मजेदार बाल कहानी : कौआ उड़ रहा है...
जन्म के समय उनका राशि का नाम ‘र’ से निकला था इसीलिए रुद्र नाम रखा गया है। वैसे तो भगवान रुद्र के समान वे क्रोधी नहीं हैं परंतु दिमाग के बड़े तेज हैं स्मरण शक्ति अद्भुत, कहानियां सुनने के शौकीन। कितनी भी सुनाओ, एक कहानी और की फरमाइश कभी पूरी नहीं होती है, दादी परेशान दादा परेशान। दादी के पीछे लगे रहते। रात को सोने के पहले शुरू हो जाते। दादी एक कहानी सुनाती तो कहते एक और, दूसरी सुनाती तो कहते दादी एक और। दादी कहती- और कितनी सुनेगा? तो जबाब मिलता बस दादी दस कहानियां सुना दो फिर सो जाऊंगा। जैसे तैसे दादी दस कहानियां पूरी करतीं तो रुद्रभाई कहते दादी एक और... अब दादी क्या करें? पैंसठ पार हो चुकीं दादी की स्मृति का खजाना खाली हॊ चुका होता।
बचपन में जितनी कहानियां सुनी पढ़ी थीं, एक-एक कर सब सुना चुकी थी, अब नई कहानियां कहां से पैदा करें और फिर क्या है दादी आशु कहानीकार हो जातीं, जैसे- 'एक पहाड़ था, उसको बहुत जोर से भूख लगी। घर में खाने को कुछ नहीं था तो उसने नदी से कहा- नदी बहन, नदी बहन, थोड़ा आटा उधार दे दो। नदी ने आटा उधार दे दिया, किंतु एक शर्त रख दी कि उनका खाना भी पहाड़ बनाएगा। पहाड़ भाई अपना खाना भी मुश्किल से बना पाते थे इत्यादि………. ।’ऐसे ही कहानी पूरी हो जाती। रुद्र भाई कहते अब एक और तो दादी फिर शुरू हो जातीं, आखिर आशु कहानीकार जो ठहरीं। '
एक उल्लू था एक दिन उसकी बोलती बंद हो गई। वह एक डॉक्टर के यहां चेक कराने गया। डॉक्टर ने कहा की तुम्हारे गले में फेरनजाइटिस हो गया है। दवा खाने के बाद जब उसे लाभ नहीं हुआ तो फिर वह डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर बोला- अब तुम्हें लेरनजाइटिस हो गया है…। उल्लू फिर से दवा खाता है किंतु इस बार भी उसे कोई लाभ नहीं होता है तो वह फिर डॉक्टर के पास जाकर उसे डांट पिलाता है। डॉक्टर कहता- सॉरी! जब इन दवाइयों का कोई असर नहीं हुआ है, तो जरूर टांसलाईटिस हुआ होगा। ऐसे करते-करते कहानी समाप्त होने को आती है, इसके पहले ही दादीजी सो जातीं हैं। रुद्र भाई को मजबूरी में सो जाना पड़ता है। आखिर थक-हार कर दूसरे दिन दादी रुद्र को सलाह देती हैं कि अब दादा जी से कहानियां सुनो, उन्हें बहुत-सी कहानियां आतीं हैं।