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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 3 जुलाई 2025 (15:09 IST)

सावन में क्यों नहीं बनवाते दाढ़ी और बाल? जानिए क्या हैं नियम

shravan month rules
shravan month rules: सावन का महीना, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन के हर सोमवार को शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और कांवड़ यात्रा भी इसी दौरान निकाली जाती है। लेकिन इस पवित्र महीने को लेकर कुछ नियम और मान्यताएं भी हैं, जिनमें से एक है दाढ़ी और बाल न कटवाने की परंपरा। आखिर क्या है इसके पीछे का कारण और क्या कहते हैं नियम?

धार्मिक और वैज्ञानिक कारण:
सावन में दाढ़ी और बाल न कटवाने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के कारण माने जाते हैं:
1. धार्मिक मान्यताएं:
तपस्या और त्याग का प्रतीक: सावन का महीना शिव भक्तों के लिए तपस्या और त्याग का काल होता है। इस दौरान लोग अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने का प्रयास करते हैं। दाढ़ी और बाल न कटवाना इस तपस्या का एक हिस्सा माना जाता है, जो भौतिक सुख-सुविधाओं से दूरी और आध्यात्मिक साधना पर ध्यान केंद्रित करने का प्रतीक है।

शिव को प्रसन्न करना: कुछ मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में बाल और दाढ़ी न कटवाना भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक तरीका है। जिस प्रकार साधु-संत अपनी जटाएं बढ़ाते हैं, उसी प्रकार भक्त भी इस महीने में शिव की भक्ति में लीन होकर उन्हें अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: ऐसा भी माना जाता है कि सावन में वातावरण में कुछ ऐसी ऊर्जाएं सक्रिय होती हैं, जिनसे बचाव के लिए बाल और दाढ़ी को बढ़ने देना चाहिए। शरीर के रोम छिद्र और बाल एक तरह से सुरक्षा कवच का काम करते हैं।

ज्योतिषीय प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सावन में कुछ ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जो बाल कटवाने के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती। इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
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2. वैज्ञानिक कारण:
बारिश और संक्रमण: सावन का महीना बारिश का होता है। इस दौरान नमी और गंदगी के कारण फंगल इन्फेक्शन और त्वचा संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। सैलून में इस्तेमाल होने वाले औजारों से भी संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। ऐसे में दाढ़ी और बाल न कटवाने से इन संक्रमणों से बचा जा सकता है, क्योंकि बाल एक प्राकृतिक अवरोध का काम करते हैं।

आयुर्वेद का मत: आयुर्वेद में भी मौसम के अनुसार शरीर की देखभाल पर जोर दिया जाता है। बारिश के मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ कमजोर हो जाती है, जिससे बाहरी संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है।

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