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  4. Why did the journalist sell his 'Nobel Prize', what is the reason?
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Last Updated : मंगलवार, 21 जून 2022 (18:22 IST)

पत्रकार ने आखिर क्‍यों बेचा अपना ‘नोबेल पुरस्कार’, क्‍या है वजह?

dimitri
नई दिल्‍ली, नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव ने अपना पदक सोमवार रात नीलाम कर दिया है। मुरातोव ने पुरस्कार की नीलामी से मिली 5,00,000 डॉलर की नकद राशि सीधे संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ को दान करने की घोषणा की है। यह खबर आते ही न्‍यूज चैनल और सोशल मीडिया में फैल गई और चर्चा होने लगी है कि आखिर दिमित्री ने अपना सम्‍मान क्‍यों बेच दिया।

दरअसल, रूस और यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, ऐसे में वहां कई बच्‍चों को आर्थिक मदद की जरूरत है। ऐसे में यह प्रतिष्ठित संस्था पुरस्‍कार से प्राप्‍त हुई धनराशि को यूक्रेनी बच्चों के कल्याण के लिए खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि इस दान का उद्देश्य शरणार्थी बच्चों को भविष्य के लिए एक मौका देना है। नीलाम होने वाला नोबेल पदक 23 कैरेट सोने से निर्मित और 175 ग्राम वजन का है। उस पर महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की मुखाकृति बनी हुई है।

मुरातोव ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह खासतौर पर उन बच्चों के लिए चिंतित हैं, जो यूक्रेन में संघर्ष के कारण अनाथ हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उनका भविष्य लौटाना चाहते हैं।’ मुरातोव ने हेरीटेज ऑक्शंस द्वारा जारी वीडियो में कहा कि यह अहम है कि रूस के खिलाफ लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल दवाएं और अस्थि मज्जा प्रतिरोपण जैसी मानवीय सहायता जरूरतमंदों तक पहुंचने से न रुके। नीलामी प्रक्रिया का संचालन करने वाली हेरीटेज ऑक्शंस इससे मिलने वाली धनराशि में कोई हिस्सा नहीं ले रही है।

दिमित्रि मुरातोव को अक्टूबर 2021 में फ्री स्पीच पर उनकी पत्रकारिता के लिए शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। वह रूसी अखबार 'नोवाया गजट' के एडिटर-इन-चीफ थे, लेकिन पुतिन सरकार की कार्रवाई की वजह से इसी साल मार्च में उनके अखबार पर ताला लग चुका है। यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर सार्वजनिक असंतोष को दबाने और पत्रकारों पर रूसी कार्रवाई के चलते यह अखबार बंद कर दिया गया था। स्वर्ण पदक से सम्मानित मुरातोव ने स्वतंत्र रूसी अखबार ‘नोवाया गजट’ की स्थापना की थी। बता दें कि मुरातोव 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा जमाने और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बड़े आलोचक रहे हैं।
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