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4 जनवरी 2011, मंगलवार को साल के पहले सूर्यग्रहण को लेकर उत्सुकता का माहौल नजर आया। खासतौर पर धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास रखने वालों की दिनचर्या इससे खासी प्रभावित हुई। ग्रहण के दौरान अधिकांश लोग अपने-अपने घर, दफ्तर और प्रतिष्ठानों में घुसे रहे। वहीं शाम को कुछ ने घर में स्नान कर भोजन में तुलसी के पत्ते डालकर सूतक का प्रभाव खत्म किया।
परंपरानुसार घरेलू एवं कामकाजी महिलाओं ने ग्रहण के बाद अपने घरों की शुद्धता के लिए साफ-सफाई कर नर्मदा और गंगा जल छिड़का। कामकाजी महिला अंजू द्विवेदी ने बताया कि सुबह से ही ग्रहण को लेकर असमंजस की स्थिति रही। इसकी वजह से रसोई के काम प्रभावित रहे। इसके प्रभाव को देखते हुए बच्चों को भी स्कूल नहीं भेजा। ग्रहण के बाद पूरे घर को साफ करना पड़ा।
ग्रहण के बाद धार्मिक स्थलों और मंदिरों में लोगों की खासी भीड़भाड़ रही। नर्मदा तटों में लोगों का देर शाम तक ताँता लगा रहा। शाम चार खत्म हुए ग्रहण के प्रभाव के बाद लोगों ने आसपास के मंदिरों में जाकर पूजन-अर्चन का आशीर्वाद लिया। नर्मदा घाटों पर लोगों का आना होता है, लेकिन सूर्यग्रहण होने की वजह से लोगों की तादात ज्यादा रही।

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दफ्तरी लोगों में सूर्यग्रहण को लेकर खासी चर्चा रही। लगभग सभी ने तिथि और राशि के अनुसार काम किया। जिनकी राशि में इसका प्रभाव नहीं था उन्होंने भी बाकायदा परहेज किया। परंपरानुसार सूर्यग्रहण सूतक के रूप में होता है, जिसकी विकरणों से बचने के लिए लोग इसकी छाया से रू-ब-रू नहीं होना चाहते, लेकिन काम की व्यस्तता के चलते लोगों को घर-बाहर तो आना ही पड़ता है।
सूर्यग्रहण के समय के अनुसार लोगों को अपने कई काम टालने पड़े। सुबह से लोगों ने पंचांग का सहारा लिया और अपनी राशि के अनुसार हानि और लाभ को देखते हुए पूरे काम तय किए। युवाओं ने भी नियम-संयम को ध्यान में रखते हुए ग्रहण से बचने का प्रयास किया।