शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Indian author Gitanjali Shree novel 'Tomb of Sand' wins 2022 International Booker Prize
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 27 मई 2022 (12:44 IST)

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के नॉवेल 'Tomb of Sand' ने जीता 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर सम्‍मान

geetanjli shree
फोटो: ट्विटर
नई दिल्ली, जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है। यह सम्‍मान उन्‍हें उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए दिया गया है। हिंदी साहित्‍य में इस खबर के बाद खुशी की लहर है। साहित्‍यकार और लेखक इस सम्‍मान को हिंदी जगत के लिए गौरव की बात मान रहे हैं।

इस मौके पर गीताजंजि श्री ने मीडिया में कहा कि मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। मैं चकित, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं।

बता दें कि ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को जब अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था, उसी वक्‍त ये चर्चामें आ गया था। अब जब 2022 में इसे बुकर प्राइज मिला है तो भी यह भारत के साथ ही पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।

गीतांजलि श्री की यह किताब मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी। इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है।

ये उपन्यास थे फेहरिस्‍त में
50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए 5 अन्य उपन्यासों से इसकी प्रतियोगिता थी। जिसमें 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को बुकर के लिए चुना गया। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित की जाएगी। लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया है। इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था।

इसके अलावा मीको कावाकामी की किताब 'हेवेन' भी इस दौड़ में थी जिसे जापानी से सैमुअल बेट और डेविड बॉयड ने अनुवाद किया था। क्लाउडिया पिनेरो की लिखी ‘एलेना नोज़’ का अनुवाद स्पेनिश से फ्रांसिस रिडल ने किया। और ओल्गा टोकार्ज़ुक की लिखी ‘द बुक्स ऑफ जैकब’ को पोलिश भाषा से जेनिफर क्रॉफ्ट ने अनुवाद किया था।
ये भी पढ़ें
जानिए कौन हैं गीतांजलि श्री जो अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली प्रथम भारतीय साहित्यकार बनीं