- लाइफ स्टाइल
» - नन्ही दुनिया
» - प्रेरक व्यक्तित्व
- गीत नहीं गाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं,दाग बड़े गहरे हैं,टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूँ।गीत नहीं गाता हूँ।लगी कुछ ऐसी नजर,बिखरा शीशे सा शहर,अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ।गीत नहीं गाता हूँ।पीठ में छुरी सा चाँद,राहु गया रेखा फाँद,मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ। गीत नहीं गाता हूँ।साभार : मेरी इक्यावन कविताएँ