'आइस क्यूब' टेलीस्कोप खोलेगा ब्रह्मांड के रहस्य
जमीन के नीचे लगा टेलीस्कोप खोलेगा ब्रह्मांड का राज
ब्रह्मांड के निर्माण की जटिल प्रक्रिया को समझने की कवायद में लगे वैज्ञानिकों ने जहां एक ओर ईश्वरीय कण 'हिग्स बोसोन' की खोज का दावा किया है वहीं कुछ वैज्ञानिक दक्षिणी ध्रुव पर जमीन के नीचे दबे दुनिया के सबसे बडे टेलीस्कोप का इस्तेमाल अब तक के ज्ञात सबसे सूक्ष्म कण 'न्यूब्ट्रिनो' के रहस्य को सुलझाने में कर रहे हैं ताकि बह्मांड के निर्माण की प्रक्रिया के राज से पर्दा उठ सके। '
आइस क्यूब' नाम के दुनिया के इस सबसे बडे़ टेलीस्कोप को अंर्टाकटिका में जमी बर्फ की चादर के 2400 मीटर नीचे लगाया गया है। अंतरिक्ष में छिपे राज को उजागर करने में सक्षम इस टेलीस्कोप को दक्षिणी ध्रुव पर जमीन के नीचे स्थापित करने में 10 साल का समय लगा। आइस क्यूब पर काम करने वाले न्यूजीलैंड के कैंटरबरी विश्वविद्यालय के भौतिकविद् जेनी एड्म्स ने कहा - अगर आप अपनी अंगुली ऊपर उठाए तो इस बीच सूर्य से आने वाले सैकड़ों अरब न्यूट्रिनों प्रति सेकंड उससे गुजर जाएंगे। अंतरिक्ष में तारों में विस्फोट के समय अब तक के ज्ञात सबसे सूक्ष्म कण 'न्यूट्रिनो' का उत्सर्जन होता है। यह कण प्रकाश की गति से चलते हैं। आइस क्यूब न्यूट्रिनों पर नजर रखने के लिए ही बनाया गया है। पिछले ही सप्ताह वैज्ञानिकों द्वारा ब्रह्मांड की उत्पत्ति का आधार कण माने जाने वाले 'हिग्स बोसोन' की खोज का दावा किए जाने के बाद आइस क्यूब को लेकर उत्सुकता काफी बढ़ गई है। आइस क्यूब प्रकाश पर नजर रखने वाला टेलीस्कोप है। इसे गर्म पानी की मदद से गड्ढा करके बर्फ के नीचे पहुंचाया गया है। न्यूट्रिनों हर जगह मौजूद हैं जैसे ही ये बर्फ के संपर्क में आते हैं ये आवेशित कणों को उत्पन्न करते हैं जिससे प्रकाश की उत्पत्ति होती है। बर्फ एक छन्नी की तरह काम करती है जो न्यूट्रिनों को अलग कर देती है, ऐसे में टेलीस्कोप के लिए इनको पहचानना आसान हो जाता है यह टेलीस्कोप को विकिरण से पहुंचने वाले नुकसान से भी बचाती है। मेलबर्न में उच्च ऊर्जा भौतिकी पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सुश्री एडम्स ने पत्रकारों से बातचीत में कहा- अगर हमारी आकाशगंगा में किसी तारे में विस्फोट 'सुपरनोवा' जैसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है। तो इस दौरान निकलने वाने सैंकड़ों न्यूट्रिनो को हम आइस क्यूब की मदद से खोज सकते हैं। हम न्यूट्रिनों को अलग-अलग नहीं देख सकते हैं लेकिन यह टेलीस्कोप ऐसी किसी घटना को एक बडी़ आतिशबाजी के रूप से उजागर कर देगा। वैज्ञानिक इन कणों पर नजर रखकर यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इन कणों की उत्पत्ति कैसे हुई। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समय क्या हुआ होगा, इसके बारे में कुछ पता चल पाएगा। साथ ही ब्रह्मांड के अबूझ रहस्य 'डार्क मैटर' को भी सुलझाने में मदद मिलेगी। आइस क्यूब के निर्माण से पहले जितने भी न्यूट्रिनों को खोजा गया वे सब पृथ्वी के वातावरण में ही खोजे गए। आइस क्यूब पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि इस टेलीस्कोप की मदद से न्यूट्रिनो को अंतरिक्ष में भी खोजा जा सकेगा। (भाषा)