कुंभनगरी में छा गई हेमामालिनी
- महेश पाण्डे
कुंभनगरी का सांस्कृतिक पक्ष भी है। पिछले दिनों प्रख्यात नृत्यांगना, अभिनेत्री और सांसद हेमामालिनी गंगा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अपनी दोनों बेटियों को साथ हरिद्वार आईं। बीमार पति की स्वास्थ्य की कामना से मंदिरों में भगवान के दर्शन किए और गंगा आरती की। शिव-पार्वती के रूप में वह स्टेज पर एक आकर्षक नृत्य-नाटिका में भी दिखीं और लोगों को मंत्रमुग्ध किया। शास्त्रीय गायक पंडित जसराज भी पत्नी के साथ गंगा तट पर हुए कार्यक्रमों में शरीक हुए। एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुँची लोकसभा की पूर्व उपाध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला ऋषिकेश में गंगा आरती करना नहीं भूलीं। कुंभ में हिंदू धर्म के प्रति विदेश से आए क्रिश्चियन युवाओं का आकर्षण भी चर्चा में है। इनमें सनातन धर्म के प्रति चुंबकीय आकर्षण दिख रहा है। यही कारण है कि इस बार संतनगरी में कई अखाड़ों में न सिर्फ विदेशी महामंडलेश्वर बनाए गए बल्कि थोक भाव में विदेशी युवक-युवतियों को संन्यास की दीक्षा दी गई। यह क्रम अब भी जारी है। कुछ आश्रम तो इन विदेशियों मात्र के बल पर सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। विदेश से यहाँ आ रहे लोगों में श्रद्धालु भी हैं और सैलानी भी। कुछ सनातन धर्म से प्रभावित हैं तो कुछ महज कौतुहल वश यहाँ घूम रहे हैं। जर्मनी के उगायुश्च तीन वर्ष से सनातन रीति से संन्यास का जीवन जी रहे हैं और उन्हें उनकी मानसिक शांति की कामना प्राप्त हुई है।
गंगोत्री से उत्तरकाशी के मध्य अनेक स्थलों पर विदेशी साधु कुंभ के शुभ अवसर पर तपस्या में लीन देखे जा रहे हैं। ब्रिटेन अमेरिका, जर्मनी, फ्राँस समेत यूक्रेन आदि से बड़ी संख्या में लोग महाकुंभ मेले में आए हैं। इन्हें संतों की जीवनशैली बेहद आकर्षित कर रही है। इधर संत परामर्श समिति के साधु विदेशी संतों को धनबल के प्रभाव से महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया की निंदा कर रहे हैं। संत परामर्श समिति के अध्यक्ष विद्यानंद सरस्वती के अनुसार महामंडलेश्वर की उपाधि देने में अखाड़े पारदर्शिता नहीं बरत रहे हैं। इससे धर्म की हानि हो रही है। विद्यानंद सरस्वती की स्पष्ट मान्यता है कि महामंडलेश्वर को संस्कृत भाषा का ज्ञान तो जरूर हो और उसके साथ उपनिषदों, रामायण व गीता के ज्ञान का संबल हो। दुर्भाग्य से अखाड़े इन कसौटियों की परवाह नहीं कर रहे हैं और धन के आगे घुटने टेक रहे हैं। बहरहाल, सोमवती अमावस्या और शाही स्नान के अवसर पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं की जबर्दस्त भीड़ उमड़ी। कुंभ में शिरकत करनेवालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इसके अभी और बढ़ने की उम्मीद संत और प्रशासन दोनों को है। इस बीच महाकुंभ में महिलाओं का आध्यात्मिक हस्तक्षेप और बड़ी संख्या में विदेशी युवक-युवतियों का आगमन और हिंदू धर्म के प्रति उनका अनुराग चर्चा के केंद्र में है।