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बच्चों की कविता : सूरज के ठाठ
शुक्रवार,जनवरी 15, 2021
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पतंग क्या चीज बस हवा के भरोसे। जिंदगी हो इंसान की आकाश और जमीन के अंतराल को पतंग से
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जीवन के सूखे मरुथल में,
झेले ये झंझावात कई।
जितनी बाधा, कंटक आते,
उनसे वे पाते, शक्ति नई।
विश्वासी, धर्मनिष्ठ, कर्मठ,
निज देशप्रेम से, ओतप्रोत।
सामर्थ्य हिमालय से ऊंची,
मन में जलती थी, ज्ञान-जोत।
थे, कद से, छोटे से, दिखते,
थे, ...
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3
बस तुम आना और जगाना, उत्सव-आनंद से भर जाना। नए साल! तुम जल्दी आना । संग में अपने खुशियां लाना ।।
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4
कर्म पथ पर चलते रहोगे बनता रहेगा काम, आत्म खुशी मिलती रहेगी बढ़ता रहेगा सम्मान
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5
मेरे घर नहीं तिजोरी कपड़े हैं एक जोड़ी, लेने को पेन-कॉपी नहीं है फूटी-कौड़ी
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धरा में तारों का होगा वास जग मग होगा सारा जग फुलझडियां खुशियों की चमकेगी
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उल्लू है उसका वाहन, जहां चाहेगा वहां ले जाएगा। दिखता होगा जहां माल, सैर वहां की कराएगा।
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8
छम-छम-छम-छम नाच बंदरिया, छम-छम-छम-छम नाच। भीड़ खड़ी है नाच देखने, कमर जरा मटका दे।
पैर पटक ले आगे पीछे,
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मां गुड़हल का फूल कहां है, लाकर मुझे दिखाओ। चित्रों वाले फूल दिखाकर, मुझको न बहलाओ।
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बन गए होते हाथ पैर ही, काश हमारे पंख। और परों के संग जुड़ जाते,
कम्प्यूटर से अंक।
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सुन बालक की भोली बातें, मां का मन हर्षाया। होता क्या था चिट्ठी में,
मां ने उसे बताया।।
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12
हंसों मजे से, गाओ मजे से, हंसकर खाना, खाओ मजे से। बच्चों फिर दादी से बोलो,
अच्छी कथा सुनाओ मजे से।
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बिट्टी पढ़ री बिट्टी पढ़,आई गांव से चिट्ठी पढ़। चिट्ठी आई पांव से,
नदी पार कर नाव से।
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रानी दुर्गावती पर कविता- जब दुर्गावती रण में निकलीं हाथों में थीं तलवारें दो। धीर वीर वह नारी थी, गढ़मंडल की वह रानी थी।
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ठंड नहीं लगती क्या चंदा, नंगे घूम रहे अंबर में। नीचे उतरो घर में आओ,
सेकों जरा बदन हीटर में।
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बच्चों ने डाली पर देखा तोता हरा-हरा। पत्तों के गालों पर उसने,
चुंटी काटी कई-कई बार। पत्तों का भी उस तोते पर,
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बंदर बोला, मिस्टर हाथी, क्यों लंगड़ाते आप। नहीं दिया उत्तर प्रणाम का,
भाग रहे चुपचाप।
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चॉकलेट यदि खाना हो तो, पैदल मेरे साथ चलो। यदि खिलौने लाना हो तो, पैदल मेरे साथ चलो।
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कब दौ़ड़ेगी रेलगाड़ी, हाथ हिलाकर छोड़ आऊंगा..., कब दौड़ेगी रेलगाड़ी मैं खिड़की से खेतों को देखूंगा....
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