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Written By भाषा

कुंभ में बड़ी संख्या में विदेशी संन्यासी

महाकुंभ मेला
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विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में एक महाकुंभ में न सिर्फ बड़ी संख्या में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए लोग भाग ले रहे हैं बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालु आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में यहां पहुंच रहे हैं।

भारत की समृद्ध धार्मिक संस्कृति और धरोहर से जुड़े बड़ी संख्या में विदेशी संन्यासी शांति की तलाश में कुंभस्थल की ओर रूख रहे हैं और सभी प्रमुख रिवाजों का पालन कर रहे हैं।

जूना अखाड़ा के वरिष्ठ संन्यासी विष्णुदेवानंदजी महाराज ऐसे ही एक श्रद्धालु हैं जो महाकुंभ में शामिल होने के लिए रूस से यहां आए हैं।

उन्होंने कहा कि अगले महीने मास्को से करीब 700 किलोमीटर दूर दिव्य लोक आश्रम में उनके अखाड़े के देवता की 16 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनके अखाड़े के देवता दत्तात्रेय की प्रतिमा लगाई जाएगी।

महाराज ने बताया कि 108 मंदिरों को बनाने की भव्य योजना है और इसके तहत पहले ही तीन मंदिर बनाए जा चुके हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म से जुड़ने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 2009 में उनकी मुलाकात पायलट बाबा से हुई थी जो वायुसेना के पूर्व अधिकारी थे। बाद में वह अध्यात्म की ओर मुड़ गए थे।

रूसी फैशन डिजायनगर ओल्गा भी अपने गुरु विष्णुदेवानंदजी महाराज के साथ आई है। रूस में वैदिक संस्कृति के बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में रूसी लोग वैदिक पद्धति को अपना रहे हैं और काफी लोग अध्यात्म की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

जूना अखाड़ा ने कहा है कि कुंभ के दौरान करीब 200 रूसी और यूरोप के अन्य देशों के नागरिकों को संन्यास की दीक्षा दी जाएगी। इसके बाद नए संन्यासी अपने मूल देशों में लौटकर प्रेम और भाईचारे के संदेश का प्रसार करेंगे।

सिर्फ रूस के ही लोग भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर कुंभ नहीं आ रहे हैं बल्कि कई अन्य देशों के श्रद्धालु भी आए हैं। ऑस्ट्रेलियाई नागरिक स्वामी जसराज ने बताया कि वह 2001 में संन्यासी बन गए और वह 2010 में हरिद्वार में हुए कुंभ में भी शामिल हुए थे। (भाषा)