शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Independence Day, America, History of Freedom song
Written By

अमेरिका में गूंजेगा​ इंदौर में रचा गया 'आज़ादी का इतिहास गीत'

अमेरिका में गूंजेगा​ इंदौर में रचा गया 'आज़ादी का इतिहास गीत' - Independence Day, America, History of Freedom song
ले तिरंगा हाथों में
जय भारत मां हम गाते हैं
भारत के शहीदों की
गाथा अमर सुनाते हैं ...
​आज़ादी की नई दुनिया में मिलकर कदम बढ़ाते​ हैं​..
वंदे मातरम् ..वंदे मातरम् ..
 
​इंदौर​ से जुड़े ​लेखक, पत्रकार शकील अख़्तर ​के लिखे आज़ादी के इस गीत की गूंज 15 अगस्त के दिन अमेरिका में सुनाई देगी। ​अप्रवासी भारतीय हस्तियां इस गीत को गाकर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के प्रति अपनी श्रदाजंलि अर्पित करेंगी। ​
 
कैलिफोर्निया ​के ​'फॉग आइडल'​ कार्यक्रम में ​इस गीत को गाया जाएगा। हर साल की तरह आज़ादी की सालगिरह पर फेस्टिवल ऑफ ग्लोब (FOG) ने यह कार्यक्रम आयोजित किया है। इस कार्यक्रम में आज़ादी की परेड का भी आयोजन होता है, जिसमें कई प्रमुख हस्तियां शामिल होती हैं। 
 
आज़ादी गीत की इस प्रस्तुति में खुद ​​फॉग के संस्थापक डॉ. रोमेश जापरा ​समेत संस्था के सभी प्रमुख सदस्य शामिल होंगे। इनमें​ फॉग आइडल की चेयर पर्सन अनिता करवल और अलका भटनागर​, फॉग मूवी फेस्ट की कोऑर्डिनेटर ​लक्ष्मी अय्यर, ​फॉग एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर​ विद्या सेतुरमण और फॉग की मीडिया प्रभारी रितु माहेश्वरी भी मंच पर इस गीत को गाती नज़र आएंगी। 
 
फॉग आइडल के दौरान गायन प्रतियोगिता भी होती है। प्रतियोगिता की जज फिल्म निर्माता रानु सिन्हा और संगीतकार शुभा गुनापु, गायक वरुण तिवारी, अलका भटनागर और​ संगीत कलाकार​ सम्राट चक्रवर्ती ​भी इस गीत को आवाज़ देकर शहीदों को याद करेंगे। फॉग आइडल कार्यक्रम की चेयरपर्सन ​अनिता करवल ने​ आज़ादी गीत को बेहद प्रेरणापूर्ण और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि बताया है। 
 
उन्होंने फॉग की तरफ से शकील अख़्तर के लेखकीय कृतित्व की प्रशंसा की है।​ वहीं डॉ. रानु ने कहा है कि​ नई जनरेशन को देश की आज़ादी की गाथा से परिचित कराने की दिशा में ​एक रचनाकार के रूप में शकील का यह ​सराहनीय काम है। 
 
'न​ईदुनिया' से जुड़ी है गीत के निर्माण की कहानी : ​​दिलचस्प बात ये है कि ​शकील अख़्तर ने​ इंदौर के समाचार पत्र 'नईदुनिया' ​के एक टेलीविज़न कार्यक्रम के लिए यह गीत​ 1998 में ​लिखा था। ​इन दिनों देश के प्रमुख न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी से सम्बद्ध शकील अख़्तर ​तब 'नईदुनिया' में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने ​तत्कालीन संपादक अभय छजलानी के मार्गदर्शन में ​'नईदुनिया कम्युनिकेशन' के लिए कुछ टीवी कार्यक्रमों का निर्माण किया था। 
 
उसी दौर में सुशील जौहरी के निर्देशन में बने टीवी प्रोग्राम के लिए उन्होंने ​इस गीत की रचना की थी। शकील के मुताबिक, नईदुनिया की लाइब्रेरी में आज़ादी की नज़्मे और आज़ादी का इतिहास के ​अध्‍ययन के दौरान उन्हें इस गीत का विचार आया था। उन्होंने इस तरह के ​रचनात्मक कामों में ​अपने तब के संपादक अभय छजलानी ​के प्रोत्साहन को याद किया​। 
 
शकील ने कहा कि जहां 'नईदुनिया' ने देश को कई मूर्धन्य पत्रकार, संपादक और लेखक दिए, वहीं अभयजी की वजह से इंदौर में कला और कलाकारों का विकास हुआ। ​रचनात्मकता को नए आयाम मिले।​ कला समीक्षाओं और रिपोर्ट्स के ज़रिए कलाकारों को पहचान मिली। आज भी शहर की फिज़ां में 'नईदुनिया' के उस दौर की खुशबू और रंग बिखरे हुए हैं। गौरतलब है कि अभय छजलानी एशिया ​के सबसे बड़े इनडोर स्टेडियम 'अभय प्रशाल' के चेयरमैन हैं। 
 
इंदौर के कलाकारों का निर्माण में योगदान : इस गीत की धुन दिलीप बोस ने बनाई है और इसमें इंदौर के ही गायकों प्रकाश पारनेकर, दिलीप बोस जैसे गायकों ने मुख्य रूप से आवाज़ दी है। बीते साल इंदौर के ही फिल्म मेकर हर्ष व्यास ने पीटर जमरा के साउंड स्टुडियो में यह गीत रिकॉर्ड किया था। 
 
YOUTUBE पर इस गीत का शॉर्ट वीडियो अपलोड किया है। देखें वीडियो लिंक
क्या है गीत की विशेष बात : यह गीत 1857 से 1947 के बीच चले आज़ादी के आंदोलन की पृष्ठभूमि को प्रतिबिंबित करता है। गीत में क्रांतिकारियों और अनाम शहीदों की उन लोकप्रिय पंक्तियों का प्रयोग किया है, जो आज भी सबकी ज़ुबान पर है और जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई। विशेष बात यह भी है देश की आज़ादी के इतिहास पर लिखा गया अपनी तरह का​ यह ​पहला गीत है। गीत के आठ अंतरे हैं जिनके के ज़रिए सभी प्रमुख क्रांतिकारियों, शहीदों, नेताओं, बलिदानियों के योगदान को याद किया गया है। गीत पंक्तियों के साथ ही उनकी तस्वीरें मन-मस्तिष्क में घूमने लगती हैं। (वेबदुनिया न्‍यूज) 
ये भी पढ़ें
तेज गति से जा रही दो ट्रेनों की टक्कर, 44 की मौत