• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. आदित्य-L1 मिशन
  4. Aditya L-1 Solar Mission: How many countries of the world have sent Solar Mission before India

Aditya L-1 Solar Mission: भारत से पहले दुनिया के कितने देश भेज चुके हैं Solar Mission, कौन पास, कौन हुआ फेल?

Aditya L
ISRO Solar Mission : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने अपना सूर्य मिशन आदित्य L-1 शनिवार 2 सितंबर को लॉन्च किया। सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आदित्‍य मिशन आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्चिंग पैड से सूर्य की यात्रा पर भेजा गया। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच L-1 Point तक जाएगा, जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।

बता दें कि आदित्‍य-L1 सूरज पर नहीं उतरेगा, बल्‍कि 14.85 करोड़ KM दूर से सूर्य का अध्‍ययन करेगा और अपने परिणाम इसरो स्‍पेस रिसर्च को भेजेगा। इसमें सूरज के अध्ययन के लिए 7 पेलोड लगाए गए हैं।

कहां तक जाएगा, क्‍या है मकसद : सौर मिशन आदित्य L-1 पृथ्वी और सूर्य के बीच के गुरुत्वाकर्षण पॉइंट को बराबर करने वाले L-1 Point तक जाएगा, जो धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इसी पॉइंट से Aditya L-1 Mission सूरज पर नजर रखेगा और उसके परिणामों को धरती पर भेजेगा। बता दें कि सूर्य की स्‍टडी करने वालों में इसरो और इसरो के वैज्ञानिक दुनिया में पहले नहीं हैं। इससे पहले भी कई देश यह कोशिश कर चुके हैं। हालांकि अब तक एक ही मिशन को कुछ हद तक सफलता मिल सकी है।

कितने देश भेज चुके हैं सूर्य पर मिशन : भारत ने अपना पहला सूर्य मिशन 2 सितंबर को भेजा। लेकिन आपको बता दें कि भारत से पहले दुनिया के 3 देश सूरज पर मिशन भेज चुके हैं। सूर्य मिशन भेजने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी और यूरोपियन स्पेस एजेंसी हैं। इन देशों और स्‍पेस एजेंसी ने अब तक 22 बार सूरज तक पहुंचने की कोशिश की है, हालांकि सिर्फ एक ही बार वहां के परिणाम हासिल करने में कामयाबी मिल सकी है। हालांकि ये सैंपल भी सूरज नहीं बल्कि उससे बेहद दूर चक्कर लगाते समय राह में आई सौर हवाओं के थे। इसके बावजूद यह मिशन सफल माना जाता है, क्योंकि करीब 1.5 करोड़ डिग्री तापमान वाले सूरज पर लैंड कर रिसर्च करने की बात असंभव सी है। ऐसे में अब पूरी दुनिया की नजर भारत के आदित्‍य एल1 पर टिकी है।

1960 में NASA ने भेजा था मिशन: बता दें कि सूरज पर सबसे पहला मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भेजा था। यह मिशन साल 1960 में लॉन्च किया गया था, जिसका नाम पायनियर-5 (Pioneer-5 Solar Mission) था। इसके बाद से अब तक नासा ने ही सूरज पर सबसे ज्यादा मिशन भेजे हैं। सूरज की तरफ भेजे गए मिशन में से 14 मिशन अकेले नासा के रहे हैं, जबकि उसने जर्मनी और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर भी 5 मिशन लॉन्च किए हैं। नासा के 12 मिशन सूर्य के चारों तरफ अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाने वाले आर्बिटर हैं, जो अपना काम कर रहे हैं।

जर्मनी- EU स्पेस ने भेजे 6 मिशन : जर्मनी ने सूरज पर रिसर्च करने के लिए दो मिशन भेजे हैं। दोनों में ही NASA इस मिशन का पार्टनर रहा है। पहला मिशन 1974 में और दूसरा 1976 में भेजा गया था। इनका नाम हेलियोस-ए और हेलियोस-बी था। इसी तरह यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency) ने अब तक 4 मिशन भेजे हैं। इनमें से तीन मिशन ESA ने NASA के साथ मिलकर किए हैं, जिनमें पहला मिशन 1994 में भेजा गया था। NASA और ESA के तीनों संयुक्त मिशन उलिसस सीरीज के थे, जबकि साल 2021 में ESA ने सोहो नाम से अपना पहला स्वतंत्र मिशन लॉन्च किया है, जो एक सोलर आर्बिटर है।

NASA का मिशन सूर्य के करीब: NASA का एक मिशन फ्लाई बाई यानी सूरज के ज्यादा से ज्यादा करीब जाने का है। इस मिशन का नाम Parker Solar Probe है। यह मिशन सूरज के चारों तरफ 26 बार चक्कर काट चुका है, लेकिन अब भी यह अपने रास्ते में ही है। बता दें कि सूरज से पृथ्वी की दूरी 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है, जिसे तय करने में किसी भी यान को सैकड़ों साल लग सकते हैं। दरअसल, इस मिशन की मदद से NASA  यह जानना चाहता है कि कोई मिशन सूरज के कितने करीब पहुंचाया जा सकता है।

कौन से Solar Mission हुए पास और फेल?
Pioneer-5 Solar Mission: नासा का पॉयनियर-ई मिशन था, जिसे नासा ने साल 1969 में लॉन्च किया था। यह एक ऑर्बिटर था, लेकिन तय कक्षा में पहुंचने के बजाय यह एक अलग दिशा में चला गया था। इसे इसलिए असफल माना जाता है, क्‍योंकि यह अपनी तय कक्षा में नहीं पहुंच पाया था।

ESA के जॉइंट प्रोजेक्ट उलिसस-3: नासा और ESA के जॉइंट प्रोजेक्ट उलिसस-3 मिशन को कामयाब और नाकामयाब दोनों ही माना जाता है। यह मिशन 2008 में लॉन्च हुआ था और कुछ डाटा भी इसने भेजना शुरू किया था। इसके बाद इस मिशन से संपर्क टूट गया, जिसका कारण बैटरी खत्म होना बताया जाता है।

NASA का Genesis: अब तक का सबसे सफल इकलौता सूर्य मिशन NASA का Genesis माना जाता है, जो साल 2001 में लॉन्च हुआ था। इस मिशन को सूर्य के चारों तरफ की सौर हवाओं के सैंपल लेकर वापस लौटना था। यह स्पेसक्राफ्ट अपना काम पूरा करने के बाद धरती पर लौटा, लेकिन क्रैश हो गया। नासा के वैज्ञानिकों ने उसके टुकड़ों में से बहुत सारे सैंपल प्राप्‍त किए थे। बता दें कि कुछ मिशन अभी अपने टारगेट के रास्ते तक ही पहुंचे हैं, इसलिए उनके परिणामों का अभी इंतजार है। अब जबकि भारत के इसरो ने सफल तरीके से अपने आदित्‍य मिशन को सूरज की यात्रा पर भेज दिया है तो उम्‍मीद की जा रही है जल्‍द ही सूर्य के अध्‍ययन के परिणाम इसरो को मिल सकते हैं।
Edited & Written by Navin rangiyal
ये भी पढ़ें
दीन दयाल रसोई योजना : मध्‍य प्रदेश में गरीबों को मिलेगा 5 रुपए में खाना