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Last Modified: इंदौर , गुरुवार, 5 जून 2025 (19:05 IST)

महाराणा प्रताप एवं देवी अहिल्या जयंती पर काव्य उत्सव में गूंजी ओजस्वी रचनाएं, 'अपराजित प्रेम' का हुआ लोकार्पण

Poetry festival organized on Maharana Pratap and Devi Ahilya Jayanti in Indore
स्टेट प्रेस क्लब, मध्य प्रदेश के तत्वावधान में महाराणा प्रताप जयंती एवं देवी अहिल्याबाई होलकर जयंती के पावन अवसर पर एक भव्य संस्मरण पुस्तक लोकार्पण एवं काव्य उत्सव का आयोजन किया गया। स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल एवं सचिव यशवर्धन सिंह के संयोजन में आयोजित इस गरिमामय कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी ओजस्वी वाणी से समा बांध दिया।

कार्यक्रम के संयोजक जसवेंद्र सिंह बुंदेला ने जानकारी देते हुए बताया कि इस विशेष आयोजन में कवयित्री अनीता सिंह 'अपराजिता' की नवीनतम कृति अपराजित प्रेम का लोकार्पण भी किया गया। इसके अतिरिक्त, देश के विभिन्न अंचलों से पधारे कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं का पाठ कर सभागार में उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में इंदौर के लोकप्रिय आईपीएस अधिकारी अमित सिंह ने शिरकत की। विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा के प्रतिष्ठित नेता अजय सिंह नरूका, मुकेश राजावत, दीपक राजपूत एवं डीएचएल इंफ्रा बुल्स के फाउंडर संतोष सिंह मंचासीन रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। अतिथियों का आत्मीय स्वागत पुष्कर सोनी द्वारा किया गया, वहीं कार्यक्रम के अंत में स्टेट प्रेस क्लब के सचिव यशवर्धन सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

काव्य रस में डूबे श्रोता, इन कवियों ने बांधा समा :
इस यादगार काव्य संध्या को अपनी खूबसूरत रचनाओं से सजाने वाले प्रमुख कवि :

कवि पवन प्रबल, इटारसी ने अपने काव्य पाठ में जीवन के यथार्थ को प्रस्तुत करते हुए कहा :
जीवन है संग्राम बताकर चले गए
कर्तव्यों के नाम बता कर चले गए
रिश्ते-नाते क्या होते हैं दुनिया में
रामायण में राम बताकर चले गए

हिमांशु हिन्द ने राष्ट्रप्रेम और त्याग का अद्भुत चित्रण किया :
वेदना संवेदना का ध्यान भी भरपूर था
दृष्टि से ओझल नहीं था लक्ष्य किंतु दूर था
मांग पूरे देश की थी मांग उजड़ी जब यहां
इसलिए ही ऑपरेशन नाम भी सिंदूर था

जसवेंद्र सिंह बुंदेला ने पिता के संघर्ष और समर्पण को मार्मिक शब्दों में व्यक्त किया :
बोझ कांधे पे सबके वो ढोता गया
सबका होने में खुद को ही खोता गया
अपने बच्चों को काबिल जवां करने में
इक जवां बाप बूढ़ा सा होता गया

धीरज चौहान ने हौसले और जज्बे की बात कही :
जब हो तूफान ग़ज़बनाक पलट आते हैं
हौसला हार के तैराक पलट आते हैं
पहले तरतीब से रख देते हैं मिट्टी पे बदन
फिर वहां जाकर हमीं ख़ाक पलट आते हैं

प्रीति पांडेय, प्रतापगढ़ ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत पंक्तियां प्रस्तुत कीं :
मन की सरहद में घूम लेती हूं
इन हवाओं में झूम लेती हूं
याद जब भी तुम्हारी आती है
मैं तिरंगे को चूम लेती हूं

पं. महेंद्र मधुर, आष्टा (मध्य प्रदेश) ने देवी अहिल्याबाई के प्रति इंदौर और समूचे विश्व की श्रद्धा को अपने काव्य में पिरोया :
जिसे इंदौर कहते हैं वही तो धाम है उनका
युगों से पूजते हैं सब अमर यूं नाम है उनका
समूचे विश्व के हिंदू ऋणी हैं, जानते हैं सब
लिखा हर एक मंदिर पर अहिल्या नाम है उनका

अनीता सिंह 'अपराजिता' ने अपनी पुस्तक अपराजित प्रेम से प्रेम की गहराई को दर्शाती पंक्तियां साझा कीं :
गुलमोहर के सुर्ख लाल फूलों सा मनमोहक प्रेम है तुम्हारा
रवि की प्रज्वलित रश्मियों की तपिश
से भी जिनकी रंगत धूमिल नहीं पड़ती
घोर तिमिर में भी तुम्हारे प्रेम की दिव्यता मेरे मन को मोहित करती है

यह काव्य उत्सव देर रात तक चला और उपस्थित सुधी श्रोताओं ने प्रत्येक कवि की प्रस्तुति पर करतल ध्वनि से उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम ने न केवल महाराणा प्रताप और देवी अहिल्याबाई होलकर के प्रेरक जीवन का पुण्य स्मरण कराया, बल्कि साहित्य और संस्कृति के संवर्धन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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