मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Black Holes Were First or Galaxisies

बड़ा सवाल, ब्लैक होल पहले बने थे या आकाशगंगाएं?

आकाशगंगाओं के केंद्र में रहते हैं ब्लैक होल

Black Hole
Black Holes Were First or Galaxisies: ब्रह्मांड इतना अंतहीन विशाल है कि उसके गर्भ में छिपे अंतहीन रहस्यों की खोज भी उतनी ही अंतहीन प्रतीत होती है। इन खोजों से ऐसी नित नई जानकारियां सामने आती हैं कि पिछले कई निष्कर्षों पर प्रश्नचिह्न लगने लग जाते हैं।
 
अमेरिका का जेम्स वेब अब तक का सबसे नया, सबसे मंहगा और सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष टेलीस्कोप है। 25 दिसंबर, 2021 को उसे प्रक्षेपित किया गया था। पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर की अपनी परिक्रमा कक्षा में पहुंचने के बाद, जुलाई 2022 में जब से उसने अंतरिक्ष की अतल गहराइयों में झांकना और तस्वीरें आदि भेजना शुरू किया है, तब से खगोलविदों के बीच अपू्र्व खुशी भी है और खलबली भी। उससे मिले नए डेटा के एक विश्लेषण से पता चलता है कि ब्लैक होल न केवल ब्रह्मांड के आरंभकाल से ही अस्तित्व में थे, बल्कि उन्होंने नए-नए तारों-सितारों को भी जन्म दिया और आकाशगंगाओं के निर्माण में भी तेज़ी लाई।
 
ब्लैक होल आकाशगंगाओं के केंद्र में रहते हैं : यह पहले से ही ज्ञात था कि विशालकाय ब्लैक होल आकाशगंगाओं के केंद्र में रहते होंगे। लेकिन, जेम्स वेब टेलीस्कोप से मिले आंकड़ों के विश्लेषण से सबसे आश्चर्यजनक बात यह सामने आई है कि वे ब्रह्मांड की शुरुआत में भी मौजूद थे। लगभग उसी समय से आकाशगंगाओं के बनने लिए आवश्यक बीज की तरह काम करने लगे थे। यह अध्ययन 'एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स' में प्रकाशित हुआ है।
 
नए विश्लेषण के अनुसार, ब्लैक होल 'तारों के निर्माण के विशालकाय प्रवर्धक' की तरह काम करते हैं। यानी, वे नए-नए तारों के निर्माण को बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ावा देते हैं। यह बात पिछले अध्ययनों की तुलना में, जब जेम्स वेब टेलीस्कोप नहीं बना था, बिल्कुल अलग है। इतनी अलग कि यह बात आकाशगंगाओं के निर्माण के बारे में हमारी अब तक की समझ को पूरी तरह से उलट सकती है -कहना है अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में भौतिकी और खगोल विज्ञान के प्रोफेसर जोसेफ सिल्क का।  
 
ब्लैक होल ब्रह्मांड को आकार देते हैं : प्रोफेसर सिल्क का मानना है कि ये निष्कर्ष इस बारे में नए सिद्धांत प्रदान करेंगे कि ब्लैक होल ब्रह्मांड को किस प्रकार आकार देते हैं, और यह समझ भी पैदा करेंगे कि ब्रह्मांड के आरंभ काल के प्रथम तारों और आकाशगंगाओं के बनने के बाद वे स्वयं कैसे बने थे। ऐसा प्रतीत होता है कि शुरू-शुरू के जो भी ब्लैक होल थे, उन्होंने ब्रह्मांड बनने के पहले 5 करोड़ वर्षों में बड़े नाटकीय रूप से नए तारों-सितारों के जन्म को तेज़ कर दिया। ब्रह्मांड के 13 अरब 80 करोड़ वर्ष लंबे इतिहास की तुलना में वह समयावधि हालांकि निश्चित रूप से बहुत छोटी रही होगी।
 
प्रोफेसर सिल्क का यह भी कहना है कि जेम्स वेब से देखी जा सकने वाली बहुत दूर की आकाशगंगाएं पिछली भविष्यवाणियों की तुलना में बहुत अधिक चमकीली दिखाई देंगी। उनमें असामान्य रूप से कहीं बड़ी संख्या में युवा तारे और अतिशय भारी (सुपरमैसिव) ब्लैक होल होंगे। अब तक यह माना जाता रहा है कि ब्लैक होल, अतिशय भारी तारों के ढहने के बाद बने और आकाशगंगाओं का निर्माण, शुरू-शुरू के तारों द्वारा प्रारंभिक अंधेरे ब्रह्मांड को रोशन करने के बाद हुआ।
 
ब्लैक होल के बीच सह-अस्तित्व : जेम्स वेब टेलीस्कोप से मिले डेटा के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि ब्लैक होल ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बाद वाले पहले 10 करोड़ वर्षों में सह-अस्तित्व में रहते थे और एक-दूसरे को प्रभावित भी करते थे। ब्रह्मांड का पूरा इतिहास यदि 12 महीने का कैलेंडर जैसा होता, तो जनवरी महीने के कुछ दिन सह-अस्तित्व वाले दिन कहलाते। 
 
इस खोज से पहले एक अनुमान यह था कि आकाशगंगाएं शुरू में गैस के एक विशाल बादल के ढहने से बनी होंगी। यह नहीं सोचा जा रहा था कि इस बादल के बीच में एक बीज की भूमिका निभा रहा कोई बड़ा-सा ब्लैक होल भी हो सकता है, जिसने इस बादल के भीतरी हिस्से को किसी कल्पना से भी कहीं अधिक तेज़ी से तारों में बदलने में मदद की। और इस तरह, ब्रह्मांड की पहली आकाशगंगांएं अस्तित्व में आईं।
 
ऑस्ट्रेलियाई शोध समूह : लगता है, इस समय ब्लैक होल और आकाशगंगाओं से संबंधित अध्यनों की बाढ़ आई हुई है। एक ऑस्ट्रेलियाई शोध समूह ने भी एक विशाल आकाशगंगा ढूंढी है, जो 11.5 अरब वर्ष पुरानी है। यह आकाशगंगा बहुत पहले ही बहुत बड़ी हो गई थी। 
 
ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न की स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के इस शोध समूह ने पाया कि ZF-UDS-7329 नाम की आकाशगंगा में 11.5 अरब वर्ष पहले की आकाशगंगाओं की अपेक्षा 4 गुना अधिक तारे थे। वे बेहद पुराने हैं और अन्य पुराने तारों से 1.5 अरब साल पहले बन गए थे। पृथ्वी पर की दो सबसे बड़ी दूरबीनों की सहायता से 7 वर्षों से इस आकाशगंगा का अध्ययन किया जा रहा रहा था। पर अंततः जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के द्वारा ही अकाशगंगा और उसके तारों की सही आयु का पता चल सका। 
 
आयु का पता चलते ही प्रश्न उठा कि यह आकाशगंगा इतनी जल्दी इतनी बड़ी कैसे हो पाई और बाद में ऐसी आकाशगंगाओं ने अचानक तारे पैदा करना बंद क्यों कर दिया - वह भी ठीक उसी समय, जब ब्रह्मांड के बाकी हिस्सों में भी ऐसा ही होने लगा था।
 
समझा जाता है कि आकाशगंगाओं के और उनके तारों के निर्माण का ब्रह्मांड में व्याप्त अदृश्य और रहस्यमय डार्क मैटर की सांद्रता से निकटता संबंध है। ब्रह्मांड में इतनी जल्दी और इतनी विशाल आकाशगंगाओं की खोज करना ब्रह्मांड विज्ञान के इस समय के मानक मॉडल के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। यही कहा जा सकता है कि अकाशगंगाओं का और उनके तारों-सितारों का बनना या न बनना शायद उस रहस्यमय डार्क मैटर पर निर्भर करता है, जो ईश्वर की तरह पूर्णतः अदृश्य है।  
ये भी पढ़ें
अखिलेश यादव और कांग्रेस नेताओं के बयान यूपी में इंडिया गठबंधन को लेकर क्या संकेत दे रहे हैं