दीपावली कविता : दीप जलाएं
- डॉ. रामनिवास 'मानव'
हंसे-हंसाएं
घर-आंगन में नन्हे-नन्हे,
फूल खिलाएं
दीप जलाएं।
राह दिखाएं
गली-गली में, हर कोने में,
जोत जगाएं
दीप जलाएं।
ध्वजा उठाएं
ज्ञान-गुणों की अलख जगाकर,
भूत भगाएं
दीप जलाएं।
आस जगाएं
सुन्दर-सुन्दर सपने देखें,
और दिखाएं
दीप जलाएं।
साभार- देवपुत्र