया। इसके बाद कुलदीप ने उसे क्रिकेट किट दिलवाई।
 
पांडे ने कहा ,'जब कुलदीप कानपुर में होते तो वह अर्चना सहित अन्य बच्चों के साथ अभ्यास करते और उन्हें क्रिकेट की बारीकियां सिखाते। पहले अर्चना मध्यम तेज गेंदबाजी करती थी लेकिन बाद में मैने उसे आफ स्पिन डालने को कहा और फिर वह एक अच्छी आफ स्पिनर बन गयी।'
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