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Last Updated : गुरुवार, 8 जनवरी 2015 (00:15 IST)

फ्रांस में मीडिया दफ्तर पर आतंकवादी हमला, 12 मरे

फ्रांस में मीडिया दफ्तर पर आतंकवादी हमला, 12 मरे - terrorist attack in France media
पेरिस। हथियारों से लैस बंदूकधारियों ने इस्लाम समर्थक नारे लगाते हुए आज एक फ्रांसीसी व्यंग्यात्मक अखबार के दफ्तर में धावा बोला और 12 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। मरने वालों में संपादक समेत 10 पत्रकार शामिल हैं जबकि पांच पत्रकारों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इनमें से तीन पत्रकार आईसीयू में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 


पुलिस ने नकाबपोश हमलावरों की धरपकड़ के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। हमलावरों ने कथित तौर पर एक कार अगवा कर ली और वे जल्द ही भाग निकले। उन्होंने एक राहगीर को कुचल दिया और अधिकारियों पर गोलियां चलाई।
 
पुलिस ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों ने हमलावरों की आवाजें सुनी, जो एक स्वचालित रायफल कालशनिकोव और रॉकेट लांचर से लैस थे। हमलावर जोर..जोर से कह रहे थे, ‘हमने पैगंबर का बदला लिया है’ और ‘अल्लाहु अकबर’। मारे गए लोगों में दो पुलिसकर्मियों के शामिल होने की पुष्टि की गई है जबकि पांच लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
 
साप्ताहिक अखबार ‘चार्ली हेबदो’ पर हुए हमले के बाद राजधानी पेरिस को अलर्ट के उच्चतम स्तर पर रखा गया है। इस अखबार ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित कर अतीत में भी मुसलमानों को आक्रोशित किया है।
 
एक न्यायिक सूत्र ने बताया कि हमले में ‘एडिटर इन चीफ’ स्टीफन चारबोनियर जिन्हें चार्ब के रूप में पहचाना जाता था और काबू के रूप में जाने जाने वाले कार्टूनिस्ट टिगनस तथा वोलिंस्की मारे गए हैं। वी फुटेज में इलाके में काफी संख्या में पुलिसकर्मियों, गोलियों से छलनी हुई खिड़कियों और स्ट्रेचर पर ले जाए जाते हुए लोगों को देखा जा सकता है।

इराक और सीरिया में हुए संघर्ष का असर फ्रांस एवं अन्य यूरोपीय देशों में पड़ने की आशंका बढ़ने के बीच ये हमले हुए हैं। आईएस संगठन की ओर से लड़ने के लिए सैकड़ों की संख्या में यूरोपीय नागरिक इराक और सीरिया गए थे। 
 
गोलीबारी के फौरन बाद मौके पर पहुंचे फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इसे एक बर्बर आतंकवादी हमला बताया। ओलांद ने घटनास्थल पर कहा, ‘यह एक असाधारण बर्बर हरकत है, जिसे अभी-अभी यहां पेरिस में एक अखबार के खिलाफ अंजाम दिया गया है, जिसका मतलब स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति (के खिलाफ) है।’
 
गोलीबारी के चश्मदीद रहे एक व्यक्ति ने बताया कि उसने स्थानीय समय के मुताबिक सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे दो हमलावरों को ‘चार्ली हेबदो’ में गोलीबारी करते हुए निकलते देखा।
 
इस व्यक्ति ने बताया, ‘मैंने उन्हें वहां से जाते और गोलीबारी करते देखा। वे नकाब पहने हुए थे।’ ओलांद ने राष्ट्रीय एकजुटता की अपील करते हुए कहा है, ‘हाल के हफ्तों में कई आतंकवादी हमलों को नाकाम किया गया है।’

दरअसल आतंकी जानते थे कि अखबार के दफ्तर में रोज सुबह मीटिंग होती है और हमले के लिए उन्होंने यही वक्त चुना। हमला करने के बाद दोनों आतंकियों ने बगदादी का बदला लेने के नारे भी घटना स्थल पर लगाए और उसके बाद  वे वहां से भाग गए। 

जब चार्ली हेबदो' पत्रिका के संपादक स्टीफन चारबोनियर को जान से मारने की धमकी मिली थी, तब उन्होंने खुद ही पत्रिका में लिखा था 'एक व्यंग चित्र कभी किसी की जान नहीं ले सकता।' लेकिन आज उनकी जान इसी व्यंग चित्र ने ले ली। खुद स्टीफन भी अपनी पत्रिका के लिए कार्टून बनाया करते थे। 
 
इस हमले में डेस्क के नीचे छुपकर अपनी जान बचाने वाले चार्ली हेबदो के कार्टूनिस्ट कोराइन ने बताया कि हमलावर एके-47 से लैस थे और वे फ्रेंच बोल रहे थे। हमलावरों ने 5 मिनट में अपना काम कर डाला। हमलावर कह रहे थे कि वे अलकायदा संगठन से ताल्लुक रखते हैं। इस चश्मदीद ने यह भी कहा कि हमलावर पूरी तरह से सेना से प्रशिक्षित दिखाई दे थे और उन्होंने फौजी बूट भी पहन रखे थे।  
 
व्हाइट हाउस (अमेरिका) ने हमले की सख्त शब्दों में निंदा की जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे घिनौना करार दिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्‍विटर के जरिये मीडिया पर हुए हमले की निंदा की है। गौरतलब है कि आज की गोलीबारी फ्रांस में दशकों में हुआ, सबसे वीभत्स हमला है।
 
वर्ष 1995 में एक ट्रेन में रखे गए एक बम में पेरिस के सेंट माइकल मेट्रो स्टेशन विस्फोट होने से आठ लोग मारे गए थे जबकि 119 अन्य घायल हुए थे।
 
यह व्यंग्यात्मक अखबार फरवरी 2006 में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने को लेकर चर्चा में आया था, जिसे इस्लाम में ईशनिंदा माना जाता है। हालांकि, यह मूल रूप से डेनिश अखबार जेलैंड्स पोस्ट में प्रकाशित हुआ था जिसे ‘चार्ली हेबदो’ ने दोबारा प्रकाशित किया था। इस कार्टून को लेकर मुस्लिम जगत में रोष छा गया था।
 
इसके कार्यालयों पर नवंबर 2011 में गोलीबारी हुई थी और बम फेंके गए थे, जब इसने पैगंबर का कार्टून प्रकाशित किया था। ऐसा किया जाना इस्लाम के खिलाफ है। 
 
नस्लवाद रोधी कानूनों को लेकर अदालत में घसीटे जाने के बावजूद साप्ताहिक अखबार ने पैगंबर के कार्टून को प्रकाशित करना जारी रखा। इससे पहले संपादक स्टीफन को जान से मारने की धमकियां मिली थी और उन्हें पुलिस हिफाजत मुहैया कराई गई थी।
 
इस हफ्ते के मुख पृष्ठ पर विवादास्पद फ्रेंच लेखक माइकल होलबेक का जिक्र किया गया था। उनकी हालिया पुस्तक ‘सबमिशन’ में भविष्य में एक ऐसे फ्रांस की कल्पना की गई है जिसमें इस्लामी सरकार का शासन होगा। पुस्तक में गैर मुस्लिम फ्रांसीसी के बीच आव्रजन और समाज में इस्लाम के बढ़ते प्रभाव का व्यापक रूप से जिक्र किया गया है।   
 
इस हमले के बाद 20 मुस्लिम देशों में फ्रांसीसी स्कूल, वाणिज्य दूतावास और सांस्कृतिक केंद्र हमले की आशंका के मद्देनजर संक्षिप्त अवधि के लिए बंद कर दिए गए हैं। 
 
सनद रहे कि पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया में आतंकी सक्रिय हैं। पहले सिडनी में एक कैफे में हमला हुआ, उसके बाद पेशावर में 132 स्कूली बच्चों को मौत के घाट उतार दिंया गया और आज पेरिस में मीडिया को निशाना बनाया गया।

देर रात प्राप्‍त ताजा जानकारी के अनुसार, पुलिस एक बिल्डिंग में हमलावरों की तलाश में घुस चुकी है। बिल्डिंग के पास ही हमलावरों की कार भी बरामद की गई है। पुलिस द्वारा बिल्डिंग में हमलावरों के होने की आशंका व्‍यक्‍त की जा रही है। 

इस आतंकी हमले से पेरिस के लोगों में जबरदस्‍त आक्रोश है। हमले के विरोध में लोगों ने एकजुट होकर मारे गए लोगों के लिए शोकसभा आयोजित कर श्रद्धांजलि दी और हमले की कड़ी निंदा करते हुए रैली-प्रदर्शन किए। (भाषा/वेबदुनिया)