उल्काओं के निशाने पर धरती, प्रलय तय!
उल्कापिंडों ने समय-समय पर धरती पर विनाशलीला रची है। उनके कारण धरती से डायनासौर के अलावा कई जीव-जंतु लुप्त हो गए हैं और धरती से एक बार जीवन भी लुप्त हो चुका है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि कोई विशालकाय उल्कापिंड धरती पर महाविनाश ला सकता है। रोज ही धरती पर उल्कापात होता रहता है। ये उल्काएं धरती के वायुमंडल में आकर बिखरकर छोटे-छोटे पत्थरों में बंट जाते हैं। इस तरह धरती पर रोज ही लगभग 3 हजार उल्काओं की बरसात होती रहती है। ताजा घटना : रूस के उराल पर्वतीय क्षेत्र के ऊपर आसमान में शुक्रवार को एक विशाल उल्का के विस्फोट में करीब 1,000 लोग घायल हो गए। यह विस्फोट इतना भीषण था कि इसके वेग से खिड़कियां टूट गईं और इमारतें हिल उठीं तथा लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई।
रूसी विज्ञान अकादमी का कहना है कि इस उल्का का वजन करीब 10 टन था और इसने पृथ्वी के क्षेत्र में कम से कम 54 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से प्रवेश किया।
बच गई धरती : शुक्रवार को ही करीब 50 मीटर चौड़े और 1 लाख 30 हजार टन वजनी एक उल्कापिंड 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमारी धरती से मात्र 27 हजार 680 किलोमिटर की दूरी से गुजर गया। सोचें अगर इस रफ्तार से वह धरती से टकरा जाता तो...? खगोल वैज्ञानिकों ने इसे 'नियर अर्थ ऑब्जेक्ट' माना है।
उल्काओं के निशाने पर धरती : ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी पर प्रलय अर्थात जीवन का विनाश तो सिर्फ सूर्य, उल्कापिंड या फिर सुपर वॉल्कैनो (महाज्वालामुखी) ही कर सकते हैं।
हालांकि कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि सुपर वॉल्कैनो पृथ्वी से संपूर्ण जीवन का विनाश करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि कितना भी बड़ा ज्वालामुखी होगा वह अधिकतम 70 फीसदी पृथ्वी को ही नुकसान पहुंचा सकता है।
अब जहां तक सवाल उल्कापिंड का है तो खगोलशास्त्रियों को पृथ्वी की घूर्णन कक्षा में हजारों उल्कापिंड दिखाई देते हैं, जो पृथ्वी को प्रलय के मुहाने पर ला सकते हैं।
इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि कोई भयानक विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के चंगुल में फंस जाए तो तबाही निश्चित है।