हाईटेक कार चोर, रेडियो अटैक डिवाइस से हैक कर मिनटों में चुरा लेते थे लक्जरी कारें
इंदौर। इंदौर पुलिस ने ऐसे चोरों को पकड़ा है, जो हाईटेक ढंग से गाड़ियों को चुरा लेते थे। इस मामले में इंदौर से चोरी हुई लक्जरी कारों के मामलों में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस चोरी में साइबर अपराधियों का हाथ मानकर जांच में जुटी है। यह भी पता चला है कि वारदात रेडियो अटैक डिवाइस की मदद से तरंगें चुराकर अनलॉक कर की जा रही है। यह डिवाइस डार्क नेट या डीप वेब पर आसानी से मिल जाता है।
जांच में जुटे अफसरों के मुताबिक यह सबसे पहले वाहन चोरी के इस हाईटेक तरिके का खुलासा विजयनगर क्षेत्र से चोरी कार की तफ्तीश में हुआ है। थाने के समीप से चोरी कार के सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर पता चला कि बदमाशों के पास एक डिवाइस था जिससे सिर्फ 3 मिनट में गाड़ी अनलॉक हुई और चोरी कर फरार हो गए। इसके बाद सक्रिय हुई क्राइम ब्रांच ने लसूड़िया, कनाड़िया, राजेंद्रनगर थाना क्षेत्रों से चोरी हुई कारों का डेटा एकत्र किया तो शक पुख्ता हो गया। पुलिस ने करीब 10 वारदातों की जानकारी जुटा ली है, जो डिवाइस के सिस्टम हैक कर चोरी हुई है।
एक्सपर्ट के मुताबिक कार स्मार्ट-की के जरिए लॉक और अनलॉक होती है। इस दौरान जब भी बटन दबाया जाता है तब चाबी कार को एक कोड भेजती है। गाड़ी कोड रिसीव कर लॉक-अनलॉक हो जाती है। साइबर अपराधी रेडियो अटैक डिवाइस के माध्यम से स्मार्ट-की की रेडियो फ्रीक्वेंसी (तरंग) को कैप्चर कर लेते हैं। फ्रीक्वेंसी को लैपटॉप या फिर इंफ्रारेड डिवाइस के माध्यम से उस कोड में तब्दील कर देते हैं जिस कोड के जरिए गाड़ी में लगी हुई डिवाइस कार को लॉक और अनलॉक करती है। इस प्रकार गाड़ी चकमा खा जाती है और अपनी चाबी समझकर अनलॉक हो जाती है।
कनाड़िया थाना क्षेत्र में गुरुवार को निजी कंपनी के कर्मचारी गणेश पाटीदार की कार चुराने में भी इसी प्रकार के अपराधियों की संलिप्तता मिली है। चाबी न होने के बाद भी कार चुराने वाली घटनाएं सामने आई हैं और विजयनगर और कनाड़िया में मिनटों में कार चोरी हुई इसकी जांच की जा रही है।