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Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 6 जुलाई 2025 (18:58 IST)

सोने के भावों में आने वाला है बड़ा उतार-चढ़ाव, नजरें 9 जुलाई पर, कौनसी घटनाएं कर सकती हैं प्रभावित

Gold rates
आने वाले सप्ताह में सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशकों की नजर नौ जुलाई की महत्वपूर्ण शुल्क समयसीमा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित प्रमुख केंद्रीय बैंकों के नीतिगत संकेतों और प्रमुख वैश्विक वृहद आर्थिक आंकड़ों पर है। विश्लेषकों ने यह कहा है। विश्लेषकों ने कहा कि ये कारक निकट भविष्य में सोने की कीमतों की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।
 
उन्होंने कहा कि व्यापारियों के किसी भी प्रमुख नीतिगत संकेत या भू-राजनीतिक घटनाक्रम से पहले सतर्क रहने की संभावना है। भारत सहित कई देशों से आयात पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्क पर 90-दिवसीय निलंबन की अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो रही है, जिससे अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगने का जोखिम फिर से बढ़ गया है।
 
जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के जिंस एवं मुद्रा शोध के उपाध्यक्ष (ईबीजी) प्रणव मेर ने कहा, “मुख्य केंद्रीय बैंकों, विशेषकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच व्यापार वार्ता के परिणाम और आगामी वैश्विक आर्थिक आंकड़ों पर नजर रहेगी, जो निकट भविष्य में सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।”
 
निवेशक यूएस फेड की एफओएमसी (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) की बैठक पर भी बारीकी से नजर रखेंगे। पिछले सप्ताह, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर अगस्त डिलीवरी के लिए कीमती धातु की कीमत 1,563 रुपए या 1.61 प्रतिशत बढ़ गई।
 
वेंचुरा में जिंस डेस्क के प्रमुख एन एस रामास्वामी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत फिलहाल 3,345 डॉलर प्रति औंस है और अमेरिका में मजबूत वृहद आर्थिक आंकड़ों के कारण बिकवाली का दबाव रह सकता है। इन आंकड़ों से फेडरल रिजर्व द्वारा जुलाई में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों पर असर पड़ा है।
 
कुछ सुधारात्मक तेजी के बावजूद, रामास्वामी ने कहा कि “अल्पकालिक परिदृश्य समेकन और सुधारात्मक गति का पक्षधर है, जिसके बाद व्यापक गिरावट की प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है।”
 
हालांकि, रामास्वामी ने कहा कि अमेरिका में राजकोषीय घाटे की चिंता और ट्रंप के शुल्क के आसन्न निर्णय से नई अस्थिरता पैदा हो सकती है और पीली धातु की मांग बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि मई में केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक स्वर्ण भंडार में 20 टन सोना जोड़ा।
 
एंजेल वन के प्रथमेश माल्या ने कहा कि कमजोर अमेरिकी डॉलर और मौजूदा भू-राजनीतिक चिंताओं से सोने की कीमतों को समर्थन मिल रहा है। माल्या ने कहा कि डॉलर की कमज़ोरी 2024 के साथ-साथ 2025 में भी सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण रही है। यह रुझान साल के बाकी हिस्से में भी जारी रह सकता है। भाषा Edited by: Sudhir Sharma