झूठ कैसे पनपता है दिमाग में
दिमाग कम्प्यूटर की हार्ड ड्राइव की तरह साधारण तरीके से जानकारी एकत्रित नहीं करता। तथ्य पहले हिप्पोकैम्पस, दिमाग में एक जगह, में एकत्रित करता है। परंतु जानकारी वहां नहीं रुकती। जब भी हम इसे याद करते हैं, हमारा दिमाग इसे फिर से लिखता है और इसी दौरान इसमें फिर से कुछ प्रक्रिया होती है। धीरे से तथ्य को सेरेब्रल कोर्टेक्स में पहुंचाया जाता है और उस मुद्दे से अलग किया जाता है जिसके साथ इसे स्टोर किया गया था। इस प्रक्रिया को सोर्स इमनेज़िया कहते हैं, इसके कारण लोग किसी बात के सही होने की स्थिति को भूल जाते हैं।
समय के साथ यह गलत याद रखना और बुरी स्थिति में पहुंचता है। एक गलत तथ्य से याद की गई बात, जिस पर पहले भरोसा नहीं किया गया था, धीरे-धीरे सही लगने लगती है। इस दौरान बात का सोर्स भूला दिया जाता है और मैसेज और उसके प्रभाव भारी होने लगते हैं। हमारे दिमाग ने कैसे जानकारी को इकट्ठा किया था इस तरीके पर भी जानकारी का याद रखा जाना निर्भर करता है। हम उस जानकारी को याद रखते हैं जो हमारे विचारों से मिलती है और उन जानकारियों को भूल जाते हैं जो कुछ अलग होती हैं। साइकोलॉजिस्टों का मानना है कि लोग हमारी भावनात्मक जगह पर ध्यान देते हैं। इसी तरह एक आइडिया फैलाया जाता है। इमोशनल चीज तथ्य पर भारी पड़ती है।