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चटपटी कविता : किसने बोला

चटपटी कविता : किसने बोला - Poem on Nature
पूरब के पर्वत पर किसने,
बिठा दिया सूरज का गोला।
 
'बड़ी भोर में बांग लगाना,'
किसने यह मुर्गे से बोला।
 
किसने कहा धूप से 'छत पर,
सुबह-सुबह से सेज बिछाना।',
 
किसने भंवरों से बोला है,
सुबह फूल का कान खुजाना।
 
ओस कणों से किसने बोला,
पत्तों का गहना बन जाना।
 
सूरज की किरणों से डरकर,
कुछ ही पल में गुम हो जाना।
 
तितली को किसने बोला है।
कलियों की खुशबू ले आना।
 
मधु मक्खी से किसने बोला,
फूलों से मधु कलश चुराना।
 
कहा हवा से किसने होगा,
खुशबू चारों ओर उड़ाना।
 
जिसने भी यह सब बोला हो,
उसका मुझे नाम बतलाना।

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