तेरे वास्ते इक लख जवानियां...
प्रीति सोनी
तेरे वास्ते इक लख जवानियां, ये जवानी देश के लिए ....
हीरोज फिल्म का यह डायलॉग आपमें से बहुत से लोगों ने सुना होगा, और उसे पसंद भी किया होगा। लेकिन इन शब्दों की गहराई को समझना इतना आसान नहीं है। जिंदगी एक बार मिलती है, जवानी एक बार मिलती है, और सच्चा प्यार भी एक ही बार होता है....लेकिन उस जवानी को देश के प्रति सच्चे प्यार में तब्दील कर न्यौछावर कर देना ... हर किसी के बस की बात नहीं होती।
इन शब्दों का मोल, देश के लिए सीमा पर लड़ रहे जवानों की दुल्हनों से बेहतर और कौन समझ पाता होगा, जो पिया के रंग में रंग कर,उसका हाथ पकड़कर, दूर से ही सही लेकिन देशभक्ति के यज्ञ में आहुति डाल रही हैं। वे बच्चे जो मौन रहकर अपने पिता के इस समर्पण को स्वीकार उस पर गौरवान्वित होते हैं। और वे मां बाप, जिन्होंने एक जिंदगी को पाल कर देश के लिए मौत की गोद में बैठाने से भी परहेज नहीं किया ...।
कितने उत्कृष्ट होंगे वे संस्कार, जो युवा होकर भी गजरे की महक में खोने के बजाय, देश के लिए जागने को तत्पर हैं... कितना उंचा होगा वह त्याग जो देश के खातिर विरह की आग में तपने को तैयार है...और कितने खुले होंगे वह जज्बात जो देश के लिए अपने खून को बहा देने में सक्षम हैं।
वे सारे शब्द एक साथ दिमाग में घूमने लगते हैं, जो स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही सुनने के मिलते हैं... बलिदान, देशभक्ति, कुर्बानी, शहादत और मातृभूमि ...सारे शब्द गूंजने लगते हैं... सारे भाव एक साथ जगृत हो जाते हैं...जब देश के लिए खुद को लुटा देने की कसक दिखाई देती है और भारतीय होने का गर्व चेहरे पर साफ दिखाई देने लगता है... जब ये शब्द सुनने को मिलते हैं ......
तेरे वास्ते इक लख जवानियां, ये जवानी देश के लिए