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आंखों देखी! जब लेफ्टिनेंट पायलट ने देखी थी उड़न तश्तरी और फिर प्रशांत महासागर में मच गई उथल-पुथल

आंखों देखी! जब लेफ्टिनेंट पायलट ने देखी थी उड़न तश्तरी और फिर प्रशांत महासागर में मच गई उथल-पुथल - When the lieutenant pilot saw the flying saucer and then there was turmoil in the Pacific Ocean
अलेक्स डीट्रिश, 2004 वाली घटना की स्वयं प्रत्यक्षदर्शी रही हैं। उन दिनों वे अमेरिकी नौसेना में युद्धक विमान चलाने वाली 24 साल की लेफ्टिनेंट पायलट थीं। 14 नवंबर का दिन था। उनका विमानवाही युद्धपोत 'USS निमित्स' प्रशांत महासागार के सैन डियेगो द्वीप से क़रीब 160 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में था। एक अभ्यास उड़ान के लिए अलेक्स अपने सहचालक, कमांडर डेविड फ़ैरोवर के साथ उड़ीं। तभी, कुछ दूर के एक दूसरे युद्धपोत का राडार एक ऐसी अजीब उड़नशील चीज़ दिखाने लगा, जो क़रीब 25 किलोमीटर की ऊंचाई पर से समुद्र की तरफ़ गिरती लग रही थी।
 
अलेक्स का विमान जैसे ही उस चीज़ के निकट पहुंचा, दोनों चालकों ने पाया कि तब तक पूरी तरह शांत रहे प्रशांत महासागर में अचानक भारी उथलपुथल मच गई थी। दोनों ने बताया कि उन्हेंने एक ऐसी चीज़ देखी, जो किसी हवाई जहाज़ जितनी बड़ी थी, पर उसकी बनावट पेपरमिंस की गोलियों वाली किसी टिक-टैक डिबिया जैसी थी। उन्होंने पाया कि वह चीज़ बड़ी तेज़ी से कभी आगे तो कभी पीछे से, कभी दाएं तो कभी बाएं से पानी पर ऐसे थपेड़े मार रही है, मानो बहुत कुपित है।
 
अलेक्स डीट्रिश के अनुसार, वह अजीब चीज़ पानी पर एक जगह से दूसरी जगह उछल भी रही थी। उनके शब्दों में, 'मेरा दिमाग़ समझने की कोशिश कर रहा था कि क्या वह शायद कोई हेलीकॉप्टर है? या शायद कोई ड्रोन है?' लेकिन इसके पहले कि दोनों विमान चालक कुछ समझ पाते, वह रहस्यमय चीज़ ग़ायब हो गई! दोनों ने अपने अफ़सरों को तुरंत अपने अनुभव सुनाए। उसी दिन, ग़ायब होने के कुछ ही क्षण बाद, वह अजीब-सी चीज़ कोई 100 किलोमीटर दूर, एक दूसरे नौसैनिक जहाज़ के राडार-पर्दे पर दिखाई पड़ने लगी। इस बार एक दूसरे नौसैनिक विमान चालक ने अपने विमान के इन्फ्रारेड स्कैनर-कैमरे द्वारा उसका वीडियो बना लिया।
 
अमेरिका की संसदीय सुनवाई : UAP- कार्यदल ने ये तीनों और कुछ दूसरे वीडियो भी देखे हैं, तब भी उसका कहना था कि उसे ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले कि वीडियो में दिखती चीज़ें किसी दूसरे ग्रह से आई रही हों या अमेरिका के किसी शत्रु देश की ओर संकेत करती हों। यह मामला क्योंकि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा का भी है, इसलिए इन्हीं दिनों, 17 मई 2022 को, अमेरिकी सांसदों की एक टीम ने 'अबूझ हवाई प्रतिभासों' वाले UAP अवलोकनों की एक संसदीय सुनवाई की।
 
इस सुनवाई के दौरान बताया गया कि विमान चालकों द्वारा देखे और सूचित किए गए UAP  अवलोकनों की संख्या अब क़रीब 400 हो गई है। उनकी जान-पहचान अब भी अबूझ बनी हुई है, उनका अस्तित्व हालांकि एक यथार्थ है। इस बीच UAP देखने के 144 मामलों में से कम से कम 80 को अलग-अलग तकनीकी सेंसरों द्वारा दर्ज किया गया है, पर वे क्या हैं, यह अब भी एक पहेली बना हुआ है। माना जा रहा है कि वे हवाई उड़ानों के लिए ख़तरा और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनैती बन सकते हैं।
 
इस सुनवाई के समय, पिछले वर्ष का नौसेना के एक विमान चालक का एक वीडियो दिखाया गया, जिसमें एक गोलाकार चीज़ बड़ी तेज़ी से उसके कॉकपिट, यानी चालक कक्ष के बिल्कुल पास से गुज़र गई। रात्रिकालीन कैमरे से बने एक दूसरे वीडियो में अमेरिका के पश्चिमी तट के पास से एक त्रिकोणीय चीज़ जाती हुई दिख रही थी।
अमेरिकी विमानों के साथ किसी UAP की अब तक कोई टक्कर नहीं हुई है, लेकिन कम से कम 11 बार टक्कर होने की नौबत भी आती लगी। अमेरिकी नौसेना की गुप्तचर सेवा के उपनिदेशक स्कॉट ब्रे ने ये जानकारियां देते हुए कहा कि दूसरे देशों से भी उन्हें इस तरह के अवलोकनों के समाचार मिला करते हैं। चीन ने भी एक UAP-कार्यदल बना रखा है। ब्रे का कहना था कि 21वीं सदी शुरू होने के साथ इन अवलोकनों की संख्या लगातार बढ़ती गई है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि अब अमेरिकी सेना के पास बेहतर सेंसर हैं और बिना चालकों वाले ड्रोन विमानों की सहायता से भी अवलोकन किए जा सकते हैं। 
 
'उड़न-तश्तरी' नाम कैसे पड़ा : आकाश में रहस्यमय परिदृश्यों की बातें वैसे तो सदियों से होती रही हैं। लेकिन अमेरिका और पश्चिमी जगत में उनके प्रति नया कौतूहल 1947 की एक घटना से जागा। उस वर्ष एक शौकिया विमान चालक, केनेथ अर्नाल्ड ने, अमेरिका के वॉशिंटन राज्य में माउन्ट रेनीयर के पास 'बूमरैंग' जैसे आकार वाली नौ उड़नशील चीज़ें देखने का दावा किया। अर्नाल्ड ने उन उड़नशील चीजों को 'फ्लायिंग सॉसर,' अर्थात 'उड़न-तश्तरी' नाम दिया। कहा कि वे ध्वनि से भी डेढ़ गुनी तेज़ गति से उड़ रही थीं। 'बूमरैंग' अंग्रेज़ी के L अक्षर के आकार से मिलता-जुलता एक ऐसा हथियार है, जो ऑस्ट्रेलिया के आदिवासियों का अविष्कार है। हवा में ज़ोर से चला कर फेंकने पर वह कुछ दूर जा कर वापस आ जाता है। 
 
अर्नाल्ड के समय से ही आकाश में उड़ती दिख रही उन सभी चीज़ों को 'उड़न-तश्तरी' कहा जाने लगा, जो अबूझ और अविश्वसनीय लगती हैं। किंतु इन चीज़ों के आकार हमेशा तश्तरी की तरह वृत्ताकार ही नहीं होते, आयताकार, गेंद की तरह गोलाकार या त्रिकोणीय भी होते हैं। इसलिए समय के साथ उन्हें 'अन-आइडेन्टिफ़ाइड फ्लायिंग ऑब्जेक्ट– UFO' कहा जाने लगा। हिंदी में हम उन्हें 'अबूझ' या 'अज्ञात' उड़नशील वस्तुएं कहेंगे। अमेरिका में 1952 से 1969 के बीच UFO देखने के 12 हज़ार से अधिक दावे किये गए।
 
एलियन पृथ्वी को देखने आते हैं : आकाश की ओर से किसी ख़तरे की अग्रिम पहचान के लिए 2007 में अमेरिका में एक गोपनीय एजेंसी बनी। नाम था 'एडवांस्ड एरोस्पेस थ्रेट आइडेन्टिफ़िकेशन प्रोग्रैम' (AATIP)। लुई एलीज़ोन्डो उसके निदेशक थे। उसके कामों को अतिशय गोपनीय रखने की सरकारी नीति से तंग आकर, 2012 में एलीज़ोन्डो ने त्यागपत्र दे दिया।

अमेरिकी टीवी चैनल CNN से इन्हीं दिनों उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में कम से कम दो ऐसे मामले ज़रूर हुए थे, जिनमें अमेरिकी नौसेना के दो विमान चालकों के अवलोकनों से इस बात की पुष्टि होती थी कि परग्रही एलियन, और कुछ नहीं, तो कम से कम हवा में रहकर हमारी पृथ्वी को देखने आते थे। उनके अनोखे 'यान' ऐसे उड़ते थे, मानो 'वायुगतिकीय (एरोडाइनैमिक्स) के नियम उन पर लागू ही नहीं होते। वे ऐसे गुणों से लैस थे, जो न तो अमेरिकी और न किसी दूसरे देश के यानों के बारे में ज्ञात हैं।'
 
ऐसी अबूझ उड़नशील चीज़ें अमेरिका में ही नहीं, भारत सहित यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी देखे जाने के अनेक दावे हैं। 2007 तक अकेले फ़्रांस में 1600 ऐसे मामले नोट किए गए, जिनमें से एक-चौथाई को फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी CNES की इंटरनेट साइट पर भी देखा जा सकता है। वह दुनिया की ऐसी पहली राष्ट्रीय एजेंसी है, जिसने अपने UFO संग्रह सबके लिए खोल दिए। फ्रांस का कहना है कि उसके डेटा-बैंक के 28 प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जो अब भी अबूझ हैं।
 
दो फ्रांसीसी बच्चों ने एलियंस देखे : ऐसा ही एक मामला गाय चराते दो फ्रांसीसी बच्चों के बारे में है। दोनों भाई-बहन थे। 1967 में दोनों ने लगभग सवा मीटर के नाटे कद वाले चार ऐसे काले एलियन्स देखे, जो गेंद जैसी एक गोलाकार चीज़ में चढ़कर उड़ गए और अपने पीछे गंधक जैसी दुर्गंध छोड़ गए। इस घटना के एक वयस्क गवाह ने कहा कि गंधक वाली गंध उसने भी महसूस की और उड़ने वाली चीज़ की सीटी जैसी आवाज़ भी सुनी, लेकिन उस चीज़ को स्वयं देख नहीं पाया।
 
1994 में हुई एक दूसरी घटना में एयर फ्रांस के एक विमान के कर्मीदल ने, 10 हज़ार 500 मीटर की ऊंचाई पर, लाल-भूरे रंग की एक बड़ी-सी तश्तरीनुमा चीज़ देखी, जिसकी बनावट लगातार बदलती नज़र आ रही थी। उस अबूझ चीज़ को राडार ने भी दर्ज किया। 3 जून 2021 तक जर्मनी में भी अबूझ उड़नशील वस्तुएं देखने के 15 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी व्याख्या के लिए सारे तर्क काम नहीं देते, पर जिन्हें रफ़ा-दफ़ा भी नहीं किया जा सकता।
 
विज्ञान का 'प्रतिरूप' सिद्धांत : विज्ञान में एक ऐसा 'प्रतिरूप' सिद्धांत है, जो कहता है कि पृथ्वी पर जिस तरह जीवधारियों की उत्पत्ति हुई, उसके प्रतिरूप के तौर पर अंतरिक्ष में भी कहीं न कहीं शून्य डिग्री पर पानी जमने लगता होगा। कहीं न कहीं किसी तारे के प्रकाश और नमी के मेल से बैक्टीरिया के रूप में जीवन जन्म लेता होगा। वह जगह किसी ग्रह के रूप में ही होगी। एक ऐसे ग्रह के होने की संभाव्यता गणित के आधार पर सिद्ध की जा चुकी है। 
 
यह भी माना जा सकता है कि असंख्य तारों, तारकमंडलों और मंदाकिनियों वाले हमारे ब्रह्मांड में अनेक ऐसे ग्रह-उपग्रह भी होंगे, जहां हम पृथ्वीवासियों से कहीं बढ़-चढ़ कर विकसित सभ्यताओं वाले प्राणी हो सकते हैं। जिस तरह हम जानना चाहते हैं कि हमारी पहुंच के भीतर कहां जीवन है, वैसे ही वे भी जानना चाहते होंगे कि उनकी पहुंच के भीतर कहां क्या हो रहा है।
 
हो सकता है कि ऐसे ही परग्रही, जिन्हें अंग्रेज़ी में हम 'एलिय़न' यानी अपरिचित या पराया कहते हैं, हमारी पृथ्वी को देखने-जानने यहां आते हों। उनके पास ज़रूर ऐसे अंतरिक्षयान होंगे, जो हमारे रॉकेटों और अंतरिक्षयानों से कई गुना तेज़ गति वाले होंगे, अन्यथा वे यहां तक पहुंच नहीं पाते। उनकी संचार तकनीक भी हमारी तकनीक से बहुत भिन्न होगी, इसीलिए हम उनकी बातचीत सुन नहीं पाते। हम उन्हें साक्षात देख-समझ नहीं पा रहे हैं, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि उनका अस्तित्व हो ही नहीं सकता। 
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