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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 13 मार्च 2025 (11:32 IST)

जनक दीदी की होली के लिए प्राकृतिक रंगों की 6 दिवसीय कार्यशाला का रंगारंग समापन

जनक दीदी की होली के लिए प्राकृतिक रंगों की 6 दिवसीय कार्यशाला का रंगारंग समापन - Colourful conclusion of Janak Didis 6-day workshop on natural colours for Holi
पिछले 14 साल की तरह इस बार भी 2025 जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर होली महोत्सव मनाने की तैयारी के उद्देश्य से 7 मार्च से 12 मार्च 2025 की छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर में आज वैष्णव कॉलेज के बी.बी.ए., बी.सी.ए. के 50 छात्र, प्राध्यापक श्रीमति श्रुति पुस्तके और राहुल बोराडे शामिल हुए।

उन्होंने  जिम्मी मगिलिगन सेंटर परिसर में जैविक खेती, सोलर कुकर, सोलर किचन और पवन ऊर्जा का उपयोग, पानी का संचयन और सदुपयोग देखा और वास्तविक आत्मनिर्भर जीवन के बारे में जानकारी ली।
 
कार्यशाला की शुरुआत अथर्व पंड्या ने गणेश वंदना से की। जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के ट्रस्टी वीरेंद्र गोयल ने औद्योगिकीकरण के पर्यावरण पर हो रहे दुष्परिणाम की गंभीरता के बारे कहा 'अगर हम अपना और समाज का भविष्य सुरक्षित चाहते हैं तो हमें सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल को अपनाना होगा और दूसरों को भी प्रोत्साहित करना होगा।'
 
जनक पलटा मगिलिगन ने कहा 'प्रशिक्षण कार्यशाला मुख्य उद्देश्य पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को बचाना है।' उन्होंने विद्यार्थियों को साथ खड़ा करके बहुत ही सरलता से पोई टेसू/ पलाश, परिजात, गुलाब, बोगनविलिया, नारंगी के छिलके के गीले और सूखे गुलाल प्राकृतिक रंग बनाने सिखाएं।
 
जैसे ही उन्होंने टेसू/ पलाश फूलों में गर्म पानी डाला, तुरंत पानी नारंगी रंग का हो गया। इसी प्रकार पोई से श्याम रंग तैयार किया। सभी छात्र और प्राध्यापक आश्चर्य से देखते रहे। जनक दीदी ने कहा रसायन वाले रंग स्वास्थ्य और प्रकृति, दोनों ही के लिए हानिकारक हैं। ये रंग ना त्वचा से छूटते हैं, ना कपड़ों से और जड़ निकलते हैं, पानी भी दूषित होता है और अंततः मिट्टी भी। ऐसी आनंददायक और सुंदर होली खेलें की और खेलने का मन करे। 
 
अपने अनुभव साझा करते हुए अथर्व, जाह्नवी, भविष्य, देवांशी और माही ने कहा- अब वह पूजा में इस्तेमाल हुए फूलों और बाकी प्राकृतिक चीजों से और नए रंग बनाएंगे और सस्टेनेबल जीवनशैली अपनाएंगे। अथर्व ने कहा की प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है। प्रकृति कचरा नहीं उत्पन्न करती, तो हम भी उसे कचरा नहीं दें। उसे स्वच्छ रखें। 
    
जनक दीदी ने सभी को होली की शुभकामनाएं दी। अपने घर के पेड़ के सिंदूर से हैप्पी होली का तिलक लगाया और बच्चे उनका आशीर्वाद पाकर बहुत खुश हुए व वायदा किया कि अब सभी लोग प्राकृतक होली मनाएंगे। वीरेंद्र गोयल ने सभी को शुभकामनाएं और धन्यवाद दिया।