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Last Updated : मंगलवार, 16 नवंबर 2021 (11:49 IST)

जनजाति समाज अपनी संस्कृति एवं परंपराओं का संरक्षण करे तथा बाहरी षड्यंत्रों के प्रति सजग रहे : कैलाश अमलियार

जनजाति समाज अपनी संस्कृति एवं परंपराओं का संरक्षण करे तथा बाहरी षड्यंत्रों के प्रति सजग रहे : कैलाश अमलियार - Kailash Amaliyar's speech in the program of tribal society
जो जरूरी बातें पूरे देश के महत्व की हैं उन पर सारे जनजाति समाज को ध्यान देना आवश्यक है। हम सभी लोग इसी धरती माता के पुत्र हैं, यही हमारी मां है। हमारे समाज को इस भारत माता की जयकार इतनी जोर से करनी है कि सारा संसार अच्छे से सुन ले। जो दुष्ट षड्यंत्रकारी हमारे जनजाति समाज को अपनी भारत माता से दूर करना चाहते हैं, उनकी साजिशों से हमें सावधान रहने की जरूरत है।

जनजाति समाज के वीरों का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी आता है। रामायण में तो वनवासियों को मान देते हुए एक कांड का नाम ही अरण्यकांड रखा गया है। उक्त विचार इंदौर के चिमनबाग मैदान में आयोजित विशाल जनजाति संगम में प्रमुख वक्ता कैलाश अमलियार ने प्रकट किए।

उन्होंने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि हमारी सारी परंपराएं भी वैज्ञानिक महत्व की रही हैं। जब-जब भारत माता को जरूरत पड़ी, जनजाति समाज के वीरों ने अपना सब कुछ दांव पर लगाया है। भारतवर्ष पिछले एक हजार वर्षों से विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर रहा है।

इस दौरान देश के सारे हिंदू समाज के साथ ही हमारे जनजातीय समाज की संस्कृति और परंपराओं को भी चोट पहुंची है। जो डर गए वे भटककर अपनी मूल हिंदुस्‍तानी संस्कृति से दूर हो गए, परंतु हमारा स्पष्ट मत है कि जो कोई भी हिंदू की इस पवित्र भूमि को अपनी मां मानेगा, उसे ही इस धरती पर रहने का हक है। जो कोई भारत माता की जय बोलेगा, जो कोई वंदे मातरम् बोलेगा, केवल वही हमारा है। हिंदुस्‍तान अब रुकने वाला नहीं है और हमारा जनजाति समाज भी अब रुकने वाला नहीं है।

केंद्र सरकार द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने के उपलक्ष्य में इंदौर के चिमनबाग मैदान में विशाल जनजाति संगम आयोजित किया गया, जिसमें इंदौर जिले तथा आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत बड़ी संख्या में जनजाति समाज के बंधु अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सपरिवार अपने स्वयं के साधन द्वारा उत्साहपूर्वक पधारे। पूरे कार्यक्रम का स्वरूप एक उत्सव जैसा प्रतीत हो रहा था।

जनजाति समाज के साथ ही अन्य हिंदू समाज भी बड़ी संख्या में जनजाति नायकों का स्मरण करने, जनजाति समाज की परंपराओं के दर्शन करने के लिए उपस्थित तथा सहभागी रहा। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 'काका बाबा ना पोरिया' फेम आनंदीलाल भावेल रहे, जिन्होंने पारंपरिक गीतों पर उपस्थित विशाल जनसमूह को थिरकने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में अन्य जनजाति कलाकारों ने भी गोंडी, भगोरिया, करमा नृत्य इत्यादि की अद्भुत प्रस्तुतियां दीं।

कार्यक्रम के मंच पर प्रमुख वक्ताओं मालवाप्रांत जनजाति प्रमुख कैलाश अमलियार, श्रीमती अनिता ठाकुर और वनवासी कल्याण परिषद के अध्यक्ष प्रो. मदन सिंहजी वास्केल के साथ ही जनजाति विकास मंच के अध्यक्ष गोविंद भूरिया, संत समाज से हीरानंदजी ब्रह्मचारी बाबा, बारेला समाज से कीरसिंह महाराज, भिलाला समाज से विजय सिंह सोलंकी, भील समाज से शंकरलाल कटारिया, गोंडवाना विकास परिषद से महेंद्र परते, उरांव समाज से बिरदजी उरांव के अलावा अजमेरसिंह भाभर, भाईराम भास्कर, राधेश्याम घोरमड़े, ओमप्रकाश बलकर आदि अतिथि उपस्थित थे।

मंच का संचालन डॉ. रेखा नागर और पुंजालाल निनामा ने किया। अतिथि परिचय राधेश्याम जामले और स्वागत भाषण विक्रम सिंह मर्सकोला ने दिया।