Last Updated :अटलांटा (वार्ता) , बुधवार, 9 जुलाई 2014 (21:20 IST)
अमेरिकी चुनाव में नस्लवाद का दिखेगा रंग
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में आर्थिक मंदी से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दे चाहे जितने हावी हों पर नस्लभेद की भावना इसमें अपना रंग दिखाने से नहीं चूकेगी।
ब्रेडली प्रभाव के रूप में पहचाने जाने वाली यह अमेरिकी सोच आखिरी समय में बेहद अप्रत्याशित नतीजे ला सकती है। इसे ब्रेडली प्रभाव के रूप इसलिए जाना जाता है, क्योंकि वर्ष 1982 में कैलिफोर्निया के गवर्नर पद के चुनाव में तत्कालीन अफ्रीकी मूल के अमेरिकी उम्मीदवार टॉम ब्रेडली को सभी चुनावी सर्वेक्षणों में बढ़त मिलने के बावजूद अश्वेत होने के कारण हार का मुँह देखना पड़ा था।
हालाँकि हार का यह अंतर महज कुछ वोटों से ही था। राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रैट उम्मीदवार बराक ओबामा और रिपब्लिक उम्मीदवार जॉन मैक्केन के बीच चल रही चुनावी बहस और दोनों पार्टियों के चुनाव प्रचार में हालाँकि कहीं भी कोई नेता या कार्यकता नस्ली टिप्पणी से परहेज कर रहा है, पर इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब सवाल नस्ल का आएगा तब सारे समीकरण बदल सकते हैं।