पराली जलाने वालों के खिलाफ प्रशासन ने कसी कमर, 77 किसानों पर होगी कार्रवाई, वेबदुनिया ने उठाया था मुद्दा
पिछले दिनों इंदौर में खेतों की पराली जलाने की वजह से प्रदूषण का ग्राफ काफी बढ़ गया था। आईआईटी इंदौर ने भी इंदौर में लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन को लेकर एक रिसर्च कर के अलर्ट जारी किया था।
वेबदुनिया ने इंदौर के आसपास के इलाकों में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। बता दें कि पराली का काला धुआं शहर तक आ रहा है, इसके साथ ही कई घरों की छतों पर पराली का जला हुआ काला कचरा नजर आने लगा था। अब प्रशासन ने पराली जलाने वाले तकरीबन 77 किसानों पर कार्रवाई की है।
कितनों पर कार्रवाई : पराली जलाने से न सिर्फ प्रदूषण बढ़ रहा है बल्कि तापमान में भी जबरदस्त इजाफा हो रहा है। अब प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की है। जिला प्रशासन ने ऐसे करीब 77 प्रकरणों में पंचनामें बनाए हैं जो गेहूं कटने के बाद किसानों द्वारा पराली जलाने के दंड स्वरूप बनाए गए हैं। इन सभी मामलों में अब प्रशासन जुर्माना लगाएगा। दरअसल पराली जलाने पर पूर्व में लगातार चेतावनी और कार्रवाई संबंधी आदेश के बावजूद लगातार कई किसान पराली जला रहे हैं।
इंदौर में 77 पंचनामें तैयार : इंदौर जिले में लगातार देखने में आ रहा है कि किसानों द्वारा फसल अवशेषों में आग लगाई जा रही है। जिस पर कार्रवाई के लिए इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर क्षेत्रीय अमला जिसमें कृषि, राजस्व एवं पंचायत विभाग शामिल हैं, पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना का उल्लघंन पाए जाने पर मौके पर जाकर पंचानामें बनाए जा रहे हैं। जिले की समस्त तहसीलों में कुल 77 पंचानामें तैयार किए गए हैं। जिन पर आगामी दिनों में मध्य प्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
कितना जुर्माना भरना होगा किसानों को : जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक जिनके पास 2 एकड़ तक की भूमि है, तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2 हजार 500 रुपए प्रति घटना के मान से जुर्माना देना होगा। जिसके पास 2 से 5 एकड़ तक की भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 5 हजार रुपए प्रति घटना के मान से और जिसके पास 5 एकड़ से अधिक भूमि है उनको 15 हजार रुपए प्रति घटना के मान से आर्थिक जुर्माना लगेगा।
इन इलाकों में क्यों नहीं रुक रही पराली की घटनाएं : बता दें कि इंदौर के आसपास फसलों की कटाई के बाद पराली यानी फसलों का बचा हुआ वेस्ट जलाने का काम किसान करते हैं। लेकिन खेतों की सफाई के लिए किसानों के लिए पराली जलाना भी जरूरी है, ऐसे में किसानों के विरोध की वजह से कई जिलों के कलेक्टर पराली जलाने की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। जबकि केंद्रीय सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी लगातार इस संबंध में कड़े दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं।
पराली जलाने के कहां कितने मामले : दरअसल, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक सेटेलाइट से डाटा कलेक्ट किया है। इस डाटा में सामने आया कि होशंगाबाद जिले में सबसे ज्यादा 292 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं हुईं। इसके बाद छिंदवाड़ा, सागर, उज्जैन और सिहोर जैसे जिलों में भी जमकर पराली जलाई गई। इंदौर जिले में भी 186 स्थानों पर कचरा और पराली जलाने के मामले सामने आए हैं।
पराली से किसे कितना खतरा : प्रदेश में फैलते प्रदूषण के जहर को लेकर डॉक्टरों का मानना है कि चाहे वो वायू प्रदूषण हो या किसी तरह का नॉइज पॉल्यूशन हर तरह का प्रदूषण इंसानों के लिए खतरनाक है। सांस और फेफड़ों संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ रवि दोषी ने वेबदुनिया को बताया कि हवा में फैला किसी भी तरह का प्रदूषण हमारे फैफड़ों के लिए घातक है। कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में इम्युनिटी का स्तर कम हुआ है। ऐसे में प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों को ज्यादा फैला रहा है। पिछले कुछ महीनों में एलर्जी के मरीजों की संख्या में हुई बढ़ोतरी इसका सबूत है। डॉक्टरों के मुताबिक दिल, फेफड़ और तमाम तरह की सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह प्रदूषण खतरनाक साबित होगा। बता दें कि हाल ही में इंदौर में दिल के दौरों से कई लोगों की मौत की घटनाएं सामने आई हैं।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल