क्या है छावा उर्फ संभाजी महाराज से सांभर का कनेक्शन, जानिए क्या है इस नाम के पीछे की कहानी ?
what is relation between Sambhaji Maharaj and Sambhar: फिल्म छावा के रिलीज के पहले दिन से ही यह फिल्म लगातार सफलता के नए कीर्तिमान रच रही है। सभी की जुबान पर विक्की कौशल की एक्टिंग का जायका छा गया है। जायके की अगर बात करें तो सांभर दक्षिण भारत का लोकप्रिय व्यंजन है जिसे इसके स्वादिष्ट फ्लेवर की वजह से पूरे देश में काफी पसंद किया जाता है। इमली, सहजन, टमाटर, हरा धनिया और तुवर की दाल में सब्जियों के मिक्स और विशेष मसाले का छौंक लगाकर तैयार किए जाने वाले सांभर का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है।
अगर हम आपसे कहें कि सांभर मूल रूप से दक्षिण भारत का व्यंजन नहीं है तो आपको थोड़ा आश्चर्य हो सकता है। लेकिन यदि आपको बताया जाए कि सांभर का सीधा संबंध छत्रपति शिवजी के वीर बेटे संभाजी महाराज से है तब आप क्या कहेंगे? सुनने में ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है लेकिन इतिहास में इसके बारे में प्रमाण मिलते हैं। चलिए वेबदुनिया हिंदी पर आज आपको इस दिलचस्प जानकारी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
इडली-वड़ा हो या डोसा, सांभर के बिना इनका स्वाद नहीं लिया जा सकता। सांभर को दक्षिण भारतीय भोजन का एक अहम हिस्सा माना जाता है। लेकिन असल में सांभर रूपी व्यंजन पहली बार मराठा रसोई में बनाया गया था और पहली बार ये महाराष्ट्र के वीर योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज को परोसा गया था। अब चलिए सांभर की पूरी कहानी समझने के लिए आपकी संभाजी महाराज के ही समय में ले चलते हैं।
सांभर का संभाजी कनेक्शन
बात तब की है जब तमिलनाडु के तंजावुर पर मराठों का शासन था। इस दौरान छत्रपति शिवाजी के पुत्र संभाजी वहां अक्सर शाहूजी महाराज से मिलने जाया करते थे। वे जब भी तंजावुर में होते, शाहूजी महाराज उनकी पसंद का भोजन बनवाते। बताया जाता है कि संभाजी को मराठी व्यंजन 'आमटी' बहुत पसंद था। एक बार जब संभाजी महाराज तंजावुर आर तो उनके आने से पहले शाहूजी महाराज ने अपने रसोइयों को संभाजी की पसंदीदा आमटी तैयार दखने का आदेश दे दिया था। आमटी मूंग दाल से बनने वाला एक व्यंजन है जिसमें खटाई के रूप में कोकम का इस्तेमाल होता है।
संभाजी महाराज के लिए बनाई नई डिश, नाम मिला सांभर
इत्तेफाक से उस दिन रसोई में मूंग दाल और कोकम दोनों ही नहीं थे। अब रसोइए ने एक तरकीब लगाई। मूंग की दाल की जगह उसने तुअर की दाल का उपयोग किया और खटाई के लिए कोकम की जगह इमली का इस्तेमाल करते हुए एक नया व्यंजन तैयार कर दिया। जब ये नया व्यंजन संभाजी की थाली में परोसा गया तो इसे चखते ही वे इसके स्वाद के मुरीद हो गए। तब रसोइयों ने बताया कि रसोई में आमटी के लिए सामग्री उपलब्ध ना होने की वजह से उसने तुअर की दाल और इमली से यह नया व्यंजन तैयार किया है।
दक्षिण भारतीय व्यंजन माना जाता है सांभर
क्योंकि शाहूजी महाराज ने यह व्यंजन विशेषरूप से संभाजी के लिए बनवाया था इसलिए इसका नामकरण भी उन्हीं के नाम से सांभर कर दिया। हालांकि अब सांभर को दक्षिण भारत के व्यंजन के रूप में पहचाना जाता है। लेकिन मूल रूप से इस व्यंजन की खोज संभाजी के लिए हुई थी। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मत है कि यह कहानी सच नहीं है, लेकिन हर व्यंजन की अपनी अनोखी यात्रा होती है। अगर सांभर और संभाजी महाराज का यह कनेक्शन सच है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।
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