नहीं रहा दुनिया का सबसे अकेला पक्षी-नाइजेल
वेलिंगटन। कुछेक दिनों पहले लोगों के एकाकीपन से परेशान ब्रिटिश सरकार ने एकाकीपन मंत्रालय बनाया था ताकि अकेले से परेशान लोगों में हताशा, अवसाद न बढ़े। लेकिन अकेलापन केवल लोगों को ही नहीं वरन पशु पक्षियों को भी मार सकता है। अगर ऐसा न होता तो नाइजेल नाम का गेनेट मर नहीं जाता।
एक गैनेट पक्षी, जिसका नाम नाइजेल रखा गया था, दुनिया भर में वह 'अकेले पक्षी' के नाम से मशहूर हुआ। उसका मशहूर होना ही उसके जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना है। अगर वह अकेला नहीं होता तो उसे कोई भी नहीं जानता लेकिन उसे नहीं जानने वाली इस दुनिया में वह अकेला नहीं होता। अंतत: अकेलेपन ने उसकी जान ले ली। नाइजेल पांच साल से अकेला रह रहा था। आखिरकार अकेलेपन से ही उसकी मौत हो गई।
नाइजेल 2003 में न्यूजीलैंड के माना आइलैंड आया था। माना में पत्थर के 80 गैनेट बर्ड्स बनवाए गए थे ताकि उन्हें देखकर असली पक्षी आकर्षित हों और आकर रहने लगें। इससे साथ रहने से प्रजनन की सम्भावना भी बन सकती थी और वह एक ब्रीडिंग पार्क बन सकता था। यह पूरा प्लान सुनने में बहुत बेहतरीन लगता है लेकिन इसी प्लान ने नाइजेल की जान ले ली।
नकली पक्षियों को देखकर सबने पार्क से मुंह मोड़ लिया लेकिन यहां आया केवल नाइजेल। नाइजेल वहां आते ही एक कृत्रिम पक्षी से प्यार कर बैठा। उसके लिए नाइजेल ने एक घोंसला बनाया और उसी के पास रहने लगा।
नाइजेल उसे सहलाता था, प्यार का प्रदर्शन करता था लेकिन पत्थर का पक्षी कौन सा जवाब देने वाला था। पांच साल तक नाइजेल उसके जवाब का इंतजार करता रहा। नाइजेल सोचता रहा कि कभी तो उसके साथी के पर हिलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
लगभग तीन सप्ताह पहले तीन पंछी पार्क में आए लेकिन नाइजेल उनसे दोस्ती न कर सका। उनके जाने के बाद नाइजेल को अकेलेपन ने फिर घेर लिया और उसी ने ही उसकी जान ले ली।
पार्क के संरक्षणकर्मी क्रिस बेल को नाइजेल का मृत शरीर उन्हीं कृत्रिम पुतलों के पास मिला। क्रिस का कहना है, 'नाइजेल अपने दोस्तों के प्रति बहुत वफादार था। मुझे लगता है उसका जीवन बहुत ज्यादा निराशाजनक था। वह अकेला था या नहीं, लेकिन उसे कभी कुछ नहीं मिला। यह बहुत ही अजीब अनुभव रहा होगा क्योंकि वह सालों से एक पक्षी की तरफ आकर्षित था। हम सभी को उससे सहानुभूति है, वह हमेशा ही हताश रहा।'