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बाल कविता : बचपन ऐसा ही होता है...

बाल कविता : बचपन ऐसा ही होता है... - childhood poem
मंजन करके आ गई लड़की।
सारा मंजन खा गई लड़की।
 
प्यारे-प्यारे से पचपन का,
सब आनंद उठा गई लड़की।
 
पापाजी ने जब डांटा तो,
हंसकर धता बता गई लड़की।
 
मम्मीजी ने जब पूंछा तो,
मुंह का पता बता गई लड़की।
 
दादाजी को पप्पी देकर,
अपना प्यार जता गई लड़की।
 
दादीजी को हंसते-हंसते,
अपने दांत दिखा गई लड़की।
 
बचपन ऐसा ही होता है,
यह अहसास करा गई लड़की।
 
ऐसा ही कुछ मैं करता था,
बचपन याद दिला गई लड़की।

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