मंगलवार, 5 नवंबर 2024
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दीपावली कविता : दीप जलाएं

दीपावली कविता : दीप जलाएं - Diwali Poem
- डॉ. रामनिवास 'मानव'


 
हंसे-हंसाएं
घर-आंगन में नन्हे-नन्हे,
फूल खिलाएं
दीप जलाएं।
 
राह दिखाएं
गली-गली में, हर कोने में,
जोत जगाएं
दीप जलाएं।
 
ध्वजा उठाएं
ज्ञान-गुणों की अलख जगाकर,
भूत भगाएं
दीप जलाएं।
 
आस जगाएं
सुन्दर-सुन्दर सपने देखें,
और दिखाएं
दीप जलाएं।
साभार- देवपुत्र