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Last Updated : गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023 (18:22 IST)

Turkey Earthquake : तुर्की में भूकंप में बची जान, शरणार्थी कैंप में मिले 25 शव

Turkey Earthquake : तुर्की में भूकंप में बची जान, शरणार्थी कैंप में मिले 25 शव - 25 bodies found in refugee camp in Turkey
इस्तांबुल। तुर्की में विनाशकारी भूकंप के बाद बचावकर्मियों को शरणार्थी कैंप के एक ही कमरे से मिले 25 शव मिले हैं। भूकंप के बाद से अब तक 19000 शव बरामद हो चुके हैं और 15 हजार इमारतें नष्ट हो गई हैं। तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए भूकंप के झटकों की वजह से अब तक 19000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। 
इस भूकंप में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपना पूरा परिवार खो दिया है।
 
इनमें से एक इदरीस भी हैं। तुर्की और सीरिया में भूकंप की वजह से कई लोगों ने अपने परिवार को खो दिया है। भूकंप के बाद आई तबाही में एक सीरियाई शरणार्थी ने अपने 25 रिश्तेदारों को खो दिया है। सीरिया में गृहयुद्ध से बचने के लिए शख्स का पूरा परिवार सुरक्षित आश्रय के लिए नॉर्थवेस्ट में स्थित सारकीब भाग गया था, लेकिन वहां भी किस्मत ने साथ नहीं दिया और अंत में पूरे रिश्तेदार खत्म हो गए।
 
एक विस्थापित सीरियाई अहमद इदरीस ने कहा कि भूकंप की वजह से उनके रिश्तेदारी के अधिकतर सदस्यों की मौत हो गई है। भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया। इदरीस बुधवार को उस शवगृह पहुंचे थे, जहां उनके प्रियजनों के शवों को रखा गया था। शवगृह में अपने पोते (ग्रैंडसन) के शव से लिपटते हुए कहते हैं कि 'तुमने मेरा दिल तोड़ दिया।'
 
शव को गले से लगाए इदरीस कहते हैं कि तुमने मेरा दिल दुखाया है, तुम्हारे साथ जो कुछ हुआ है उसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो सकता है। आगे कहते हैं कि भूकंप में मैंने अपनी बेटी खो दी है। उसके 2 बेटे मतलब पोते, बेटी का परिवार, उसकी सास, उसके पति सबको मैंने खो दिया है। उसका एक बड़ा परिवार था घर में और भी कई बेटे थे और सब खत्म हो गया है।
 
एक रिपोर्ट के अनुसार इदरीस ने परिवार और रिश्तेदारों को मिलाकर कुल 25 लोगों को खो दिया हैं। इदरीस और उनका परिवार साल 2012 में सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध के बीच घर से भागकर सारकीब आ गया था और तब से शरणार्थी के रूप में यहीं रह रहा था। इदरीस कहते हैं कि अपने बच्चों और परिवार के लिए एक सुरक्षित आश्रय खोजते हुए हम यहां आए थे, लेकिन अंत में देखिए कि भाग्य ने हमारे साथ क्या किया?
 
Edited by: Ravindra Gupta