समझिए क्या है कश्मीर विवाद का इतिहास, जानिए कश्मीर समस्या के प्रमुख कारण
Kashmir dispute: धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की वादियां अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं। ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी घाटियां, और शांत झीलें किसी भी आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर सकती हैं। लेकिन इस सुंदरता के साथ एक ऐसा जटिल और दुखद अध्याय भी जुड़ा हुआ है, जिसे "कश्मीर समस्या" के नाम से जाना जाता है। आखिर यह कश्मीर समस्या क्या है? कैसे इस खूबसूरत धरती पर विवाद की नींव पड़ी? और इसके पीछे के मुख्य कारण क्या हैं? आइए, इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
कश्मीर समस्या क्या है?
सरल शब्दों में कहें तो कश्मीर समस्या भारत, पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों के बीच एक क्षेत्रीय विवाद है। यह विवाद मुख्य रूप से कश्मीर के उस भूभाग पर अधिकार को लेकर है, जिस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपना दावा करते हैं। इस दावे के चलते दोनों देशों के बीच कई युद्ध और सीमा पर लगातार तनाव की स्थिति बनी रहती है। इसके साथ ही, कश्मीर के भीतर भी विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूह अपनी-अपनी आकांक्षाएं रखते हैं, जिससे यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। कुछ कश्मीरी स्वतंत्रता चाहते हैं, जबकि कुछ पाकिस्तान के साथ जुड़ना चाहते हैं, और एक बड़ा वर्ग भारत के साथ शांतिपूर्वक रहना चाहता है।
कैसे बना कश्मीर विवाद?
कश्मीर विवाद की जड़ें भारत के विभाजन और 1947 में रियासतों के विलय की प्रक्रिया में छिपी हैं। ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद, भारत में सैकड़ों रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वे या तो भारत में शामिल हो जाएं या पाकिस्तान में, या फिर स्वतंत्र रहें। कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह, जो एक हिंदू शासक थे, लेकिन जिनकी प्रजा में अधिकांश मुस्लिम थे, ने शुरू में किसी भी देश में शामिल होने का निर्णय नहीं लिया था।
हालांकि, अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। इस संकट की स्थिति में महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य सहायता मांगी और विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर भारत में शामिल होने की सहमति दी। इस विलय के साथ ही भारत ने अपनी सेना भेजकर आक्रमणकारियों को पीछे धकेल दिया, लेकिन तब तक कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया था। भारत इस क्षेत्र को "पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर" (POK) कहता है।
इस घटना के बाद भारत इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में ले गया। संयुक्त राष्ट्र ने युद्धविराम का आह्वान किया। आज कश्मीर विवाद एक अतिगंभीर और अति संवेदनशील मुद्दा बन गया है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतना समय बीत जाने के बाद और तमाम प्रयासों के बावजूद कश्मीर समस्या को सुलझाया नहीं जा सका है।
जानिए कारण:
कश्मीर विवाद के कई जटिल कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
• भौगोलिक स्थिति: कश्मीर की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति इसे महत्वपूर्ण बनाती है। यह क्षेत्र मध्य एशिया से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण मार्ग है।
• धार्मिक जनसांख्यिकी: विभाजन के समय कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक थे, जिसके कारण पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर अपना दावा किया। हालांकि, विलय कानूनी रूप से भारत के साथ हुआ था। 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद मुस्लिमों की स्थिति और मजबूत हुई और धर्म के नाम पर कश्मीरियों को भारत से अलग करने की मानसिकता को पुष्ट करने वाली ताकतें और बलवती हुईं।
• राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं: भारत और पाकिस्तान दोनों ही कश्मीर को अपनी राष्ट्रीय पहचान और क्षेत्रीय अखंडता का अभिन्न अंग मानते हैं। दोनों देशों के लिए यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत के राजनीतिज्ञों की ओर से भी इस समस्या का राजनेतिक दोहन किया गया है।
• ऐतिहासिक घटनाक्रम: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्दों और 90 के दशक में सीमा पार से आतंकवाद को मिले बल ने इस विवाद को और गहरा किया है। पाकिस्तान की ओर से स्थानीय कश्मीरी युवाओं के ब्रेन वाश और उन्हें बरगलाकर भारत के विरूद्ध इस्तेमाल करने का एक लम्बा सिलसिला है जो इस विवाद को और गहराता है।
• बाहरी हस्तक्षेप: समय-समय पर बाहरी शक्तियों का भी इस विवाद पर अप्रत्यक्ष प्रभाव रहा है।