यह उन दिनों की बात है जब जॉर्ज वाशिंगटन की उम्र छः साल की थी। उन्हें बगीचे में काम करने का बहुत शौक था। इस समय जॉर्ज ने एक कुल्हाड़ी बनवाई और अब दिन भर इधर उधर खरपतवार को काटने में उन्हें आनंद आता।
एक बार जॉर्ज अपने घर के बगीचे में घूम रहे थे तभी उन्हें ख्याल आया कि क्यों न माँ के लिए अपनी कुल्हाड़ी से एक छड़ी बना ली जाए। जॉर्ज ने देखा तो सामने एक चेरी का छोटा पेड़ था। जॉर्ज ने अनजाने में कुल्हाड़ी पेड़ पर इस तरह से चलाई कि तने में कटाव से वह सूख जाए।
इस पेड़ पर जॉर्ज के पिता का खूब प्रेम था। जब उन्होंने देखा कि उनके प्यारे पेड़ को किसी ने काटने की कोशिश की है और अब उसे बचाना मुश्किल है तो उन्हें खूब गुस्सा आया।
यह उन दिनों की बात है जब जॉर्ज वाशिंगटन की उम्र छः साल की थी। उन्हें बगीचे में काम करने का बहुत शौक था। इस समय जॉर्ज ने एक कुल्हाड़ी बनवाई और अब दिन भर इधर उधर खरपतवार को काटने में उन्हें आनंद आता।
उन्होंने गुस्से में जोर से पूछा कि चेरी के पेड़ पर किसने कुल्हाड़ी चलाई है? परंतु तत्काल उन्हें कोई भी इस बारे में नहीं बता पाया। थोड़ी देर बाद जॉर्ज अपने पिता के कमरे में गए और बोले कि आप जानना चाहते हैं कि आपका प्यारा पेड़ किसने काटा है तो मैं आपको बताता हूँ।
और मैं इसके लिए आपसे 5 गिन्नी की माँग भी नहीं करुँगा। यह कहकर जॉर्ज ने हिम्मत जुटाई और अपने पिता से रोते हुए कहा कि- पिताजी मैं आपसे झूठ नहीं बोल सकता... पिताजी मैं आपसे किसी भी हाल में झूठ नहीं बोल सकता... वो चेरी का पेड़ मैंने ही काटा है।
जॉर्ज ने जिस अंदाज में अपने पिता को सारी बात बताई उससे पिता का गुस्सा फुर्रर हो गया। उन्होंने जॉर्ज को अपने गले लगाते हुए कहा कि मेरे बेटे तुम्हें सच बोलते हुए बिलकुल भी डरने की जरुरत नहीं है, क्योंकि तुम्हारी सच्चाई ऐसे हजार पेड़ों से बढ़कर है।