Last Modified: लंदन ,
मंगलवार, 30 नवंबर 2010 (14:43 IST)
वैज्ञानिकों ने बनाए डॉली के क्लोन
जब 1996 में क्लोन से डॉली नामक भेड़ अस्तित्व में आई तो वैज्ञानिक जगत की यह बड़ी उपलब्धि थी। अब उसमें एक नया अध्याय जुड़ गया जब उसके हूबहू चार क्लोन बनाकर एक बार फिर वैज्ञानिकों ने करिश्मा कर दिखाया।
डेली मेल के अनुसार चारों को 'डॉलीज' नाम दिया गया जो डॉली सरीखा जैनेटिक रूपान्तरण है। आलोचकों ने हालाँकि आगाह किया था कि इसमें अपनायी जाने वाली तकनीक सफल नहीं होगी। अगर हुई भी तो उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा अथवा समय से पहले उसकी मौत हो जाएगी।
प्रोफेसर कीथ कैम्पबेल के अनुसार नवीनतम प्रयोग आंशिक तौर पर यह पता लगाने के लिए किया गया कि क्या गर्भ और उससे बाहर की समस्या के जोखिम को कम किया जा सकता है।
गायिका डॉली पार्टन के नाम पर उसे 14 साल पहले यह नाम दिया गया था। यह क्लोनिंग काफी लम्बी और जटिल थी। एक ही गर्भ में इस्तेमाल किए गए 277 अंडों में से केवल डॉली बच पाई थी। इस बार डॉलीज में से प्रत्येक के लिए केवल पाँच भ्रूण की जरूरत पेश आई।
कैम्पबेल ने बताया कि उनके स्वास्थ्य पर करीबी नजर रखी जा रही है। अभी कोई समस्या नहीं है लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि यह तरीका परिपूर्ण नहीं है। ब्यौरा विज्ञान की एक पत्रिका में प्रकाशित होगा।
चारों क्लोन साढ़े तीन साल पहले बनाए गए लेकिन उनका खुलासा कैम्पबेल ने यूरोपीय संसद में क्लोनिंग पर बहस के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि इस बात को गुप्त नहीं रखा गया था बल्कि अन्य वैज्ञानिकों से यह खबर साझा की गई थी। (भाषा)