• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. इतिहास-संस्कृति
  3. भारतीय
  4. Ahilyabai Holkar history
Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 27 मई 2025 (17:01 IST)

अहिल्याबाई होल्कर ने अपने बेटे को क्यों मारा? जानिए न्यायप्रिय शासिका की अनसुनी कहानी

who was Ahilyabai Holkar
Ahilyabai Holkar history: महारानी अहिल्याबाई होल्कर भारतीय इतिहास की एक ऐसी प्रेरणादायक शख्सियत हैं, जिनका जीवन त्याग, सेवा और न्याय का प्रतीक रहा है। उनकी शासन व्यवस्था, धार्मिक योगदान और सामाजिक सुधारों के लिए उन्हें आज भी सम्मानित किया जाता है। हालांकि, उनके जीवन से जुड़ी एक घटना उनके पुत्र मालेराव होल्कर की मृत्यु को लेकर समय-समय पर विभिन्न कहानियां और मिथक सामने आते रहे हैं। इस लेख में हम इस विषय पर उपलब्ध ऐतिहासिक तथ्यों और जनश्रुतियों की गहराई से समीक्षा करेंगे।
 
अहिल्याबाई होल्कर और खंडेराव होल्कर के इकलौते पुत्र मालेराव होल्कर का जन्म 1745 में हुआ था। बाल्यकाल से ही वे मराठा साम्राज्य के उत्तराधिकारी माने गए थे। पिता की असमय मृत्यु के बाद उनके कंधों पर होल्कर वंश का भविष्य आ गया। मल्हारराव होल्कर की मृत्यु के पश्चात, 1766 में मालेराव ने औपचारिक रूप से गद्दी संभाली, लेकिन उनके शासन का काल बेहद छोटा और अस्थिर रहा।
 
मालेराव को लेकर कई इतिहासकारों ने उल्लेख किया है कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ थे। उनकी यह स्थिति शासन के लिए उपयुक्त नहीं थी, जिससे प्रशासनिक समस्याएं उत्पन्न होने लगीं। इस कारण उनका शासनकाल कुछ ही महीनों में समाप्त हो गया और 1767 में वे इस दुनिया से चले गए।
 
यह प्रश्न भारतीय इतिहास के कुछ सबसे विवादित और चर्चित जनश्रुतियों में से एक है। एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, मालेराव ने रथ चलाते समय जानबूझकर एक गाय या बछड़े को कुचल दिया। इस क्रूर कृत्य को देखकर उनकी मां अहिल्याबाई अत्यंत क्रोधित हो गईं और न्याय के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए अपने ही पुत्र को मृत्युदंड देने का आदेश दे दिया। इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि अहिल्याबाई ने उन्हें सजा दी या मारने का आदेश दिया।
 
ऐसी कहानियां अक्सर नैतिक शिक्षाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए बनाई जाती हैं। रानी अहिल्याबाई के न्याय और नैतिकता के आदर्श को स्थापित करने के लिए यह कथा गढ़ी गई होगी कि "एक मां ने भी न्याय के लिए अपने पुत्र को दंडित किया।" भारतीय जनमानस में जब कोई शासक चरित्र महान बन जाता है, तो उसके चारों ओर ऐसे किस्से भी गढ़े जाते हैं जो आदर्श प्रस्तुत करें। इसीलिए यह कथा ऐतिहासिक सच्चाई से अधिक नैतिक प्रतीकात्मकता का हिस्सा प्रतीत होती है।
 
अहिल्याबाई होल्कर का जीवन और शासन भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। इतिहास को केवल कहानियों से नहीं, बल्कि तथ्यों और शोध से समझा जाना चाहिए। रानी अहिल्याबाई का जीवन इतना प्रेरणादायक है कि उसे किसी काल्पनिक कथा के सहारे महिमामंडित करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने अपने शासन में मंदिर निर्माण, सड़कों की मरम्मत, व्यापार का प्रोत्साहन और जनता की भलाई जैसे कार्य किए, जिससे वे लोकमाता के रूप में प्रसिद्ध हुईं। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 
ये भी पढ़ें
गाजा में इजराइल की कार्रवाई का अब और बचाव मुमकिन नहीं