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Israel Hamas war: बर्थ सर्टिफिकेट के पहले मिला डेथ सर्टिफिकेट, 80 साल के खूनी खेल में मारा गया 1 दिन का मासूम

gaza hamas israel
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Israel Hamas war : ये कैसा युद्ध है, ये कैसी लड़ाई। ये कैसा खूनी आतंक और खेल है। जिसमें एक ऐसा मासूम भी मारा जाए जिसकी अभी ठीक से आंखें भी नहीं खुली थीं। शायद जिसने अपनी मां और पिता को भी ठीक से देखा नहीं था। उसे पता भी नहीं था कि वो किस दुनिया में आया है। उसका कोई कसूर नहीं था। उसका इतना ही कसूर था कि वो इजरायल और फिलिस्‍तीन (Israel Hamas war) के 80 साल के खूनी खेल के बीच पैदा हुआ था।
उदय अबू मोहसिन नाम था उसका। सिर्फ एक दिन का बच्‍चा। जो 28 अक्टूबर को पैदा हुआ और 29 अक्टूबर को मारा गया। दुनिया में आते ही उसका जो सबसे पहले दस्‍तावेज बना वो था उसका डेथ सर्टिफिकेट।  इजराइली बमबारी का शिकार हो गया ये बच्‍चा।

एक फिलिस्तीनी फोटो जर्नलिस्ट ने कफन में लिपटे एक दिन के इस मासूम की तस्‍वीर शेयर की है। उसका शव कफन में लिपटा है। पत्रकार ने कहा- अभी उसका बर्थ सर्टिफिकेट भी जारी नहीं हुआ था, इसके पहले उसका डेथ सर्टिफिकेट बन गया है।
मसला, यह नहीं है कि कौन किस से लड़ रहा है, क्‍यों लड़ रहा है। दुखद यह है कि मासूम बच्‍चे क्‍यों मारे जा रहे हैं? जो दो और तीन साल के बच्‍चे हैं वे क्‍यों मारे जा रहे हैं? जो एक दिन पहले ही पैदा हुए थे, वे बच्‍चे क्‍यों मारे जा रहे हैं? जिनकी अभी आंखें भी नहीं खुली थी और दुनिया को पहचाना भी नहीं था, वे क्‍यों मारे जा रहे हैं?

टॉर्च लेकर खोज रहे अपनों के शव : गाजा में हमलों का आलम यह है कि कई बच्‍चे बेघर हो गए हैं, कई मासूमों को नहीं पता है कि अब वे दुनिया में अकेले रह गए हैं। कोई फुटपाथ पर बैठा नजर आ रहा है तो कोई लावारिस भाई अपनी मासूम बहन को नल से टपकता पानी पिला रहा है। उन्‍हें नहीं पता है कि अब उन्‍हें कहां जाना है, क्‍या करना है? आलम यह है कि गाजा में लोग टॉर्च लेकर मलबे में तब्‍दील हो चुकी इमारतों में अपनों के शव खोज रहे हैं।

तस्‍वीरें जिस से कांप जाएगी रूह : इजराइल और हमास की जंग में आ रहीं तस्‍वीरें और वीडियो को देख-देखकर आंखें और आत्‍मा दोनों थक चुके हैं। बच्‍चों की आत्‍मा चीर देने वाली रुलाई। औरतों का चीत्कार और बुर्जुगों की बेबसी ने दुनिया की हर अच्‍छी चीज से भरोसा उठा दिया है। कितने ही बच्‍चे लावारिस हो गए हैं, कितने ही बेघर। मिसाइलों और उसके बारूद के मलबे में अपने लिए एक ब्रेड का पैकेट खोजते बच्‍चों को देखकर देह और आत्‍मा दोनों रो पड़े हैं। महिलाएं, युवतियां कहां जाएंगी, बच्‍चे कहां जाएंगे? बुर्जुग कहां आसरा ढूढेंगे? इंसानों के साथ ही कुत्‍ते, बिल्‍लियां और तमाम जीवों और जानवर मौत का जो भयावह मंजर देख रहे हैं, उससे सबकी रूह कांप गई है।
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