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Last Modified: शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016 (07:37 IST)

चीन ने चेताया- भारत 'बिगड़ैल बच्चे' की तरह से व्यवहार करना बंद करें

चीन ने चेताया- भारत 'बिगड़ैल बच्चे' की तरह से व्यवहार करना बंद करें - Chinese media article against India
बीजिंग। चीन के सरकारी मीडिया ने दलाई लामा का कार्ड इस्तेमाल करने के खिलाफ भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि नई दिल्ली 'बिगड़ैल बच्चे' की तरह व्यवहार करना बंद करे और इस बात से सबक लें कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति द्वारा 'एक चीन' नीति को चुनौती देने के बाद चीन ने डोनाल्ड ट्रंप को कैसे संभाला।
सरकारी ग्लोबल टाइम्स में एक लेख में कहा गया है कि कभी-कभी भारत बिगड़ैल बच्चे की तरह व्यवहार करता है जो दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का ताज ले जाता है। भारत के पास महान देश होने की क्षमता है लेकिन देश की दृष्टि अदूरदर्शी है। इसमें कहा गया है कि भारत को ताइवान को लेकर बीजिंग और ट्रंप के बीच की हाल की बातचीत से कुछ सबक सीखना चाहिए।
 
अखबार ने कहा कि अपने जरूरी हितों की रक्षा करने को लेकर चीन की दृढ़ता जानने के बाद, ट्रंप ने चीन का संयम देखा लेकिन उचित निरोधक उपाय किए गए और यह समझना चाहिए कि चीन की संप्रभु अखंडता और राष्ट्रीय एकता को छुआ नही जा सकता है। हालांकि लेख में निरोधक उपायों के बारे में नहीं बताया गया है। इसके अलावा चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति को ट्रंप द्वारा फोन करने पर और एक चीन की नीति के बारे में सवाल करने की उनकी टिप्पणी पर चीन विरोध कर रहा है।
 
यह बात भारत द्वारा मंगोलिया को एक अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता के संदर्भ में कही गई है, क्योंकि बीजिंग के विरोध के बावजूद उलनबटोर ने दलाई लामा की अगवानी की थी जिसके जवाब में चीन ने नाकेबंदी लगा दी थी। भारत में मंगोलिया के राष्ट्रपति ने चीन के निरोधक उपाय से पार पाने के लिए नई दिल्ली से मदद मांगी थी। हालांकि मंगोलिया ने दलाई लामा को दोबारा कभी आमंत्रित नहीं करने का संकल्प भी लिया है।
 
लेख में कहा गया है कि मंगोलिया के विदेश मंत्री टी मुंख-ओगिल ने मंगलवार को कहा कि मंगोलिया दलाई लामा को देश की यात्रा करने की अनुमति नहीं देगा यहां तक कि धर्म के नाम पर भी। इस प्रकार मंगोलिया और चीन के बीच के एक महीने के गतिरोध का निपटान हो गया। 
 
इसमें कहा गया है कि लेकिन इसके पीछे लंबे अरसे से लंबित मुद्दा यह है कि भारत को दलाई लामा के साथ अपने रिश्तों का संचालन कैसे करना चाहिए। यह बात राष्ट्रपति भवन में लॉरीइट एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट के उद्घाटन सत्र में तिब्बती नेता की मौजूदगी के संदर्भ में कही गई है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रणब मुखर्जी ने की थी।
चीन ने इस बात पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि चीन के विरोध के बावजूद भी भारत दलाई लामा को निमंत्रित करने को लेकर आगे बढ़ा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘भारत की स्थिति अटल है। परमपावन दलाई लामा सम्मानित आध्यात्मिक नेता हैं। जिस कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की थी वह गैर राजनीतिक था।’ 
 
बहरहाल, लेख में कहा गया है कि नई दिल्ली ने लंबे अरसे से दलाई लामा के मुद्दे को लाभ के मुद्दे के तौर पर देखा है जिसका इस्तेमाल वह चीन के खिलाफ कर सकता है। राष्ट्रपति मुखर्जी ने इस महीने भारत में निर्वासन में रह रहे दलाई लामा से मुलाकात की, जो संभवत: मंगोलिया को नैतिक समर्थन के तौर पर था, जो नवंबर में दलाई लामा का स्वागत करने के बाद राजनयिक परेशानी में फंस गया है। 
 
उधर, अमेरिका और ट्रंप की ओर से विरोध के बाद चीन ने उस ड्रोन को वापस कर दिया जिसे उसने दक्षिण चीन सागर में पकड़ा था। इस घटनाक्रम को अगले महीने निर्वाचित राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण से पहले चीन द्वारा अपने तेवर कम करने की कोशिश के तौर देखा गया। लेख में सख्त लहजे में कहा गया है कि यहां तक कि अमेरिका को ऐसी संवेदनशील समस्या पर चीन से झमेला मोल लेने से पहले दो बार सोचना पड़ा तो भारत को कौन सी चीज यह विश्वास दे रही है कि वह इसका प्रबंध कर सकता है?  (भाषा)
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