प्रदेश के न्यायाधीशों को लैपटॉप मिलने के साथ ही राज्य में ई-जस्टिस युग की शुरुआत हो चुकी है। इन लैपटॉप के जरिये न सिर्फ न्याय प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, बल्कि लोग अब घर बैठे हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल कर सकेंगे।
इस व्यवस्था में देशभर की अदालतें कम्प्यूटर और इंटरनेट के जरिये आपस में जुड़ जाएँगी तथा लोगों को न्याय भी जल्दी मिल सकेगा। साथ ही जजों को जहाँ न्याय प्रक्रिया की हर नवीनतम सूचना की जानकारी होगी, वहीं कानून की मोटी-मोटी किताबों में सिर खपाने से मुक्ति मिलेगी।
लैपटॉप को जजों की ट्रेनर भी कहा जा रहा है। हाल में जबलपुर हाईकोर्ट और भोपाल जिला अदालत सहित राज्य के 849 न्यायाधीशों को समारोहपूर्वक लैपटॉप प्रदान किए गए।
यह देशभर में लागू महत्वाकांक्षी ई-कोर्ट परियोजना का हिस्सा है। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक संचार और सूचना के माध्यमों के जरिये पूरे देश की अदालतों को जोड़ना है।
इसके लिए सभी जजों को तीन माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण जज और कर्मचारियों को एक साथ दिया जा रहा है। परियोजना पर केंद्र सरकार 854 करोड़ रु. खर्च करेगी।
पहले चरण में 442 करोड़ रु. खर्च किए जा रहे हैं। इसमें से 125 करोड़ रु. केवल कम्प्यूटर और हार्डवेयर पर व्यय किए जाएँगे। परियोजना के अंतर्गत देश के 2 हजार 500 कोर्ट लैपटॉप से लैस होंगे।
जस्टिस लाहोटी की देन : ई-कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी का सपना है। उन्होंने ही कम्प्यूटरों के महत्व को पहचानते हुए इसका उपयोग न्याय व्यवस्था में बदलाव करने की ठानी।
उन्हीं की पहल पर 28 दिसंबर 2004 को केंद्र सरकार ने न्यायपालिका के कम्प्यूटरीकरण के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने का फैसला किया। भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश की सहायता के लिए डॉ. जीसी भरुचा की अध्यक्षता में ई-कमेटी का गठन किया गया।
परियोजना की शुरुआत प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने 4 अगस्त 2005 को की थी। 9 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने ई-कोर्ट योजना का उद्घाटन किया। देश में कुल 12 हजार 155 न्यायाधीशों को लैपटॉप दिए जा रहे हैं।
कैसे काम करेंगे : जजों को लैपटॉप देने का मकसद उन्हें अपने कार्य में और सक्षम बनाना है। निजी तौर पर कुछ जज अभी भी इस अत्याधुनिक उपकरण का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन कई के लिए यह तकनीक अभी नई है। इसके लिए ई-कमेटी द्वारा नियुक्त प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पहले चरण में जज सीडी और कानून संबंधी वेबसाइटों पर उपलब्ध केस लॉ खोजने, निर्णय एवं अन्य दस्तावेज तैयार करने, वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर के उपयोग करने और पर्सनल नोट्स तैयार करने में समर्थ हो सकेंगे। इनके अलावा राजस्व, उपभोक्ता व तहसील कोर्ट भी ऑनलाइन होंगे।
क्या सुविधाएँ मिलेंगी : अधिकारियों को उनके लैपटॉप में एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर उपलब्ध होगा। उन्हें मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी भी मिलेगी। इंटरनेट के लिए प्रत्येक जज को यूजर यूनिक आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा।
तालमेल बनेगा : जिला अदालत में ई-कमेटी के ओआईसी एडीजे शैलेंद्र शुक्ला ने बताया कि ई-कोर्ट परियोजना से एडीजे कोर्टों का आपसी तालमेल बनेगा। जिला न्यायाधीश अपने कक्ष में बैठे-बैठे ही लैपटॉप के जरिये अधीनस्थ अदालतों का निरीक्षण कर सकेंगे।
इसके अलावा जजों को संदर्भ के लिए पुस्तकों के पन्ने नहीं पलटने होंगे, क्योंकि लैपटॉप पर ही तमाम कानूनी किताबें उपलब्ध होंगी। बस एक माउस क्लिक की जरूरत है।
यहाँ तक कि हाईकोर्ट का कोई अहम फैसला भी जज एक दिन बाद ही इंटरनेट पर देख सकेंगे। शुक्ला ने बताया कि इन लैपटॉप पर जल्द ही तमाम केंद्रीय व प्रदेश के अधिनियम भी उपलब्ध होंगे। साथ ही नए न्याय दृष्टांत भी देखे जा सकेंगे।
विदेशी कानून भी उपलब्ध : जजों को दिए गए लैपटॉप की खूबी यह है कि इनमें कानून की तमाम किताबें तो मौजूद हैं ही, साथ ही न्यायाधीशों को विदेशी कानून तथा विश्व में होने वाले कानूनी बदलावों की जानकारी भी मिल सकेगी। वे लैपटॉप में अपना प्रोग्राम भी बना सकते हैं।
जजों के डिजिटल हस्ताक्षर : लैपटॉप में जजों के डिजिटल हस्ताक्षर होंगे, जिन्हें बदला नहीं जा सकता। लैपटॉप पर एक सप्ताह बाद लाइनेक्स सिस्टम डाला जाएगा, जिससे वायरस और हेकिंग की समस्या नहीं होगी। एडीजे वीके पाण्डेय का कहना है कि हम अब प्रकरणों और फाइलों का विवरण लैपटॉप में सुरक्षित रख सकते हैं।
ई-मेल से देख सकेंगे फैसला : अदालत में चल रहे मामलों के पक्षकारों और उनके वकीलों को भी लैपटॉप के कारण कई सुविधाएँ मिलने वाली हैं, मसलन उन्हें अब न्याय जल्दी मिल सकेगा। दूसरे, वे अदालत के फैसले ई-मेल के जरिए कम्प्यूटर पर भी देख सकेंगे। इसके लिए उन्हें अदालतों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। साथ ही हाईकोर्ट में अपील भी घर बैठे हो सकेगी।
ई-कोर्ट परियोजना न्यायिक क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम है। ऑनलाइन होने से प्रत्येक न्यायालय और विभाग कम्प्यूटर से जुड़ गए हैं। इससे जिला न्यायाधीश विभाग के कार्य एवं प्रगति का निरीक्षण कर तत्काल मार्गदर्शन दे सकेंगे। साथ ही कम्प्यूटर पर सुनवाई योग्य प्रकरणों की कॉज लिस्ट भी जिला कोर्ट की वेबसाइट पर देखी जा सकती है। - श्रीमती रेणु शर्मा, जिला न्यायाधीश, भोपाल