इंदौर में शर्मनाक कांड, मोबाइल बजने पर छात्राओं के उतरवाए कपड़े
Indore MP News : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर के एक सरकारी विद्यालय में नाबालिग छात्राओं के उत्पीड़न के मामले में बुधवार को शहर के पुलिस आयुक्त के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया। यह कदम इस विद्यालय की कक्षा में मोबाइल फोन की घंटी बजने पर इस उपकरण को ढूंढने के लिए एक शिक्षिका द्वारा छात्राओं के कपड़े उतरवाने की घटना के प्रकरण में अदालती आदेश का पालन नहीं किए जाने के कारण उठाया गया।
उच्च न्यायालय ने पुलिस आयुक्त को निर्देशित भी किया कि अगली सुनवाई पर वह अदालत के सामने खुद हाजिर रहें। सरकारी विद्यालय में नाबालिग छात्राओं के कथित रूप से कपड़े उतरवाने के मामले को लेकर अदालत में सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।
उच्च न्यायालय ने पुलिस आयुक्त को 30 अगस्त को आदेश दिया था कि वह महीने भर के भीतर अदालत के सामने रिपोर्ट पेश करके बताएं कि इस मामले में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधान लागू किए जा सकते हैं या नहीं?
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी ने कहा कि इस आदेश का पालन नहीं किया गया है, लिहाजा पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करके पूछा जाए कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए? युगल पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए 25 नवंबर की अगली तारीख तय की और कहा कि इस तिथि पर पुलिस आयुक्त अदालत के सामने खुद हाजिर रहें।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पालकों ने शहर के मल्हारगंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा में दो अगस्त को मोबाइल फोन की घंटी बजने पर एक शिक्षिका ने इस उपकरण को ढूंढने के लिए कम से कम पांच छात्राओं को शौचालय में ले जाकर कथित तौर पर उनके कपड़े उतरवाए और उनकी तलाशी ली।
उन्होंने बताया कि शिक्षिका के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 79 (महिला की गरिमा के अपमान की नीयत से किया गया कृत्य) के साथ ही किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 (बच्चों के प्रति क्रूरता) के तहत 15 अगस्त की रात मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक शुरुआती जांच के दौरान पाया गया कि घटना के पीछे शिक्षिका का कोई यौन इरादा नहीं था, इसलिए उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में पॉक्सो अधिनियम नहीं जोड़ा गया।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour