मुश्किल में आतंकी मसूद अजहर, 3 बड़े देशों ने टेढ़ी की नजर, बचा नहीं पाएगा चीन
संयुक्त राष्ट्र। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित खूंखार आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अतंरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया है। इन तीनों देशों के एक साथ प्रस्ताव पेश करने और पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा जैश के खिलाफ की गई बड़ी कार्रवाई के बाद माना जा रहा है कि चीन भी इस कुख्यात आतंकी की कोई मदद नहीं कर पाएगा और इसे 'ब्लैक लिस्टेड' कर दिया जाएगा।
तीनों देशों ने बुधवार को पेश प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद से कहा कि मसूद भारत के जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सुरक्षा बल के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के लिए जिम्मेदार है। इस आतंकवादी के विदेशी दौरों पर प्रतिबंध लगाया जाये और उसकी सम्पत्तियों को जब्त किया जाए। वीटो पॉवर से लैस इन देशों ने मिलकर यह प्रस्ताव पेश किया है।
संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि वीटो पॉवर से लैस चीन इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा। वह वर्ष 2016 और 2017 में इस खूंखार आतंकवादी को काली सूची में डालने के खिलाफ वीटो लगा चुका है।
इससे पहले रिपोर्ट थी कि फ्रांस संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित किए गए जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
एक मार्च से सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इक्वेटोरियल गुयाना से फ्रांस को मिल जायेगी। मसूद पर प्रतिबंध लगाने के लिए पिछले 10 साल में चौथी बार प्रस्ताव लाया गया है। वर्ष 2009 में भारत ने पहली बार प्रस्ताव रखा था। वर्ष 2016 में भारत, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से दूसरी बार प्रस्ताव लाया।
इस बार यूरोपीय देशों के समर्थन से फ्रांस आगे आया है जबकि पिछला प्रयास वर्ष 2017 में अमेरिका की अगुवाई में किया गया था। चीन ने हर बार इसे तकनीकी तौर पर गलत बताकर रोक दिया।
सुरक्षा परिषद ने 21 फरवरी को पुलवामा के जघन्य और कायराना आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। इस बीच भारत सरकार ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक कदम उठाए हैं और देशों को जैश और पाकिस्तान के संबंधों के बारे में बताया है।
सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अबूधाबी में शुक्रवार को इस्लामिक देशों की बैठक में भी इस मुद्दे को उठा सकती हैं। दुनिया को जैश और पाकिस्तानी सेना के बीच मिलीभगत के सबूत भी दिए जा रहे हैं। भारत को अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे इस्लामिक राष्ट्रों का भी इस मसले पर समर्थन मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के 13 दिन बाद मंगलवार को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले कर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर को ध्वस्त कर दिया। इसके अगले दिन बुधवार को एक पाकिस्तानी विमान ने भारतीय वायु सीमा में घुसने का प्रयास किया जिसे भारतीय वायु सेना ने मार गिराया लेकिन इस दौरान एक भारतीय विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसके पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को गिरफ्तार कर लिया। (वार्ता/वेबदुनिया)