गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
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Written By Author राम यादव

महिलाओं की हत्या के विरुद्ध यूरोप में सड़क पर उतरे लोग

Protest in Europe
Protests Against Femicide in Europe: लड़कियों-महिलाओं के साथ मारपीट और उनकी हत्या भारत जैसे विकासशील देशों की ही कोई विशेष समस्या नहीं है। यूरोप-अमेरिका के धनी-मानी विकसित देशों में भी इसकी रोकथाम के लिए हर साल दो-दो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाते हैं, पर परिणाम ढाक के तीन पात से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। 
 
शनिवार, 25 नवंबर महिलाओं के साथ हिंसा के उन्मूलन का एक ऐसा ही अंतरराष्ट्रीय दिवस था। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के समर्थन में पूरी दुनिया में सड़कों पर प्रदर्शन हुए। सबसे बड़ा प्रदर्शन इटली की राजधानी रोम में हुआ। करीब 5 लाख प्रदर्शनकारी जमा हुए। उनके बीच कई महिला-पुरुष नेता और जाने-माने कलाकार भी थे। कहा जाता है कि इतना बड़ा प्रदर्शन न जाने कितने वर्षों से रोम में देखने में नहीं आया था। 
 
रोम का प्रसिद्ध कोलोसियम, जो दो हज़ार वर्ष पूर्व बना दुनिया का सबसे बड़ा वृत्ताकार एम्फीथियेटर माना जाता है, 25 नवंबर के दिन लाल रंग के प्रकाश में नहाए हुए था। इटली के अन्य शहरों में भी इसी तरह के प्रदर्शन हो रहे थे। किंतु इस बार प्रदर्शनकारी महिलाओं के चेहरों पर क्रोध के साथ-साथ शोक का संकेत देती एक उदासी भी छाई रही। कारण था, 22 साल की एक छात्रा की केवल दो सप्ताह पूर्व हुई वीभत्स हत्या। 
 
प्रेमी ने की हत्या : जूलिया चेकेत्तीन एक बहुत ही हंसमुख युवती थी। 22 साल के ही उसके प्रेमी फ़िलिप्पो तूरेत्ता ने छुरा भोंक कर उसकी हत्या कर दी थी, क्योंकि जूलिया ने कुछ ही दिन पहले उसका साथ छोड़ दिया था। हत्या के बाद उसने जूलिया का शव अपनी कार में रखा और उत्तरी इटली की एक झील के पास के एक गड्ढे में गिराकर उसे काले रंग के प्लास्टिक के थैलों से ढक दिया।
 
शव को निपटाने के बाद फ़िलिप्पो कार से ऑस्ट्रिया होते हुए जर्मनी पहुंच गया। जूलिया के ग़ायब होते ही उसकी खोज होने लगी थी। जल्द ही इटली के मीडिया में जूलिया के घर के पास के एक औद्योगिक परिसर के वीडियो कैमरे का एक ऐसा क्लिप देखने में आया, जिसमें एक युवती एक युवक की पकड़ छुड़ाकर भागने का प्रयास करती दिखती है। युवक उसे पीटते हुए ज़मीन पर गिरा देता है और फिर उठाकर तुरंत कार में ढकेल देता है। इस वीडियो में दिखाई पड़ती कार की नंबर-प्लेट के आधार पर पुलिस ने उसका पीछा किया।
 
19 नवंबर के दिन पूर्वी जर्मनी में लाइपजिग शहर के पास के एक एक्सप्रेस हाइवे पर पुलिस ने जूलिया के हत्यारे को पकड़ लिया। कार का पेट्रोल ख़त्म हो गया था, पैसा भी नहीं बचा था, इसलिए उसे सड़क के किनारे कार खड़ी करना पड़ी थी। 
 
इटली को झकझोर दिया : जूलिया की हत्या ने इटली को झकझोर दिया है। इस हत्याकांड में वे सारी बातें देखी जाती हैं, जो पुरुषों द्वरा महिलाओं को पहले पीड़ित-प्रताड़ित किए जाने और फिर उन्हें मार डालने की घटनाओं के लिए लाक्षणिक हैं। जूलिया का हत्यारा, हत्या से पहले उस पर कड़ी नज़र रखता था। कहा करता था कि जूलिया ने यदि उसका साथ छोड़ा, तो वह आत्महत्या कर लेगा।
 
अपनी आत्महत्या का डर दिखाने वाले वास्तव में इतने कायर होते हैं कि वे शायद ही कभी आत्महत्या करते हैं। जूलिया की बहन एलेना चेकेत्तीन ने एक खुले पत्र में लिखा, 'मर्दों को यह समझना और स्वीकार करना चाहिए कि किसी महिला के 'नहीं' का मतलब नहीं ही होता है। औरतें उनकी संपत्ति नहीं होतीं।' 
 
मीडिया ने क़ानूनों की याद दिलाई : इटली के समाचारपत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी इस हत्याकांड को काफ़ी महत्व दिया। इस बारे में बने क़ानूनों की भी याद दिलाई। बताया कि विवाहित पुरुष 1975 से यह दावा नहीं कर सकते कि वे ही घर के मालिक हैं, या पहले कभी की तरह अब भी अपनी पत्नी की पिटाई कर सकते हैं। यदि ऐसा करेंगे, तो क़ानूनी सज़ा भुगतनी ही पड़ेगी। 
 
जूलिया चेकेत्तीन की परम निंदनीय हत्या का यह भी अर्थ नहीं है कि इटली में सबसे अधिक नारी हत्या होती होगी। जर्मनी और फ्रांस इस मामले में इटली से आगे हैं, हालांकि इन दोनों देशों में पितृसत्ता का प्रभुत्व इटली से कहीं कम माना जाता है। 
 
इटली की जनसंख्या क़रीब 5 करोड़ 89 लाख है। वहां अपने नज़दीकियों द्वारा महिलाओं की हत्या के इस वर्ष अब तक 78 मामले सामने आए हैं। सवा आठ करोड़ की जनसंख्या वाले जर्मनी में इस वर्ष अब तक ऐसे 170 मामले हो चुके हैं, जिनमें से 8 अवयस्क लड़कियां थीं। साढ़े 6 करोड़ की जनसंख्या वाले फ्रांस में इस साल अब तक 121 महिलाओं की हत्याएं दर्ज हुई हैं। 
 
चरित्र और नैतिकता का पतन : दुनिया के लगभग सभी देशों में यही देखने में आ रहा है कि सरकारें चाहे जितना प्रयास करें, हर देश में महिलाओं और लड़कियों के साथ यौन दुराचार, बलात्कार और उनकी हत्या के मामले घटने की जगह बढ़ते ही जा रहे हैं।
 
जूलिया चेकेत्तीन के साथ जो कुछ हुआ है, उसे देखते हुए इटली की इस समय पहली महिला प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की गठबंधन सरकार भी महिलाओं के साथ हिंसा के लिए सज़ा को और अधिक कठोर बनाने की तैयारी कर रही है। पर, अब तक का अनुभव तो यही दिखाता है कि नियम-क़ानून और सज़ाएं कठोर बनाने से किसी का चारित्रिक और नैतिक पतन रुकता नहीं, देश चाहे जो भी हो। चरित्र और नैतिकता जैसे शब्द आजकल की भाषाओं में ढूंढे नहीं मिलते।