• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. खोज-खबर
  4. »
  5. ज्ञान-विज्ञान
Written By ND

ऐसे घूमा टायर

ऐसे घूमा टायर -
ND
आज के जमाने में हर व्यक्ति कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में टायर से जुड़ा हुआ है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वाहनों में लगने वाले इन टायरों की शुरुआत कैसे हुई?

पहले पहियों का निर्माण कारीगरों द्वारा किया जाता था। ये लकड़ी और लोहे के हुआ करते थे, जिन्हें हाथ से धकाने वाली चार पहिए की गाड़ी और छकड़े में लगाया जाता था। कुछ समय बाद इनमें रबर की शीट लगाने का प्रयोग हुआ। चूँकि इनमें लगने वाला रबर सामान्य स्तर का होता था, जिससे ठंड के दिनों में ये रबर सिकुड़ जाते थे और गर्मी में फैल जाते थे। 1839 में चार्ल्स गुडईयर ने रबर में सल्फर मिलाकर उसे और मजबूती प्रदान की।

हवा भरने वाले टायर
1888 में स्कॉटलैंड के जॉन बॉयड डनलप ने अपने बेटे की साइकल को और आरामदायक बनाने के लिए ऐसे टायर का आविष्कार किया, जिसमें हवा भरी जा सके। हालाँकि उनकी यह खोज विवादास्पद रही। एक अन्य स्कॉटलैंड निवासी रॉबर्ट विलियम थॉमसन ने ऐसे टायर का 1845 में ही पेटेन्ट करा लिया था। डनलप ने तुरंत डनलप रबर कंपनी की शुरुआत की और उसमें ऐसे टायर बनाने शुरू किए। इस तरह उन्होंने थॉमसन से यह कानूनी लड़ाई जीती।

टायर के साथ ट्यूब
1891 में मध्य फ्रांस के दो इंजीनियर भाई क्लेरमोन्ट मिशेलिन और फेरेंड मिशेलिन ने टायर के अंदर एक हवा भरने वाले ट्यूब का आविष्कार किया। उन्होंने अपने इस आयडिया का बहुत खूबी के साथ प्रचार किया और इसमें वे सफल हुए। उन्होंने टायर के भीतर एक ट्यूब लगाया। इस ट्यूब में बोल्ट कसा गया जो पहिए की रिंग के बाहर निकला। इसमें से हवा भरी जाती थी।

कुछ सालों बाद डब्ल्यू.ई. बारलेट ने कोने से मुड़े हुए टायर बनाए, जो रिंग पर आसानी से लग सकें। 1915 में इसमें और प्रयोग किए गए और टायर को पतले तार से जकड़ा गया। 1937 में स्टील के तारों का प्रयोग किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ऐसे टायरों को ट्रकों में बहुत इस्तेमाल किया गया। 1947 में पहला रेडियल टायर बना। जॉन बॉयड डनलप की खोज के बाद सबसे बड़ा परिवर्तन इसी रेडियल टायर में हुआ। वर्तमान में रेडियल टायरों की माँग सबसे ज्यादा होती है।