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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

दुनिया के 11 महान जादूगर, जानिए भारत के कितने....

दुनिया के 11 महान जादूगर, जानिए भारत के कितने.... - top indian and foreign magician
संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु' 
 
जादू एक इंद्रजाल है। जादू जानने और करने वाले को जादूगर कहते हैं। चमत्कार, इन्द्रजाल, अभिचार, टोना या तन्त्र-मन्त्र जैसे शब्द भी जादू कि श्रेणी में आते हैं। दरअसल जादू दो तरह का होता है पहला हाथ की सफाई और दूसरा सम्मोहन।

जादू अनंतकाल से किया जाने वाला सम्मोहन भरा प्रदर्शन है, जिसका उपयोग पश्चिमी धर्मों व सम्प्रदायों के प्रचारक अशिक्षित लोगों को डराकर उन्हें अपना आज्ञाकारी अनुयायी बनाने के लिए किया करते थे।
 
भारत में ऐसे हजारों मदारी हैं जो चौराहों और सड़कों पर जादू बताकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। मध्यकाल में इन भारतीय जादूगरों से सीखकर ही पश्चिम जगत के लोगों ने अपने देश में जादू को प्रचलित किया और उसे एक आधुनिक लुक देकर उसे स्टेज शो में बदल दिया।
 
दुनिया में एक से बड़कर एक जादूगर हुए हैं। उनके जादू देखकर लोग हैरत में पड़ जाते थे। विज्ञान भी कभी इनके जादू को पकड़ नहीं पाया। आजकल विज्ञान की मदद से पश्‍चिम में जादू की विद्या खूब फल-फूल रही है इसीलिए आजकल भारत की अपेक्षा वहां अच्छे और ज्यादा जादूगर पैदा होते हैं। आओ जानते हैं दुनिया के 11 महान जादूगरों के बारे में जानकारी...
 
अगले पन्ने पर पहला जादूगर
 

मोहम्मद छैल ( mohammed chhel ) : यह एक भारतीय जादूगर था। गुजरात के भावनगर के पास के एक गांव में 1850 को इसका जन्म हुआ था। 75 वर्ष की उम्र में सन् 1925 को उसकी मृत्यु हो गई थी।
 
कहते हैं कि छैल को अपनी जादूगरी पर घमंड था। वह रेलवे में बिना टिकट यात्रा करता और टीटी से टिकट मांगे जाने पर हाथ की मुट्ठी को बंद कर खोलता और टिकट बना देता था। उसने अपनी जादू की विद्या का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया था।
 
मोहम्मद छैल ने प्राचीन भारत की कई विद्याएं सिद्ध कर रखी थी। जिस गुरु से उसने यह सीखा था उसने वचन दिया था कि आपकी सहायता से प्राप्त किसी भी चीज का मैं व्यक्तिगत उपयोग नहीं करूंगा। लेकिन उसने वचन को नहीं निभाया। छैल अपनी विद्या से मिठाइयों से भरा थाल उत्पन्न करता और अनेक मनुष्यों को मिठाई खिलाता था। धीरे-धीरे उसको उन विद्याओं में रस आने लगा और वह लोगों को सम्मोहित करने लगा। हालांकि छैल के बारे में अन्य कई और भी किस्से प्रचलित हैं। उसने लोगों के भले का काम भी किया था।
 
एक बार उसने अपने छल-कपट और जादूगरी से एक जैन सन्यासी के धार्मिक कार्य में बाधाएं डालना शुरू कर दी थी। कई बार चेताए जाने पर भी उसने सन्यासी को परेशान करना बंद नहीं किया तब अंत में सन्यासी ने उसकी जादूगरी को एक ही इशारे से धूल में मिला दिया। उसका जादू हमेशा के लिए नष्ट कर दिया। फिर कभी उसका जादू नहीं चला। भारत के ज्ञात इतिहास में पहला जादूगर उसे ही माना जाता है। हालांकि उससे पहले भी हजारों जादूगर हुए हैं लेकिन वे इतिहास के गर्त में खो गए। ज्यादातर को सड़क पर बताने वाले ही थे।
 
अगले पन्ने पर दूसरा जादूगर...
 

हैरी हुडनी( harry houdini )- पश्‍चिमी जगत में हुडनी या हुडिनी सबसे बड़ा नाम है। सभी जादूगर उनसे प्रेरणा लेते हैं। हालांकि वे कुछ खास नहीं बस किसी भी प्रकार के बंधन या ताले से बाहर निकलने की कला जानते थे। यह भी सच है कि उन्होंने जो किया उनके जैसा कोई शायद ही कर पाए। हुडनी को मूलत: स्टंट परफॉर्मर के तौर पर जाना जाता था। हंगरी-अमेरिका में जन्मे हुडनी ने 52 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
 
यहूदी धर्मगुरु के बेटे हुडिनी ताले और बेडियों के जकडज़ाल से बच निकलने को जादुई अंदाज में पेश करने में माहिर थे। हुडिनी का वास्तविक नाम एरिक वेस था। उनका जन्म हंगरी के बुडापेस्ट शहर में 24 मार्च, 1874 को हुआ था। पिता की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अपने सभी भाई बहिनों के साथ वे अमेरिका में जाकर बस गए। बैस नामक युवती के साथ उनकी शादी भी हुई।
 
लंदन में उनकी शौहरत के बाद लंदन के ‘डेली मिरर’ नामक एक अखबार के एक पत्रकार ने उनको चुनौती दी कि वह एक लुहार की पांच सालों की मेहनत से बनाई गई हथकड़ियों को खोल कर दिखाएं। हुडिनी ने उसकी चुनौती स्वीकारते हुए चार हजार दर्शकों के विशाल जनसमूह में उन हथकड़ियों को बिना किसी चाभी के पांच मिनट में खोलकर दिखा दिया।
 
वॉशिंगटन की एक जेल में उसे पूरी तरह निर्वस्त्र करने के बाद उसकी तलाशी लेकर एक काल कोठरी में डाल दिया गया। अब जेल अधिकारी निश्चिन्त थे कि किसी तरह का औजार पास में न होने के कारण हुडिनी बाहर न निकल सकेगा। लेकिन आश्चर्य कि न केवल वह स्वयं दो ही मिनट के अन्तराल में उस काल कोठरी से बाहर हो गया, बल्कि खेल ही खेल में उसने 27 मिनट के थोड़े से समय में 18 अन्य कैदियों को उनकी अपनी कोठरियों से निकाल कर दूसरी कोठरियों में डाल दिया। इस तरह हुडिनी के किस्से हजारों हैं।
 
यह आश्चर्य वाली बात थी कि हुडिनी ने एक बार पत्रकारों को बताया था कि उसके चमत्कारों का रहस्य भारतीय योग के प्राणायाम की श्वास की सिद्धि एवं मन की एकाग्रता में है। इस सिद्धि से वे अपने शरीर को कुछ हद तक फैला और सिकौड़ लेते थे। 
 
अगले पन्ने पर तीसरा जादूगर...
 

पीसी सरकार (pc sorcar) : इनका जन्म 1913 में बंगाल में हुआ। 50-60 के दशक में अपने प्रसिद्ध शो ‘इन्द्रजाल’ के माध्यम से दुनिया भर के लोगों का दिल जीतने वाले बंगाल के जादूगर को सरकार कहते थे। बंगाल के जिस क्षेत्र में उनका जन्म हुआ था, अब वह बांग्लादेश में आता है। 6 जनवरी 1971 में जापान में एक शो करते समय 58 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से जादूगर पीसी सरकार का निधन हो गया था। उन्हें भारत सरकार ने वर्ष 1964 में पद्मश्री से पुरस्कृत किया।
 
इनका जादू का शो ‘इंद्रजाल’ काफी लोकप्रिय हुआ करता था। सरकार 1930 में चर्चा में आए, जब उन्होंने कोलकाता और जापान में शो करने आरंभ किए। लोगों ने उनका लड़की को हवा में लटका देने का जादू काफी ज्यादा पसंद किया। सरकार का 6 जनवरी 1971 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
 
पीसी सरकार भी अपने परिवार में जादूगरी का करतब दिखाने वाली सांतवी पीढ़ी के सदस्य थे। उनके कई नामचीन करतबों में उड़ने वाली कालीन का जादू शामिल था। पीसी सरकार भारत के सबसे नामी जादूगर थे। उनकी हवा में लड़कियों को उड़ाने वाली ट्रिक काफी मशहूर थी। 
 
पीसी सरकार जूनियर : इन दिनों पीसी सरकार के पुत्र ने उनकी कला को प्रचलित कर रखा है। भारत के मशहूर जादूगर पीसी सरकार जूनियर ने नब्बे के दशक में कलकत्ता के विक्टोरिया मेमोरियल को और एक चलती हुई ट्रेन को गायब कर दिया था, यहां तक कि वह तो सात अजूबों में से एक ताज महल को भी गायब कर के दिखा चुके हैं। 
 
पीसी सरकार जूनियर की पत्नी जयश्री कोरियोग्राफी में उनकी मदद करती हैं और उनकी तीन बेटियों- मेनका, मोउबानी और मुमताज ने भी उनसे जादू के कुछ गुर सीखे हैं। ओहियो विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री पा चुकी मेनका अपने पिता के साथ स्टेज पर प्रोग्राम पेश कर चुकी है जबकि बाकी दोनों का जुड़ाव थिएटर और नृत्य से है। जापानी और स्पैनिश भाषाओं में दक्ष सरकार इन दोनों ही देशों में शो करते रहते हैं और सेविला तो उनकी पसंदीदा जगह है जहां वह 49 से ज्यादा शो कर चुके हैं। सरकार के शो को दर्शक कितना पसंद करते हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर साल सरकार 400 शो करते हैं और इनमें से सारे के सारे हाउसफुल रहते हैं। 
 
सरकार पूछते हैं कि- क्या आपको पता है कि मेरे पिता आखिर इतने शाही अंदाज में क्यों कपड़े पहनते थे। और इसका जवाब भी खुद उन्हीं की तरफ से आता है, वह कहते हैं कि मेरे पिता जादू के शहंशाह रहे हैं इसी वजह से उनकी वेश भूषा भी कुछ इसी तरह की होती है। 
 
अगले पन्ने पर चौथा जादूगर...
 

डेविड कॉपरफील्ड (David Copperfield) :- कॉपरफील्ड का जन्म अमेरिका के न्यूजर्सी में हुआ था। महज 16 साल की उम्र में ही न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में उन्हें मैजिक का कोर्स कराने का मौका मिल गया, जबकि 10 साल की उम्र में उन्होंने जादू दिखाना शुरू शुरू कर दिया था। डेविड कॉपरफील्ड 11 बार ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।
 
डेविड कॉपरफील्ड का जन्म अमेरिका में 1956 में हुआ। फोर्ब्स पत्रिका ने अपने एक अंक में उन्हें सबसे अमीर जादूगरों की लिस्ट में शामिल किया था। कॉपरफील्ड काफी अधिक लोकप्रिय रहे हैं। वे कहानी सुनाते-सुनाते जादू दिखाते हैं। पिछले 30 साल से जादू दिखाते हुए उन्होंने 11 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस भी बनाए। कॉपरफील्ड के जो जादू दुनिया भर में चर्चा का विषय बने, वे थे स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को गायब कर देना और ग्रेट वॉल ऑफ चाइना पर चलना।
 
अगले पन्ने पर पांचवां जादूगर
 

जादूगर आनंद ( magician anand ) :  जादूगर आनंद अपने कार्य में इतने निपुण हैं कि उनका दिखाया ट्रिक असली लगने लगता है। खुद जादूगर आदंन कहते हैं कि दुनिया में जादू नाम की कोई ‍चीज नहीं होती। यह तो हाथ की सफाई और सम्मोहन क्रिया है।
 
3 जनवरी 1952 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में जन्मे जादूगर आनंद ने देश-विदेश में अपने सैंकड़ों शो किए। यह आश्चर्य ही है कि 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला शो छत्तीसगढ़ के रायपुर में किया था। वे अब तक भारत के अलावा विश्व के 36 देशों में जादू के 30 हजार शो कर ‍चुके हैं। पीसी सरकार और जादूगर आनंद ने भारत में मदारियों के मजमे तक सिमटी अनूठी कला को कस्बाई गली-कूचों और फुटपाथों से उठाकर मंच तक ले जाने का करिश्मा कर दिखाया। जादूगर आनंद ने मदारियों से जादू सीखा यह कहने में उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होता।
 
शायद बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि जादूगर आनंद सुप्रसिद्ध दार्शनिक आचार्य रजनीश के साथ वर्षों रहे। जादूगर आनंद ने भी अपनी जादूगरी के शुरुआती दिनों में हैरी हुडिनी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके मशहूर खेल को अनेकों अंदाज में पेश किया था।
 
जादूगर आनंद पहले हाथी और अन्य जंगली जानवरों को गायब करने का करिश्मा दिखाया करते थे लेकिन, अब सभी के सामने स्टेच्यू लिबर्टी को गायब करने का करिश्मा दिखाते हैं। इसके अलावा वे चलती फिल्म के पर्दे में समा जाते हैं और उसके कलाकारों को पर्दे से निकलकर मंच पर ला खड़ा कर देते हैं। वे किसी व्यक्ति को दो टुकड़े में काटकर फिर जोड़ देते हैं और ममी को जिंदाकर हवा में विलीन कर देते हैं, हालांकि ये कारनामें और भी जादूगर करते हैं लेकिन आनंद का अंदाज निराला है। उनके जादू में सबसे मशहूर जादू है कि वे सभी के सामने गले के आरपार कर देते हैं तलवार। आंखों पर काली पट्टी बांधकर वे संपूर्ण शहर में बुलेट पर घुमते हैं।
 
जादूगर आनंद के बेटे आकाश भी उनके पिता की तरह स्टंट करने में माहिर है। एक बार जबलपुर में सभी के सामने आकाश के हाथ और पैर सहित पूरे शरीर पर चालीस फुट लम्बी लोहे की जंजीर बांधी गई। इस पर चालीस ताले लगाए गए और फिर आकाश को क्रेन की मदद से उलटा लटका कर घास फूस के बने कुएं में उतार दिया गया। बाद में उस कुएं को पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई। इस धधकती हुई आग के बीच से पलभर में ही जजीरें तोड़ कर आकाश बाहर आ गए। इस खतरनाक स्टंट को आकाश ने कई बार किया।
 
अगले पन्ने पर छठा जादूगर...
 

के. लाल ( magician k lal ): कांतिलाल गिरधारीलाल वोरा यानि के. लाल का जन्म 1924 में भारत में हुआ था। उन्हें भौमिक गुप्ता के नाम से भी जाना जाता है। 62 साल के अपने सफर में उन्होंने पूरी दुनिया में घूमकर 22,000 से अधिक शो किए। अपना अंतिम शो उन्होंने जुलाई 2012 में किया।
इसी साल 22 सितंबर को उनका देहांत हुआ। वे अपने बेटे के. लाल जूनियर के साथ 32 साल तक शो करते रहे। शरीर से सिर को अलग कर देने के उनके जादू को लोगों ने काफी पसंद किया। रूस के जादूगर कीओ ने कहा था कि उन्होंने के. लाल जैसा शो अपने जीवन में कभी नहीं देखा है।
 
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ब्लैक स्टोन ( magician blackstone ): - साल 1885 में यूएसए के मिसिगन में जन्मे ब्लैक स्टोन, सीनियर ने 20वीं सदी में ही स्टेज मैजिशियन के रूप में जादू की दुनिया में अपना नाम कर लिया था। 80 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया से विदा ली।
 
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जादूगर डायनामो ( magician dynamo ) : जादूगरी की दुनिया में जाना-माना नाम डायनामो। उम्र मात्र 31 साल और हजारों ऐसे कारमानें जिसे हाथ की सफाई कहना सचमुच ही मुश्किल है। 17 दिसंबर 1982 में जन्में डायनामो का शहर है ब्रैडफ़ोर्ड वेस्ट यॉर्कशायर- इंग्लैंड। 
 
स्टीवन फ्रेन यानी डायनमो इन दिनों जादू की दुनिया का सबसे चमकदार सितारा है। इनकी खासियत है कि ये सड़क पर आम लोगों के साथ बड़े ही शांत तरीके से चलते हुए कुछ जादू दिखा देते हैं। राह चलते लोगों को चौंकाना उन्हें पसंद है।

डायनमो की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उनके नाम से जो टीवी शो अभी प्रसारित हो रहा है, उसकी टीआरपी काफी हाई है यानी उसको देखने वाले भी कम नहीं हैं। इस शो में उनके लाइव जादू को दिखाया जाता है। लोग उन्हें ‘डायनमो-मेजिशियन इंपॉसिबल’ कहते हैं।
 
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क्रिस एंजल (criss angel) : क्रिस्टोफर निकोलस सरान्टाकोस का जन्म 19 दिसम्बर 1967 अमेरिका में हुआ। जादू की दुनिया में उन्हें क्रिस एंजल के नाम से जाना जाता है।

उन्हें पांच बार 'वर्ष का जादूगर' (मेजिशियन ऑफ़ दि इयर) का अवॉर्ड प्राप्त हुआ। इंटरनेशनल मेजिशियंस सोसायटी ने सबसे पहले 2010 में उन्हें यह खिताब दिया था। उन्हें अमूमन हर साल ही कोई न कोई अवॉर्ड मिला है। 
 
एंजल काफी अच्छे गायक भी हैं और उनकी पांच एलबम्स भी रिलीज हुई हैं। क्रिस एंजल को सबसे स्टाइलिश जादूगर भी कहा जाता है। लंबे बाल, सफेद-काले कपडमें का कॉम्बिनेशन और फंकी ज्वेलरी उनकी पहचान रही है। एंजल के वॉक ऑन वॉटर लिंक को यू-ट्यूब पर 46 मिलियन से अधिक व्यू मिले थे।
 
अगले पन्ने पर दसवां जादूगर...
 

विड ब्लेन (Weed Blaine) : अमेरिका के न्यूयॉर्क में जन्मे और पिछले दशक के लोकप्रिय जादूगरों में से एक डेविड का नाम सभी जानते हैं। जब वे चार साल के थे तो उन्होंने एक सब-वे में जादूगरी करते एक व्यक्ति को देखा। तभी से डेविड ने सोच लिया था कि वह बड़े होकर महान जादूगर बनेंगे।
 
डेविड खुद को कई बार कैद करने के लिए जाने जाते हैं। एक बार वे 6 टन बर्फ से भरे बॉक्स में बंद हो गए और 3 दिन बाद उसमें से सकुशल बाहर निकले। 2003 में थेम्स नदी के ऊपर एक शीशे के बॉक्स में वे 44 दिन तक बंद रहे।
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवां जादूगर 
 

जादूगर शिमाडा (Magician Shimada) : दुनियाभर में एलिगेंट, क्लासिक और ऑरिजिनल परफॉर्मर के तौर पर खुद को साबित कर चुके जापान के शिमाडा ने अपना नाम ऑल टाइम सक्सेसफुल मैजिशियन के रूप में अंकित कर लिया है।
और भी कई मशहूर नाम है:- लियू कियान, हर्बर्ट एल बेकर, सम्राट शंकर, अशोक भंडारी, राजकुमार, समराज, पेन एंड टेलर, लांस बर्टन, जेफ मैकब्राइड, गोपीनाथ मुथुकद, मानेक सरकार, खुदा बख्श, प्रहलाद आचार्य, ओपी शर्मा, एसके दास, शिव कुमार, मोहित कुमार त्रिपाठी, केसी पांडे, आदि अनेक नाम प्रसिद्ध हैं।