शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. संत-महापुरुष
  4. Gadge Maharaj Death Anniversary 2024
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024 (10:18 IST)

महान समाज सुधारक संत गाडगे महाराज का निर्वाण दिवस, जानें अनसुनी बातें

महान समाज सुधारक संत गाडगे महाराज का निर्वाण दिवस, जानें अनसुनी बातें - Gadge Maharaj Death Anniversary 2024
Gadge Maharaj : आज, 20 दिसंबर को रजक समाज के आराध्य संत श्री गाडगे बाबा का महानिर्वाण दिवस मनाया जा रहा है। संत गाडगे बाबा एक निष्काम कर्मयोगी राष्ट्रसंत के रूप में जाने जाते हैं। 20 दिसंबर को गाडगे महाराज के प्राण ने शरीर को छोड़ दिया था और वे अपने द्वारा कार्यों के लिए सदैव अमर हो गए।

आइए यहां जानते हैं उनके पुण्यतिथि पर उनके बारे में रोचक जानकारी...
 
HIGHLIGHTS
  • संत गाडगे बाबा ने कौन-कौन से कार्य किए थे?
  • संत शिरोमणि गाडगे महाराज के महापरिनिर्वाण दिवस।
  • संत गाडगे जी का नाम क्या था?
बाबा का विश्वास था कि ईश्वर/ भगवान न तो किसी तीर्थस्थानों में है और न ही मंदिरों और मूर्तियों में, वे तो दरिद्र नारायण के रूप में मानव समाज में हर प्राणी के अंदर ईश्वर के रूप में विद्यमान है।
 
गाडगे महाराज का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में हुआ था। उनका बालपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था। वे एक भारतीय साधु, संत और सामाजिक कार्यकर्ता थे। दीन-दुखी तथा उपेक्षित लोगों की सेवा को ही सच्ची ईश्वर भक्ति मानने वाले गाडगे बाबा ने समाज में बढ़ती सामाजिक बुराइयां जैसे- छुआछूत, नशाखोरी, मजदूर-किसानों का शोषण आदि का पुरजोर विरोध किया तथा मानवता की भलाई के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

इस बात का उन्हें पहले ही भलीभांति अनुभव हो चुका था कि समाज में चल रहे अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों और दुर्व्यसनों के कारण समाज को भयंकर हानि हो सकती है, अत: उन्होंने मानवता की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित करके दुनियाभर में अपना नाम रोशन किया। 
 
बचपन से ही बड़े ही बुद्धिवादी किंतु अनपढ़ रहे गाडगे बाबा को पिता के निधन के पश्चात बचपन से ही नाना के घर रहना पड़ा और वहां वे गौ चराने से लेकर खेती तक का काम करते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि गाडगे महारज ने धर्मशालाओं के बरामदे तथा उनके आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपना संपूर्ण जीवन बिताया था।

जीवनभर की पूंजी या संपत्ति के नाम पर बाबा के पास एक फटी-पुरानी चादर, एक लकड़ी तथा एक मिट्टी का बर्तन ही होता था, जो समय-समय पर खाने-पीने तथा जरूरत के हिसाब से कीर्तन के वक्त ढपली का काम भी करता था। बता दें कि महाराष्ट्र के कई स्थानों पर उन्हें मिट्टी के बर्तन वाले या चीथड़े-गोदड़े वाले गाडगे बाबा के नाम से जाना और पुकारा जाता था। 
 
गाडगे बाबा ने अपने जीवन काल में अपने स्वयं के लिए तो कुछ भी सांसारिक चीजों का संग्रह नहीं किया, लेकिन भीख मांग-मांगकर महाराष्ट्र में अनेक चिकित्सालय, गौशालाएं, विद्यालय, धर्मशालाएं और छात्रावासों का निर्माण अवश्य ही कराया। उनके पास अपना जीवन जीने के लिए एक कुटिया तक नहीं थीं और ना ही उन्होंने कभी बनवाई, और इसके पीछे उनका एकमात्र ध्येय 'लोकसेवा' ही था। संत गाडगे महाराज धर्म के नाम पर होने वाली पशुबलि के भी बहुत विरोधी थे। उनके द्वारा स्थापित 'गाडगे महाराज मिशन' आज भी समाज सेवा में रत है।
 
एक सच्चे और निष्काम कर्मयोगी संत गाडगे महाराज 20 दिसंबर 1956 को ब्रह्मलीन हुए थे। और उनकी पुण्यतिथि को संत गाडगे बाबा निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित  वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत  या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ये भी पढ़ें
महाकुंभ, अर्ध कुंभ और पूर्ण कुंभ में क्या है अंतर, जानिए क्यों है इनमें इतना फर्क