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दुनिया के इतिहास में नया अध्‍याय हो सकती है Supersonic Jet की वापसी

Supersonic Jet
Supersonic Jet : अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा (NASA) ने 13 जनवरी को एक ऐसा विमान पेश किया, जिसके साथ ध्वनि से भी लगभग डेढ़ गुनी अधिक गति के साथ उड़ने वाले सुपरसॉनिक यात्री जेट विमानों की वापसी हो सकती है। ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा मिल कर बनाए गए इस प्रकार के प्रथम दो विमान ‘कॉनकॉर्ड’ के नाम से प्रसिद्ध हुए थे और 1976 से 2003 तक यूरोप और अमेरिका के बीच उड़ा करते थे।

ब्रिटिश-फ्रांसीसी ‘कॉनकॉर्ड’ की सबसे बड़ी कमी यह थी कि ध्वनि की गति को जब वे पार करते थे तो आकाश में एक ज़ोरदार अप्रिय धमाका होता था। ध्वनि की गति 1235.5 किलोमीटर प्रतिघंटा है। फ्रांसीसी ‘कॉनकॉर्ड’ पेरिस में एक दुर्घटना का शिकार हो गया और ब्रिटिश ‘कॉनकॉर्ड’ यात्रियों की कमी के कारण घाटे का शिकार बना।
नासा ने 13 जनवरी को X-59 नाम का जो सुपरसॉनिक (ध्वनि से भी तेज़/अतिस्वन) विमान पामडेल, कैलिफ़ोर्निया में दिखाया, उसे ‘व्हिस्पर कॉनकॉर्ड’ यानी ‘फुसफुसाहटी कॉनकॉर्ड’ बताया। ध्वनि की गति वाली सीमा पार करने पर उसकी आवाज़ फुसफुसाने, कार का दरवाज़ा बंद करने या किसी चीज़ को थपथपाने से अधिक नहीं होगी।

एक नए अध्याय का आरंभः नासा का मानना है कि यह विमान सुपरसॉनिक उड़ान के इतिहास में एक नए अध्याय का आरंभ बन सकता है। उसकी गति, ध्वनि की गति से 1.4 गुनी अधिक, यानी 1488 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। किसी उड़ान में लगने वाला समय आज की अपेक्षा आधा हो जायेगा। उदाहरण के लिए, दिल्ली और लंदन के बीच, बिना कहीं रुके, सीधी उड़ान में आजकल क़रीब साढ़े 8 घंटे लगते हैं। नासा का X-59 इस समय को आधा कर देगा।

इस विमान को जो अभी एक परीक्षण मॉडल है, नासा की डिज़ाइन के अनुसार अमेरिका की ही लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने क़रीब 25 करोड़ डॉलर में बनाया है। पहली नज़र में उसकी सबसे अनोखी विशेषता है लगभग बारह मीटर लंबी उसकी नाक, जिसके सिरे पर मानो बत्तख की चोंच है। विमान चालक के लिए सामने कोई कॉकपिट खिड़कियां नहीं हैं। कॉकपिट (चालक कक्ष) लंबी चोंच के बहुत पीछे, विमान के लगभग बीच में है। उसमें सामने की तरफ कोई खिड़की नहीं है, क्योंकि उस दूरी पर से चालक वैसे भी सामने बहुत कुछ देख नहीं सकता।

कैमरे बनेंगें आंखें : सामने का दृश्य चालक को कैमरे की सहायता से एक ‘वर्चुअल फ्रन्ट स्क्रीन’ पर दिखाई पड़ेगा। स्क्रीन पर ही अन्य आवश्यक आंकड़े आदि भी दिखाई पड़ेंगे। कॉकपिट में सामने के बदले दायें-बायें और ऊपर की तरफ देखनें के लिए खिड़कियां हैं। नासा ने अपने इस मॉडल को संक्षेप में ‘क्वेस्ट’ (Quesst / Quiet SuperSonic Technology) प्रोजेक्ट नाम दिया है, जिसका अर्थ है ‘शांत सुपरसॉनिक तकनीक।‘

प्रस्तुत किए गए मॉडल X-59 की लंबाई 30 मीटर, पंखों का फैलाव नौ मीटर और ऊंचाई3 मीटर है। ईंधन सहित वज़न होगा 14.7 टन। कॉकपिट में केवल एक पायलट हुआ करेगा। विमान का इंजन जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ने बनाया है। इस इंजन की सहायता से 16 किलोमीटर की ऊंचाई पर X-59, ध्वनि की गति से संभवतः 1.5 गुनी अधिक गति भी प्राप्त कर सकता है। नासा के प्रबंधक पीटर कोएन ने कहा, हमारा उद्देश्य सुपरसॉनिक उड़ान के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करना और हवाई यातायात को दोगुना तेज़ करना है, लेकिन सदा पहले की तुलना में बहुत शांति बनाए रखना है।

सुपरसॉनिक उड़ानों पर प्रतिबंधः दो दशक पूर्व तक के ब्रिटिश-फ्रांसीसी कॉनकॉर्ड के बाद के सुपरसॉनिक विमानों को लेकर अब तक एक बड़ी समस्या यह रही है कि 1973 से अमेरिकी भूमि के उपर नागरिक सुपरसॉनिक उड़ानों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यह प्रतिबंध समय की बचत के लाभ को नकार देता है, विशेषकर अमेरिकी वेस्ट कोस्ट और यूरोप के बीच की और स्वयं अमेरिकी के भीतर की उड़ानों के लिए भी।

ब्रिटेन और फ्रांस के कॉनकॉर्ड सुपरसॉनिक विमान क़रीब ढाई दशक तक पश्चिमी यूरोप और पूर्वी अमेरिका के बीच उड़ते रहे। यूरोप में सूर्यास्त होने पर वे उड़ते थे और साढ़े 3 घंटे बाद अमेरिका में सूर्योदय होने तक वहां पहुंच जाते थे। कई अमेरिकी एयरलाइंस भी एक बार कॉनकॉर्ड विमानों की ख़रीद का ऑर्डर देना चाहती थीं। लेकिन उनकी सुपरसॉनिक गति पर अमेरिकी भूमि के ऊपर प्रतिबंध के कारण यूरोपीय मॉडल उनके लिए किसी काम के नहीं रहे।

नियमों को बदला भी जा सकता हैः कॉनकॉर्ड विमानों की तरह के पर ध्वनी की गति से दो गुनी अधिक गति वाले यानी मैक2 की गति वाले अमेरिकी बोइंग 2707 का निर्माण कभी साकार नहीं हुआ। सोवियत सुपरसॉनिक मॉडल तुपोलेव "टीयू-144" का जीवनकाल भी बहुत छोटा निकला। तब भी सुपरसॉनिक यात्री जेट विमानों के विचार को कभी पूरी तरह त्यागा भी नहीं गया। अब कहा जा रहा है कि ध्वनी वाले धमाके (बूम) से बचने की सही तकनीक यदि मिल जाती है, तो अब तक के नियमों को बदला भी जा सकता है। एक्स-59 की प्रस्तुति के समय भी यही कहा गया।

पिछले विमानों के डिज़ाइनों से तथाकथित ‘सोनिक बूम’ हमेशा तब होता है, जब विमान शुष्क हवा में लगभग 1235 किलोमीटर प्रति घंटे की ध्वनि की गति से गुजरता है। नासा के X-59 मॉडल में, हवा को युक्तिपूर्वक विमान के चारों ओर निर्देशित किया जाता है। भौतिकी के नियमों को बदला तो नहीं जा सकता, किंतु X-59 मॉडल उन्हें यथासंभव मात देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

हाई-टेक कैमरे और स्क्रीनः विमान की अत्यधिक लंबी नाक के कारण पायलट के पास केवल सीमित दृश्यता होगी। कॉकपिट में कोई विंडस्क्रीन नहीं होगा। इससे वायुगतिकी में भी सुधार होगा। पायलट आगे देखने के लिए हाई-टेक कैमरों और स्क्रीन पर निर्भर रहेगा। तुलना के लिए: ब्रिटिश-फ्रासीसी कॉनकॉर्ड, नासा के X-59 की अपेक्षा दोगुने से अधिक लंबा था। ध्वनि की गति से दोगुना तेज़ था और उसमें 100 यात्रियों के बैठने के लिए जगह होती थी।

जुलाई 2000 में फ्रांसीसी कॉनकॉर्ड, पेरिस के हवाई अड्डे के रनवे पर पड़े हुए धातु के एक टुकड़े कारण एक भीषण दुर्घटना का शिकार हो गया। उसमें सवार यात्रियों और कर्मीदल सहित सभी 109 लोगों की मृत्यु हो गई। एक ही साल बाद, 11 सितंबर 2001 के दिन अल क़ायदा के अरबी आतंकवादियों ने 4 अपहृत जेट विमानों को न्यूयॉर्क के ट्रेड सेंटर और दो और जगहों पर टकरा कर जो विध्वंसलीला की, उसने विमान यात्राएं इतनी मंहगी बना दीं कि ब्रिटिश एयरवेज़ के पास जो एकमात्र कॉनकॉर्ड सुपरसॉनिक जेट बचा था, उसे 24 अक्टूबर 2003 के दिन सेवानिवृत्त कर दिया गया।

सुपरसॉनिक विमानों का पुनर्जन्मः इस बीच सुपरसॉनिक जेट विमानों का अमेरिका में पुनर्जन्म होता दिख रहा है। नासा और लॉकहीड मार्टिन के अलावा बूम (Boom) नाम की एक स्टर्ट-अप कंपनी भी ‘ओवरट्युर’ (Overture) नाम का एक सुपरसॉनिक यात्री-जेट बनाने में लगी है। उसमें 55 सीटें होंगी। उसका कहना है कि उसके विमान कॉनकॉर्ड की अपेक्षा अधिक गति वाले और बेहतर होंगे। किंतु इस कंपनी को अपने पहले विमान का परीक्षण अब तक कई बार टालना पड़ा है। पहला परीक्षण कब हो पायेगा, कोई नहीं जानता। 2002 में स्थापित एक दूसरी अमेरिकी कंपनी ऐरियॉन (Aerion) यूरोपीय एयरबस कंपनी की सहायता से 12 सीटों वाला एक बिजनेस सुपरसॉनिक जेट बनान में लगी है, जो ध्वनि की गति से डेढ़ गुनी अधिक गति वाला होगा।
Edited By : Navin Rangiyal
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