शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. खोज-खबर
  3. रोचक-रोमांचक
  4. Litti Chokha history
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 12 नवंबर 2024 (11:46 IST)

क्या है लिट्टी-चोखा की कहानी? जानिए बिहार के पारंपरिक व्यंजन की कथा-यात्रा

how to make Litti Chokha: क्या है लिट्टी-चोखा की कहानी? जानिए बिहार के पारंपरिक व्यंजन की कथा-यात्रा - Litti Chokha history
Litti Chokha Bihar

Litti Chokha History: बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी चोखा न केवल एक स्वादिष्ट भोजन है, बल्कि इस राज्य की संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। गेहूं के आटे से बनी लिट्टी में सत्तू (भुना चना का आटा), लहसुन, अदरक, और मसाले भरकर इसे चूल्हे या आग पर पकाया जाता है। चोखा आमतौर पर भुने बैंगन, आलू और टमाटर से बनाया जाता है, जिसे हरी मिर्च, धनिया और मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है।

लिट्टी चोखा का इतिहास बहुत पुराना है, और यह पारंपरिक तौर पर बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पकाया जाता रहा है। माना जाता है कि इस व्यंजन की जड़ें मगध काल के समय की हैं और मुगल काल में भी यह बहुत लोकप्रिय रहा है।
बिहार और झारखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी यह डिश खासी लोकप्रिय है। कई राज्यों में इसका स्वाद लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया है, और अब तो देश-विदेश में भी यह परोसा जाने लगा है।
आज इस आलेख में हम आपको लिट्टी चोखा के इतिहास से परिचित करवा रहे हैं।

 
मगध साम्राज्य से जुड़ा है लिट्टी-चोखा का इतिहास: लिट्टी-चोखा का इतिहास प्राचीन मगध साम्राज्य से जुड़ा है। माना जाता है कि इस व्यंजन का आरंभिक स्वरूप प्राचीन काल में भारतीय सैनिकों के आहार में शामिल था। लिट्टी का मुख्य घटक सत्तू है, जो बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का प्रिय है।

मगध के योद्धाओं और किसानों के बीच इस व्यंजन की लोकप्रियता थी, क्योंकि इसे बिना ज्यादा तैयारी के बनाया और खाया जा सकता था। लिट्टी में भरे जाने वाले सत्तू और सरसों का तेल इसे लंबी यात्रा के लिए भी उपयुक्त बनाते हैं।

मुगल काल के दौरान लिट्टी को शाही रसोइयों ने दिया एक नया आयाम
लिट्टी-चोखा, बिहार और पूर्वांचल का प्रसिद्ध व्यंजन, समय के साथ कई बदलावों से गुजरा है। खासतौर पर मुगल काल के दौरान शाही रसोइयों ने इस साधारण से दिखने वाले व्यंजन को एक नया रूप दिया और इसमें कई तरह के मसालों व जायकों का सम्मिलन किया।

मुगलों के आगमन के बाद लिट्टी में परिवर्तन
मुगल साम्राज्य के प्रभाव से भारतीय भोजन में बड़े बदलाव हुए। शाही रसोइये विभिन्न व्यंजनों के साथ नए प्रयोग करते थे और लिट्टी भी इससे अछूता नहीं था। उन्होंने साधारण गेहूं के आटे से बनी इस लिट्टी को तरह-तरह के मसालों और घी से भरपूर कर इसे एक खास व्यंजन बना दिया।

मुगल रसोइयों द्वारा लिट्टी में मसालों का जोड़
मुगल काल के दौरान, शाही रसोइयों ने लिट्टी में धनिया, जीरा, सौंफ, अदरक और कई अन्य मसालों का प्रयोग किया। इससे लिट्टी का स्वाद और भी खास हो गया। शाही लिट्टी में पुदीना और केसर का भी उपयोग किया जाने लगा, जो इसे और भी सुगंधित बना देता था।

 लिट्टी-चोखा: बिहारी संस्कृति का प्रतीक
समय के साथ, लिट्टी-चोखा बिहार की संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा बन गया। यह न केवल एक भोजन है, बल्कि बिहारी गौरव और परंपरा का प्रतीक है। शादी-ब्याह से लेकर त्योहारों तक, लिट्टी-चोखा की उपस्थिति हर खास अवसर पर देखी जा सकती है।
लिट्टी का स्वाद बढ़ाने के लिए इसके साथ चोखा परोसा जाता है, जिसमें भुना हुआ बैंगन, टमाटर, और आलू होते हैं। चोखे का स्वाद लिट्टी के साथ मिलकर इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है।

कैसे बना लिट्टी-चोखा बिहार की पहचान?
बिहार से बाहर भी इस व्यंजन की प्रसिद्धि तेजी से बढ़ी है। बिहार के लोग जहां भी जाते हैं, लिट्टी-चोखा की पहचान को अपने साथ ले जाते हैं। यही कारण है कि लिट्टी-चोखा आज पूरे भारत में लोकप्रिय हो चुका है और बिहार की एक सांस्कृतिक पहचान बन गया है।
 
कैसे बनाया जाता है लिट्टी चोखा?
लिट्टी बनाने की विधि
  • गेहूं के आटे का घोल बनाकर उसमें नमक और तेल मिलाएं।
  • सत्तू में अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, नींबू का रस, नमक और मसाले मिलाएं।
  • आटे की छोटी लोइयां बनाकर उसमें सत्तू भरें और गोल-गोल लिट्टी तैयार करें।
  • लिट्टी को धीमी आंच पर पकाएं और बाद में घी में डुबोकर परोसें।
 
चोखा बनाने की विधि
  • बैंगन, आलू और टमाटर को आग में भूनकर उसका छिलका उतार लें।
  • इन सब्जियों को मैश करें और उसमें हरी मिर्च, प्याज, लहसुन, नमक और सरसों का तेल मिलाएं।
लिट्टी चोखा का स्वास्थ्य लाभ
लिट्टी चोखा में सत्तू होता है, जो प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और लंबे समय तक भूख को संतुष्ट रखता है। इसके अलावा, इसमें कम तेल का उपयोग होता है, जिससे यह पौष्टिक भी है।

लिट्टी-चोखा का स्वाद और इसकी कहानी बिहार की धरोहर है। इसका इतिहास मगध साम्राज्य से लेकर आज के आधुनिक बिहार तक की यात्रा दर्शाता है। यह व्यंजन न केवल पेट भरता है, बल्कि एक इतिहास और संस्कृति को जीवित रखता है। अगर आपने अभी तक लिट्टी-चोखा का आनंद नहीं लिया है, तो इसे जरूर आजमाएं और बिहार की परंपरा का हिस्सा बनें।


 
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।