यौन शोषण मामले में ऑस्ट्रेलिया का पूर्व पादरी नजरबंद
मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व मुख्य पादरी को बच्चों के यौन शोषण के मामले को छुपाने के मामले में एक वर्ष नजरबंद रखने की सजा सुनाई है। यह अनुमति जेल अधिकारियों के पूर्व मुख्य पादरी विल्सन की दिल की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट के आधार पर दी है।
न्यूकैसल कोर्ट के मजिस्ट्रेट राबर्ट स्टोन ने 67 वर्षीय फिलिप विल्सन को घर में नजरबंद रखने की अनुमति प्रदान की है। यह अनुमति जेल अधिकारियों के पूर्व मुख्य पादरी विल्सन की दिल की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट के आधार पर दी है।
अदालत ने कहा कि विल्सन को मंगलवार से न्यू साउथ वेल्स प्रांत में नजरबंदी की सजा शुरू करने के आदेश दिए हैं और वह फरवरी 2019 में पैरोल पर रिहा होने योग्य होंगे। अदालत ने उन्हें नजरबंद रखने की जगह के बारे में नहीं बताया।
ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन टेलीविजन ने विल्सन को न्यूकैसल स्थित कोर्ट से ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी से उत्तर में 170 किलोमीटर दूर ले जाते हुए दिखाया। टेलीविजन के अनुसार, विल्सन अपनी बहन के घर में नजरबंद रहेंगे।
विल्सन ने कहा कि उन्हें दोषी करार दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1976 में दो पीड़ितों ने उन्हें पादरी फादर जेम्स फ्लिचर के दुर्व्यवहार के बारे में बताया था, लेकिन वे इस बारे में पुलिस को बताने में असमर्थ रहे।
फ्लिचर मामले के एक पीड़ित जो विल्सन मामले में शामिल नहीं हैं, विल्सन को अदालत परिसर के बाहर गुस्से में कहा कि वे माफी मांगें और इस मामले में अपील करेंगे, क्योंकि अपील प्रक्रिया दुर्व्यवहार पीड़ितों के दर्द को और अधिक बढ़ाएगा। इस मामले के पीड़ित पीटर गोआर्टी ने अदालत परिसर के बाहर कहा, पूर्व पादरी विल्सन को पश्चाताप कहां है? उनमें शिष्टता नहीं दिखाई देती है।
विल्सन ने गत जुलाई में दोषी ठहराए जाने के दो महीने बाद मुख्य पादरी के पद से इस्तीफा दिया था। वेअपनी अपील पर सुनवाई पूरी होने तक पद पर बने रहना चाहते थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल तथा सहयोगी पादरियों और पीड़ितों के दबाव में पद छोड़ा। (वार्ता)