पहली बात तो यह की सीखना सीखों। कौशल और विद्या को हुनर भी कह सकते हैं। हुनर है तो कदर है। हुनरमंद को स्किल्ड मेन कहते हैं। आप जिंदगी में फालतू की बातें सीखते रहते होंगे। हालांकि हमें हर तरह का कार्य सीखना चाहिए, लेकिन उनमें से बहुत से कार्य तो आपके किसी काम में आते नहीं है और बहुत से कार्य आप सीखते ही नहीं है। इसी में समय बर्बाद हो जाता है।
यदि हम किसी कार्य का अभ्यास करते रहते हैं, तो उसे सरलतापूर्वक करना सीख जाते है। यदि हम सीखे हुए कार्य का अभ्यास नहीं करते हैं, तो उसको भूल जाते हैं। हालांकि कुछ कार्य ऐसे रहते हैं जिन्हें हम कभी भूलते नहीं है। तो आओ जानते हैं कि हमें क्या-क्या सीखना चाहिए जो हमारी जिंदगी में बहुत काम आता है और जिसके माध्यम से हम एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं या यह कि हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं।
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1. तैरना और कार चलाना : अधिकतर लोग यह जानते ही होंगे, लेकिन हो सकता है कि अधिकतर लोग यह नहीं जानते होंगे। शहर के अधिकतर लोग तैरना नहीं जानते तो गांव के लोग कार चलाना नहीं जानते। हालांकि आजकल गांव में भी विकास की धारा पहुंच गई है तो निश्चित ही वे भी अब कार चलाना सीख रहे हैं। तैराकी का बहुत महत्व है। तैराकी मांसपेशियों और मस्तिष्क के लिए एक टॉनिक की तरह है।
गांव के लोग तैरने में उस्ताद है। सिर्फ तैराना सीखने भर से काम नहीं चलेगा। तैरना भी एक कला है जिसमें पारंगत होना जरूरी है। उसी तरह सिर्फ कार चलाना सीखना महत्वपूर्ण नहीं है। उसकी हर महत्वपूर्ण बातों को सीखना भी जरूरी है। यह दोनों ही कार्य जीवन में बहुत काम के होते हैं। दोनों ही कार्य को करने का आनंद भी है।
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2. भाषा और गणित : भाषा और गणित जीवन के हर क्षेत्र में बसा हुआ है। इसके बगैर जीवन में कोई काम नहीं चलता। घरेलू कामों में हिसाब-किताब लगाने की बात हो, दुकानों में जोड़-घटाने की बात हो, राष्ट्र की अर्थ व्यवस्था, निर्माण कार्य या फिर अंतरिक्ष के अभियानों की बात हो, हर जगह गणित का समावेश है। उसी तरह यदि आप भाषा का अच्छे से इस्तेमाल करना नहीं जानते हैं तो आप पिछड़े माने जाएंगे। गणित आपके दिमाग को शक्तिशाली बनाता है। दुनिया में भाषा और गणित की ही लोग खा रहे हैं।
बहुत से लोगों को अपनी खुद की भाषा का भी ज्ञान नहीं होता। बोलना और भाषा का ज्ञान प्राप्त करना दोनों अलग अलग बाते हैं। बहुत बड़ा भाषाज्ञानी बनने की जरूरत नहीं, लेकिन आपकी बोलचाल की भाषा सभ्य और शुद्ध होना चाहिए। इसके अलावा आपको कम से कम अन्य दो भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए। कुल मिलाकर आपको तीन भाषाओं का ज्ञान तो होना ही चाहिए।
भाषा ज्ञान का वर्तमान में बहुत महत्व है। आप देश-विदेश में कहीं घुमने जाते हैं या नौकरी करते हैं तो भाषा आपका बहुत साथ देती है। भाषा के साथ ही अच्छी संवाद प्रक्रिया तभी हो सकती है जबकि आप अच्छे से विचार करना सीख गए हैं। विचारवान बनने के लिए शब्द ज्ञान बढ़ाना भी जरूरी है।
दूसरा है गणित का ज्ञान। केलकुलेटर और कंम्प्यूटर के युग में लोगों का गणित अब अंगुलियों से भी फिसल गया है। पहले के लोग दिमाग में सोचकर ही तुरंत ही जोड़-घटाव कर लेते थे। उसी दौर के थोड़े कमजोर लोग अंगुलियों पर जोड़-घटाव कर लेते थे लेकिन आज के अधिकतर लोग ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं।
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3. संगीत सीखें : संगीत में तीन कलाओं का समावेश है- गायन, वादन और नृत्य। संगीत से जुड़ने से आपके दिमाग का विकास ही नहीं होता बल्कि इससे शांति और खुशी भी मिलती है। दुख आने या संकट आने पर वे लोग कम दुखी होते हैं जो गीत और संगीत से जुड़े हुए हैं। संगीत संजीवनी है।
यह विद्या सहित्य और कला के अंतर्गत आती है। काव्य, संगीत, चित्रकला, नाटक, अभिनय, मूर्तिकला, वास्तुकला आदि कई प्रकार की कलाएं होती है आप अपनी रुचि के अनुसार ये सीख सकते हैं लेकिन यह तय करना जरूरी है कि इसे आप क्यों सीखना चाहता हैं। इससे आपको क्या फायदा होगा।
जरूरी नहीं है कि संगीत की विधिवत शिक्षा लें। कोई-सा भी एक वाद्ययंत्र बजाना सीख लें जो भी आपको पसंद हो। कुछ बजाने या गुनगुनाने से मस्तिष्क और हृदय को आनंद की अनुभूति होती है जो आपको फिर से जीवंत कर देती है। सर्वप्रथम ब्रह्मा ने सरस्वती को और सरस्वती ने नारद को संगीत की शिक्षा दी। इसके बाद नारद ने भरत को और भरत ने (नाट्यशास्त्र) द्वारा जनसाधारण में संगीत का प्रचार किया। संगीत के बारे में विस्तासर से सामवेद में मिलता है। भारतीय संगीत के मुख्य दो प्रकार होते हैं- 1.शास्त्रीय संगीत 2.भाव संगीत। शास्त्रीय संगीत के कई प्रकार है उसी तरह भाव संगीत तीन प्रकार के होते हैं- 1.फिल्मी संगीत, 2.लोकगीत, 3.भजन और गीत।
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4. भाषण देना और सुनना : भाषण देने से कहीं ज्यादा सुनना महत्वपूर्ण होता है। भाषण की जगह आप प्रवचन भी रख सकते हैं। आपके व्यक्तित्व और आपकी सफलता में भाषण कला का बहुत योगदान रहता है। अच्छा वक्ता ही सफल होता है।
कहते भी हैं कि बोलने वाले का गुढ़ बिक जाता है और गूंगे का गुढ़ कितना ही अच्छा हो आखिरकार खराब हो ही जाता है। बोलना सीखना और भाषण देना बहुत कठिन कार्य नहीं है। थोड़े से प्रयास से ही यह हासिल किया जा सकता है। आप सोच रहे होंगे कि बोलना सीखने का क्या मतलब? तो नीचे पढ़े बोलने के तरीके...
बोलने के कई तरीके हैं- ऊंचे स्वर में बोलना, तेजी से बोलना, गुर्राते कर बोलना, धीरे धीरे बोलना, गंभीर और संतुलित स्वर में बोलना, अत्यंत ही धीरे स्वर में बोलना, हंसते हुए बोलना, उदास होकर बोलना।
कुछ लोगों के बीच बोलना या किसी एक व्यक्ति से ही बात करना बहुत महत्वपूर्ण विद्या है। बहुत से लोगो होते हैं तो सिर्फ हां, हां करना ही जानते हैं और बहुत से लोग होते हैं जो सिर्फ ना, ना करना ही जानते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो बोलते ही नहीं है और उससे भी कहीं ज्यादा लोग हमेशा बोलने के लिए आतुर रहते हैं। वे वाचाल किस्म के होते हैं। जिस तरह बोलना कठिन प्रक्रिया है उसी तरह किसी की बातों को धैर्य पूर्वक सुना और समझना भी कठिन प्रक्रिया होती है। कुछ लोग सुनकर भी समझ नहीं पाते, कुछ लोग सुनते वक्त अपना ध्यान कहीं ओर रखते हैं और कुछ लोग सुनने से पहले ही बोलने लगते हैं।
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पढ़ना, पढ़ाना और लिखना सीखें : पढ़ेंगे तभी तो पढ़ा पाएंगे और यह दोनों आता है तो लिखना भी सीखें। अपनी एक डायरी बनाएं और उसमें अपने मन के विचार लिखे या प्रतिदिन की गतिविधियां ही लिखें। हर तरह की किताबें पढ़ने का शौक होना चाहिए। किताबें ही जीवन की सच्ची साथी होती है जो हमें बहुत कुछ सीखाती है। किताबों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। पढ़ने और पढ़ाने से जीवन में बहुत सीख मिलती है।
आप भले ही टीचर न बनना चाहते हों, लेकिन आपको आपके बच्चों या अन्य किसी को शिक्षा देने के लिए यह सीखना चाहिए। आपका अनुभव महत्वपूर्ण है उससे दूसरों में बांटेगे ही समाज में बौद्धिक विकास का स्तर बढ़ेगा। किसी को पढ़ाना भी एक कला है। हो सकता है कि आपके आप अपने पुत्र या पुत्री को पढ़ाने या उनको कुछ सीखाने का समय नहीं हो लेकिन आप अपने पोते या पौती को तो पढ़ाएंगे जरूर। इसलिए सोच लें यदि किसी को भी नहीं पढ़ा पाए तो पछताएंगे।
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सीखें नई तकनीक : बहुत से लोगों को कंप्यूटर, मोबाइल, वॉशिंग मशीन या टीवी का रिमोट ही नहीं चलाना आता है। हालांकि कुछ ऐसी चीजें होती है जो लोग खुद आगे रहकर नहीं सीखना चाहते, क्योंकि वे जानते हैं कि यह घर में उपलब्ध ही है तो कभी भी सीख जाएंगे।
लेकिन कभी-कभी ऐसी वस्तुएं हाथ लग जाती है जिनको चलाने के बारे में आप सोच भी नहीं सकते, यदि आपको छोटी-मोटी चीजें संचालित करना नहीं याद है तो। मान लो उदाहरणार्थ कि आपने कभी सामान्य मोबाइल अच्छे से चलाना नहीं सीखा है तो आप स्मार्ट फोन की स्क्रीन ही देखते रहेंगे उसे टच करने की हिम्मत भी नहीं करेंगे।
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सोचना सीखना : आप सोच रहे होंगे कि सोचना या विचार करना सीखने की क्या जरूरत यह तो आदमी बचपन से ही करता आया है और इसमें सीखने जैसा क्या है? दरअसल, सोचना सबसे कठिन प्रक्रिया है। दरअसल, आप सोच तो आपकी पांचों इंद्रियों के मस्तिष्क पर पढ़ने वाले प्रभाव से उपजती है।
सोचने के कई तरीके हैं उन पर अमल करना चाहिए। हमारे दो मष्तिष्क होते हैं पहला भाव मस्तिष्क और दूसरा गणितीय मस्तिष्क। बहुत से लोग बगैर सोचे समझे भावों में बहकर जो बोल देते हैं वह भाव मस्तिष्क का ही परिणाम होता है। भावना में बहकर सोचे विचार या बोल।
सोचने का पहला तरीका : मैं बुरा व्यक्ति नहीं बनना चाहता हूं।
सोचने का दूसरा तरीका : मैं अच्छा व्यक्ति बनना चाहता हूं।
उपरोक्त में से पहला तरीका नकारात्मक है और दूसरा तरीका सकारात्मक है। हर काम के बारे में सोचने का तरीका अलग होता है। हमारी सोच का हमारे शरीर पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है इसीलिए सोचने पर सोचना जरूरी है। बहुत से लोग जिंदगी भर नकारात्मक ही सोचते रहते हैं। वे हर बात में नकारात्मकता ढूंढ ही लेते हैं। ऐसे लोगों की जिंदगी संघर्षों से भरी होती है और ऐसे लोगों को कोई पसंद भी नहीं करता है।
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समय और धन को बचाना सीखें : धन और समय के अंतरसंबंध को समझे। बहुत-सी बातों में आप फालतू का समय बर्बाद कर देते हैं। समय कीमती होता है इसे बचाना सीख गए तो बहुत कुछ और भी सीखने को मिलेगा। समय प्रबंधन करना सीखें। उसी तरह धन की व्यर्थ बर्बादी आपको बर्बाद कर सकती है।
आपके पास दिन और राज के कुल 24 घंटे होते हैं और इन 24 घंटे में से आप कम से कम 7 घंटे तो सोते होंगे। बचे 17 घंटे में से आप कम से कम तीन घंटे स्नान, ध्यान, भोजन आदि नित्यकर्मों में लगा देते होंगे। बचे 14 घंटे। यदि आप ऑफिस जाते हैं तो 10 घंटे उसमें से घटा दें। इसका मतलब आपके पास परिवार के लिए मात्र 4 घंटे ही हैं। जरूरी है कि आप कोई एक दैनिक योजना बनाएं और वार्षिक लक्ष्य तय करें।
एक व्यक्ति 17 घंटे में 17 हजार रुपए कमाता है और एक व्यक्ति 7 घंटे में आप क्या करना चाहंगे? बहुत से लोग फेसबुक, वॉट्सप और ट्विटर पर अपना समय बर्बाद कर देते हैं, लेकिन उसका आउटपुट क्या है?
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आत्मरक्षा के खेल और योग सीखें : आप सोच रहे होंगे कि आत्मरक्षा के खेल से क्या मतलब? दरअसल कराटे, कुंफू, मार्शल आर्ट, पहलवानी, लट्ठ चलाना या अन्य इसी तरह के कोई खेल आपके जीवन में बहुत काम आते हैं। इससे आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है।
दूसरी ओर योग एक ऐसी कला है जो आपको हर तरह से फीट रखती है। इससे आपका शरीर किसी भी मौसम और परिस्थिति में रह सकने के लिए तैयार रहता है। यह दोनों ही तरह की विद्याएं आपको बहुत फायदा दे सकती है।
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कुछ बनाना सीखें : यदि कुछ बनना है तो कुछ बनाना सीखें। अर्थात ऐसा कोई हुनर हासिल करें जो आपको रोजगार दे सकता है। आजकल बहुत से लोग सॉफ्टवेयर या एप बनाते हैं तो कुछ लोग औषधी की खेती करना सीख रहे हैं।
आप भी अपनी रुचि के अनुसार कोई ऐसा काम सीखें जो बाजार में प्रचलित हो और जिससे आप अच्छा कमा सकते हों। सिर्फ डीग्री नहीं हुनर या स्किल से ही आप नौकरी भी हासिल कर सकते हैं और अपना खुद का रोजगार भी पैदा कर सकते हैं।